गिरगिट आखिर अपना रंग क्‍यों बदलता है? वजह जानकर रह जाएंगे हैरान
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गिरगिट आखिर अपना रंग क्‍यों बदलता है? वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

गिरगिट अपनी भावनाओं को दर्शाने, शिकार करने और रक्षा करने के लिए अपने रंग को आसानी से बदल पाते हैं. 

इस तरह रंग बदलने में कामयाब होता है गिरगिट (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : Chameleon अपने आप में अनोखा जीव है. जो अक्सर अपनी रक्षा करने या शिकार करने के लिए रंग बदल लेता है. लेकिन क्या आपने कभी जानने की कोशिश की है कि आखिर गिरगिट कैसे रंग बदल लेता है? इसके पीछे का क्या रहस्य है? आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं. 

  1. कई रंगों की परतदार त्वचा होती है गिरगिट की
  2. रंग बताते हैं गिरगिट की कैटेगिरी
  3. गिरगिट अपनी भावनाओं को दर्शाने के लिए रंग बदलते हैं

क्या कहते हैं वैज्ञानिक

वैज्ञानिकों के मुताबिक, गिरगिट तीव्रता से रंग बदलने की क्षमता के लिए प्रसिद्ध है. वास्तव में, गिरगिट ज्यादातर अपने तापमान को नियंत्रित करने के लिए या अन्य गिरगिटों को अपने इरादे का संकेत देने के लिए रंग बदलते हैं.

वैज्ञानिकों का इस संबंध में ये भी कहना है कि गिरगिट अपने शरीर की गर्मी उत्पन्न नहीं कर सकते, इसलिए उनकी त्वचा का रंग बदलना शरीर के अनुकूल तापमान को बनाए रखने का एक तरीका है. एक ठंडा गिरगिट अधिक गर्मी को अवशोषित करने के लिए डार्क रंग का हो सकता है, जबकि एक गर्म गिरगिट सूरज की गर्मी को प्रतिबिंबित करने के लिए पीला हो सकता है.

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रंग बताते हैं गिरगिट की कैटेगिरी

गिरगिट जब आपस में बात करते हैं तो बोल्ड रंग में परिवर्तित हो जाते हैं. नर अपने प्रभुत्व का संकेत देने के लिए ब्राइट कलर के हो जाते हैं और आक्रामक होने पर डार्क कलर के हो जाते हैं. मादाएं जब संभोग के लिए तैयार होती हैं तो एक विशेष कलर धारण कर लेती हैं. शोधकर्ता ये भी कहते हैं कि पालतू गिरगिट के मूड को उनके मालिक त्वचा के रंग के आधार पर आसानी से पढ़ना सीख सकते हैं.

कई रंगों की परतदार त्वचा होती है गिरगिट की 

गिरगिट की त्वचा की सबसे बाहरी परत ट्रांसपेरेंट होती है. इसके नीचे त्वचा की कई और परतें होती हैं जिनमें क्रोमैटोफोर्स नामक विशेष कोशिकाएं होती हैं. प्रत्येक स्तर पर क्रोमैटोफोर विभिन्न प्रकार के रंगों से भरे होते हैं. सबसे नीचे की परत में मेलेनोफोर्स होते हैं, जो ब्राउन कलर के मेलेनिन से भरे होते हैं. ये वो कलर होता है जिसकी वजह से गिरगिट मानवीय कलर एडॉप्ट कर पाते हैं. उस परत के ऊपर इरिडोफोरस नामक कोशिकाएं होती हैं, जिनमें एक ब्लू कलर लिक्वि‍ड होता है जो नीली और सफेद लाइट को दर्शाता है. उन कोशिकाओं के टॉप पर ज़ैंथोफोर और एरिथ्रोफोर लेयर्स होती हैं, जिनमें पीले और लाल रंग के रंग होते हैं.

अब तो आप समझ गए होंगे गिरगिट अपनी भावनाओं को दर्शाने, शिकार करने और रक्षा करने के लिए अपने रंग को आसानी से बदल पाते हैं. 

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