Guruwar ke Upay: गुरुवार के दिन करें इस स्तोत्र का पाठ, मिलेगी सुख-शांति, आर्थिक समस्याएं होंगी दूर
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Guruwar ke Upay: गुरुवार के दिन करें इस स्तोत्र का पाठ, मिलेगी सुख-शांति, आर्थिक समस्याएं होंगी दूर

Dashavtar Stotra: गुरुवार के दिन दशावतार स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को काफी लाभ होते हैं. इसका पाठ करने के लिए सुबह स्नान कर पीले कपड़े पहनें और पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति और तस्वीर स्थापित करें.

Guruwar ke Upay: गुरुवार के दिन करें इस स्तोत्र का पाठ, मिलेगी सुख-शांति, आर्थिक समस्याएं होंगी दूर

Guruwar ke Upay: सप्ताह के सात दिन किसी न किसी ग्रह को समर्पित होता है. गुरुवार या बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए काफी शुभ माना जाता है. आप भगवान विष्णु की पूजा कर सुख समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं. गुरुवार के दिन दशावतार स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को काफी लाभ होते हैं. इसका पाठ करने के लिए सुबह स्नान कर पीले कपड़े पहनें और पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति और तस्वीर स्थापित करें. इसके बाद तस्वीर या मूर्ति के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएं. इसके बाद दशावतार स्तोत्र का पाठ करें और फिर भगवान विष्णु की आरती करें. पूजा करने के बाद पीली मिठाई का भोग लगाएं. नियमित रूप से दशावतार स्तोत्र का पाठ करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं. 

 

यहां पढ़ें दशावतार स्तोत्र

 

श्री दशावतार स्तोत्र: प्रलय पयोधि-जले (Dashavtar Stotram: Pralay Payodhi Jale)
प्रलयपयोधिजले धृतवानसि वेदम ।
विहितवहित्रचरित्रम खेदम ।
केशव धृतमीनशरीर जय जगदीश हरे ॥1॥

क्षितिरतिविपुलतरे तव तिष्ठति पृष्ठे ।
धरणिधरणकिणचक्रगरिष्ठे ।
केशव धृतकच्छपरुप जय जगदीश हरे ॥2॥

वसति दशनशिखरे धरणी तव लग्ना ।
शशिनि कलंकलेव निमग्ना ।
केशव धृतसूकररूप जय जगदीश हरे ॥3॥

तव करकमलवरे नखमद्भुतश्रृंगम ।
दलितहिरण्यकशिपुतनुभृगंम ।
केशव धृतनरहरिरूप जय जगदीश हरे ॥4॥

छलयसि विक्रमणे बलिमद्भुतवामन ।
पदनखनीरजनितजनपावन ।
केशव धृतवामनरुप जय जगदीश हरे ॥5॥

क्षत्रिययरुधिरमये जगदपगतपापम ।
सनपयसि पयसि शमितभवतापम ।
केशव धृतभृगुपतिरूप जय जगदीश हरे ॥6॥

वितरसि दिक्षु रणे दिक्पतिकमनीयम ।
दशमुखमौलिबलिं रमणीयम ।
केशव धृतरघुपतिवेष जय जगदीश हरे ॥7॥

वहसि वपुषे विशदे वसनं जलदाभम ।
हलहतिभीतिमिलितयमुनाभम ।
केशव धृतहलधररूप जय जगदीश हरे ॥8॥

निन्दसि यज्ञविधेरहह श्रुतिजातम ।
सदयहृदयदर्शितपशुघातम ।
केशव धृतबुद्धशरीर जय जगदीश हरे ॥9॥

म्लेच्छनिवहनिधने कलयसि करवालम ।
धूमकेतुमिव किमपि करालम ।
केशव धृतकल्किशरीर जय जगदीश हरे ॥10॥

श्रीजयदेवकवेरिदमुदितमुदारम ।
श्रृणु सुखदं शुभदं भवसारम ।
केशव धृतदशविधरूप जय जगदीश हरे ॥11॥

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

 

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