Trending Photos
बीजिंग: हाल ही में उत्तराखंड (Uttarakhand) में ग्लेशियर (Glacier) फटने से लगभग 80 लोगों की जान चली गई थी. हिमालय (Himalaya) पर मंडराते ग्लोबल वॉर्मिंग (Global Warming) के खतरे को इस घटना ने साफ कर दिया है. एक स्टडी में दावा किया गया कि तिब्बत के पठार (Tibet Plateau) पर तापमान पहले से ज्यादा तेजी से बढ़ेगा.
गौरतलब है कि यह समस्या केवल तिब्बत या भारत (India) के लिए ही नहीं बल्कि पूरे एशिया (Asia) महाद्वीप के लिए खतरा है. बता दें कि इस इलाके को एशिया का वॉटर टावर (Water Tower Of Asia) कहा जाता है. इस इलाके में कई नदियों के स्रोत हैं.
ये भी पढ़ें- नासा ने शेयर की मंगल ग्रह के नीले टीलों की बेहद खूबसूरत तस्वीर, आप भी देखिए
बता दें कि क्लाइमेट (Climate) से जुड़े कई मॉडल्स (Models) में तापमान (Temperature) बढ़ने के खतरनाक परिणामों की वार्निंग दी गई है. चीन (China) के रिसर्चर्स ने एक स्टडी (Chinese Study) में बताया कि यहां का तापमान पहले के अनुमान से ज्यादा बढ़ सकता है.
रिसर्चर वेंग्शिया झांग ने कहा कि अगर मॉडरेट कार्बन इमिशन (Moderate Carbon Emission) की स्थिति ऐसी ही रही तो साल 2041-2060 के बीच तिब्बत के पठारी क्षेत्र का तापमान 2.25 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है. ये तापमान साल 2081-2100 के बीच 2.99 डिग्री सेल्सियस तक भी बढ़ सकता है.
ये भी पढ़ें- घने जंगलों में ये है गोरिल्ला की बातचीत का कोड, क्या आपने देखा या सुना है कभी?
जान लें कि तिब्बत के पठारी इलाके में तापमान बढ़ने से ग्लेशियर पिघलेंगे और अरबों लोगों, पेड़-पौधों और मवेशियों के सामने पानी की समस्या खड़ी हो सकती है. भारत में ब्रह्मपुत्र और गंगा, पाकिस्तान में सिंधु, चीन में यांगजे और यलो नदी के लिए समस्या हो जाएगी.
इसकी वजह से नदियों में पानी के बहाव पर फर्क पड़ेगा, जिससे सूखा और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं आ सकती हैं. इसके कारण समुद्र का जलस्तर भी बढ़ेगा. जिससे खेती और बिजली के प्रोडक्शन पर असर पड़ सकता है.
LIVE TV