AI हमारी सोच का दायरा ही नहीं, दिमाग भी छोटा कर सकता है! वैज्ञानिक की चेतावनी
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AI हमारी सोच का दायरा ही नहीं, दिमाग भी छोटा कर सकता है! वैज्ञानिक की चेतावनी

AI Effect On Brain: एक इवोल्यूशनरी बायोलॉजिस्ट ने चेतावनी दी कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की वजह से हमारे दिमाग का आकार छोटा हो सकता है. वैज्ञानिक के अनुसार, एआई से 'प्राकृतिक चयन' प्रभावित हो सकता है.

AI हमारी सोच का दायरा ही नहीं, दिमाग भी छोटा कर सकता है! वैज्ञानिक की चेतावनी

Science News in Hindi: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आज की तारीख में 'हॉट केक' है. जिसे देखो, वहीं एआई के इस्तेमाल से लेकर उसके फायदे और नुकसान बताने में लगा है. AI के सुलभ और मेनस्ट्रीम होने से बहुतों का जीवन आसान हुआ है तो कुछ को लगता है कि उनका भविष्य संकट में है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के इंसान पर संभावित प्रभावों के बारे में कई वैज्ञानिक भी सोच रहे है. ऐसे कई सिनेरियो हैँ जिनमें AI को मानव अस्तित्व के लिए खतरा बताया गया है. हालांकि, हर भविष्यवाणी डरावनी नहीं है. एक इवोल्यूशनरी बायोलॉजिस्ट ने The Quarterly Review of Biology जर्नल में छपी स्टडी में AI के संभावित प्रभावों के बारे में बताया है. न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी में इवोल्यूशन के प्रोफेसर रॉब ब्रूक्स के मुताबिक, AI मानव के दिमाग और व्यवहार पर असर डाल सकता है.

प्राकृतिक चयन पर पड़ सकता है AI का प्रभाव

प्राकृतिक चयन एक ऐसा तंत्र है जो प्रजातियों की विकास प्रक्रिया को प्रभावित करता है. ब्रूक्स का मानना है कि जैसे भौतिक और सामाजिक वातावरण से जीवों की प्रजनन क्षमता में अंतर होता है, वैसे ही AI मानव के मस्तिष्क और व्यवहार पर प्रभाव डाल सकता है. उदाहरण के तौर पर, जैसे 30,000 साल पहले भेड़ियों को इंसानों के आसपास रहने से पालतू कुत्तों में बदलने की प्रक्रिया शुरू हुई, वैसे ही AI भी अनजाने में मानव के व्यवहार को ढाल सकता है.

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AI: मददगार या पैरासाइट?

AI और मानव का रिश्ता आपसी-सहायता (म्यूचुअलिज्म) का हो सकता है, जहां दोनों एक-दूसरे को फायदा पहुंचाते हैं. AI के कारण हमारी याददाश्त का भार हल्का हो सकता है, जिससे मानव मस्तिष्क छोटा और सुरक्षित जन्म प्रक्रिया संभव हो सकती है. लेकिन ऐसे रिश्ते परजीवी (पैरासिटिक) में भी बदल सकते हैं. ब्रूक्स ने सोशल मीडिया शुरुआत का उदाहरण दिया कि यह पहले उपयोगी था, लेकिन अब यह ध्यान भटकाने और सामाजिक संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाला परजीवी बन गया है. अगर AI ध्यान आकर्षित करने और गुस्सा भड़काने में और अधिक कुशल  गया, तो यह मानव विकास को प्रभावित कर सकता है.

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मानव विकास में अन्य प्रजातियों की तुलना में मानव-मानव संबंध अधिक महत्वपूर्ण रहे हैं. लेकिन अब AI हमारे सामाजिक जीवन में घुसपैठ कर रहा है. वर्चुअल दुनिया में AI दोस्ती और रिश्तों की नकल करता है, जिससे लोग मशीनों को भावनात्मक रूप से वास्तविक मानने लगते हैं. यह स्थिति इंसानों को अधिक सतर्क बना सकती है या हमें और अधिक अकेला बना सकती है. इससे मानव स्वभाव में महत्वपूर्ण परिवर्तन हो सकता है.

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