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नई दिल्ली. 6 जनवरी, बुधवार को रुक्मिणी अष्टमी (Rukmini Ashtami 2021 Date) का पर्व मनाया जाएगा. हर वर्ष पौष मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी (Rukmini Ashtami) मनाई जाती है. इस दिन देवी रुक्मिणी (Rukmini) का जन्म हुआ था. देवी रुक्मिणी भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) की पहली पत्नी थीं.
हिन्दू धर्म में रुक्मिणी अष्टमी (Rukmini Ashtami 2021) पर्व का विशेष महत्व है. धर्म ग्रंथों में देवी रुक्मिणी को मां लक्ष्मी (Ma Lakshmi) का अवतार माना गया है. इस दिन सच्चे मन से भगवान श्री कृष्ण और देवी रुक्मिणी की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
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शास्त्रों में उल्लेख किया गया है कि भगवान श्री कृष्ण (Lord Krishna) का जन्म अष्टमी (Ashtami) तिथि को हुआ था, राधा (Radha) का जन्म भी अष्टमी तिथि को हुआ था और देवी रुक्मिणी (Rukmini) भी अष्टमी तिथि को उत्पन्न हुई थीं. इस वजह से अष्टमी तिथि बेहद शुभ होती है. इस दिन जो भी जातक भगवान श्री कृष्ण, देवी रुक्मिणी और उनके पुत्र प्रद्युम्न की विधि-विधान से पूजा-पाठ करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और घर में धन की वृद्धि होती है.
1. इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े धारण करें.
2. उसके बाद पूजा स्थल को गंगा जल से पवित्र करें और चौकी पर साफ कपड़ा बिछाएं.
3. भगवान श्री कृष्ण और मां माता रुक्मिणी की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें.
4. दक्षिणावर्ती शंख में जल लें और उससे भगवान श्री कृष्ण और मां रुक्मिणी का अभिषेक करें.
5. उसके बाद भगवान श्रीकृष्ण को पीले और देवी रुक्मिणी को लाल वस्त्र धारण कराएं.
6. फिर भगवान श्रीकृष्ण और देवी रुक्मिणी को तिलक लगाएं और हल्दी, इत्र और फूल से पूजन करें.
7. पूजन के वक्त कृष्ण मंत्र औऱ देवी लक्ष्मी के मंत्रों का उच्चारण करें.
8. उसके पश्चात तुलसी मिश्रित खीर से दोनों को भोग लगाएं.
9. सायंकाल में पुन: भगवान श्रीकृष्ण और मां रुक्मिणी की आरती करें और फलाहार ग्रहण करें.
10. अगले दिन नवमी पर ब्राह्मणों को भोजन कराएं और व्रत को पूर्ण करें.