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नई दिल्ली: इस बार वैशाख महीने के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि का व्रत कुछ जगह बुधवार को और कुछ जगह गुरुवार को किया जाएगा. दरअसल, यह तिथि 19 मई से शुरू होकर 20 मई को भी जारी रहेगी. यह तिथि देवी दुर्गा (Goddess Durga) की खास पूजा करने के लिहाज से खास है. देवी पुराण में बताया गया है कि इस तिथि पर अपराजिता (Aparajita) रूप में देवी की पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं. साथ ही इस दिन देवी की पूजा करने से बीमारियों से भी छुटकारा मिलने लगता है.
वैशाख शुक्ल (Vaishakh Shukla) पक्ष की अष्टमी तिथि 19 मई, बुधवार को दोपहर 1 बजे शुरू होगी और 20 मई, गुरुवार को दोपहर में खत्म होगी. 20 मई को सूर्योदय से करीब आधे दिन तक अष्टमी तिथि होने के कारण इसी दिन यह व्रत रखना चाहिए और पूजा की करनी चाहिए.
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इस दिन मां दुर्गा के अपराजिता रूप की प्रतिमा को कपूर और जटामासी से युक्त जल से स्नान कराते हैं. साथ ही स्वयं को आम के रस मिले पानी से नहाना चाहिए. नहाने के इस पानी में थोड़ा सा गंगाजल भी मिला लेना चाहिए.
वैशाख शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को देवी बगलामुखी (Devi Baglamukhi) के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है. लिहाजा इस दिन बगलामुखी जयंती (Baglamukhi Jayanti 2021) भी होती है. देवी बगलामुखी 10 महाविद्याओं में से एक हैं. माना जाता है कि इनकी उत्पत्ति सौराष्ट्र के हरिद्रा नाम के सरोवर से हुई थी. मां बगलामुखी को शत्रुओं का नाश करने वाली देवी भी कहा जाता है. मां बगलामुखी की पूजा करने से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है, इसके अलावा कोर्ट-कचहरी से संबंधित कार्यों में अपनी जीत सुनिश्चित करने में भी यह पूजा फलदायी है.
(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)