NASA Mars Image 2025: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी, नासा के मार्स रिकोनिसेंस ऑर्बिटर (MRO) ने लाल ग्रह की सतह पर धूल के 'शैतानों' की हैरान करने वाली तस्वीरें खींची हैं.
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Science News in Hindi: नासा के मार्स रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (MRO) ने मंगल ग्रह की सतह पर धूल भरे बवंडरों की गतिविधियों की एक अद्भुत तस्वीर उतारी है. सितंबर 2022 में हाईराइज कैमरा द्वारा ली गई तस्वीर हल्डेन क्रेटर के एक हिस्से को दिखाती है, जहां धूल भरे बवंडरों ने अपने निशान छोड़े हैं. मंगल के पतले वातावरण के बावजूद, यहां धूल भरे बवंडर, जिन्हें 'डस्ट डेविल्स' कहा जाता है, आम हैं.
ये बवंडर तब बनते हैं जब सतह गर्म होती है, जिससे गर्म हवा तेजी से ऊपर उठती है और धूल कणों को घुमावदार खंभे में खींचती है. ये छोटे से लेकर बड़े, कई किलोमीटर-चौड़े बवंडरों में बदल सकते हैं, जो घंटों तक सक्रिय रहते हैं.
बेहद पतला है मंगल का वातावरण
मंगल ग्रह, जिसे 'लाल ग्रह' के नाम से जाना जाता है, सूर्य से चौथा ग्रह है. इसकी सतह पर आयरन ऑक्साइड की उपस्थिति के कारण इसका रंग लाल दिखाई देता है. मंगल का वातावरण पतला है और मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड से बना है, जिससे यहां का औसत तापमान लगभग -60 डिग्री सेल्सियस रहता है.
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मंगल की सतह पर मैदान, ज्वालामुखी (जैसे ओलंपस मॉन्स) और विशाल घाटी प्रणालियां (जैसे वैलेस मेरिनेरिस) पाई जाती हैं. भूवैज्ञानिक साक्ष्य संकेत देते हैं कि कभी यहां तरल पानी और घना वातावरण था, जो पिछले जीवन की संभावनाओं की ओर इशारा करता है.
मंगल की धूल: दोस्त भी और दुश्मन भी...
वैज्ञानिकों के लिए मंगल के धूल भरे बवंडर महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे ग्रह की सतह पर धूल के पुनर्वितरण में मदद करते हैं, जिससे मौसम और जलवायु पर प्रभाव पड़ता है. ये बवंडर मंगल पर मौजूद रोबोटिक मिशनों के लिए मित्र और शत्रु दोनों हो सकते हैं. वे सौर पैनलों और अन्य उपकरणों पर धूल जमा कर उनकी कार्यक्षमता कम कर सकते हैं, वहीं उनकी तेज हवाएं इन पैनलों को साफ भी कर सकती हैं.
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मंगल ग्रह पर धूल भरे बवंडरों की मौजूदगी यह दिखाती है कि, भले ही वहां का वातावरण पतला हो, फिर भी यह गतिशील और जटिल है. इन बवंडरों का अध्ययन हमें मंगल के मौसम, जलवायु और सतह प्रक्रियाओं के बारे में काफी कुछ बता सकता है, जो भविष्य में मानव अभियानों के लिए मगददगार हो सकता है.