ब्रह्मांड की शुरुआत में स्पाइरल गैलेक्सी! जेम्स वेब टेलीस्कोप की मदद से भारतीय वैज्ञानिकों की बड़ी खोज
Advertisement
trendingNow12567315

ब्रह्मांड की शुरुआत में स्पाइरल गैलेक्सी! जेम्स वेब टेलीस्कोप की मदद से भारतीय वैज्ञानिकों की बड़ी खोज

James Webb Space Telescope (JWST) की मदद से वैज्ञानिकों को प्रारंभिक ब्रह्मांड में सुपरमैसिव ब्लैक होल्स के बनने का पता चला था. अब JWST ने उस दौर की विशालकाय सर्पिल आकाशगंगाओं को भी खोज लिया है.

ब्रह्मांड की शुरुआत में स्पाइरल गैलेक्सी! जेम्स वेब टेलीस्कोप की मदद से भारतीय वैज्ञानिकों की बड़ी खोज

Science News in Hindi: भारतीय वैज्ञानिकों ने James Webb Space Telescope (JWST) की मदद से एक अप्रत्याशित खोज की है. उन्होंने प्रारंभिक ब्रह्मांड में एक विशालकाय सर्पिल आकाशगंगा देखी है. यह खोज आकाशगंगाओं के बनने के बारे में हमारी जानकारी को बदल सकती है.  JWST की मदद से शुरुआती ब्रह्मांड में सुपरमैसिव ब्लैक होल्स की मौजूदगी का पता पहले ही लगाया जा चुका है. अब भीमकाय सर्पिल आकाशगंगा की खोज से जुड़ी रिसर्च के नतीजे 9 दिसंबर को प्री-प्रिंट डेटाबेस arXiv पर छपे हैं. अभी इस स्टडी को अन्य वैज्ञानिकों ने रिव्यू नहीं किया है. पढ़ें, इस हैरान करने वाली खोज से जुड़ी 5 बड़ी बातें.

  1. आम तौर पर, कोई आकाशगंगा जितनी पुरानी होती है, वह हमसे उतनी ही दूर होती है. वैज्ञानिक 'रेडशिफ्ट' के ज़रिए आकाशगंगाओं की उम्र और दूरी का अनुमान लगा सकते हैं. यह एक ऐसी घटना है जो तब होती है जब प्रकाश अंतरिक्ष के बड़े हिस्से को पार करते समय कम आवृत्ति, लाल तरंगदैर्ध्य में बदल जाता है. ऐसा दो वजहों से होता है; पहला- क्योंकि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है, पुराने तारे स्वाभाविक रूप से दूर चले जाते हैं. और दूसरा- क्योंकि लाल, प्रकाश स्पेक्ट्रम में सबसे लंबी तरंगदैर्ध्य है, इसलिए बहुत दूर स्थित तारे अधिक लाल दिखाई देते हैं, उनका रेडशिफ्ट अधिक होता है.
  2. JWST को लाल और इंफ्रारेड स्पेक्ट्रम में गहराई से देखने के लिए बनाया गया है. यह किसी भी पिछले टेलीस्कोप की तुलना में पुरानी, दूर की आकाशगंगाओं को बहुत साफ रूप से देख सकता है. इस नई आकाशगंगा जिसे A2744-GDSp-z4 नाम दिया गया है, काफी अलग है क्योंकि सर्पिल आकाशगंगाएं अधिकतर युवा होती हैं. A2744-GDSp-z4 जैसी भव्य डिजाइन वाली आकाशगंगाएं अपनी दो काफी फैली हुई सर्पिल भुजाओं से पहचानी जाती हैं.
  3. लास कम्ब्रेस ऑब्जर्वेटरी के अनुसार, 3.0 से ऊपर रेडशिफ्ट वाली बहुत कम आकाशगंगा पाई गई हैं. इसका मतलब है कि उनका प्रकाश लगभग 11.5 बिलियन वर्षों से यात्रा कर रहा है. JWST द्वारा नई खोजी गई आकाशगंगा में 4.03 की रेडशिफ्ट है, यानी कि इसका प्रकाश 12 अरब साल से भी पहले उत्सर्जित हुआ था. इसे खोजने वाले रिसर्चर्स के मुताबिक, इसका मतलब है कि A2744-GDSp-z4 तब बनी जब ब्रह्मांड केवल 1.5 अरब साल पुराना था - और ऐसा लगता है कि यह बहुत तेजी से बनी.
  4. A2744-GDSp-z4 में तारा निर्माण की अनुमानित दर को देखते हुए, इसने कुछ सौ मिलियन वर्षों में लगभग 10 अरब सौर द्रव्यमान का द्रव्यमान हासिल किया. यह सर्पिल आकाशगंगाओं के निर्माण की वैज्ञानिकों की सोच के ठीक उलट है.
  5. यह स्टडी भारत के नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स की राशि जैन के नेतृत्व में हुई है. रिसर्चर्स ने कहा, 'हाई रेडशिफ्ट सर्पिलों की दुर्लभता उन शुरुआती युगों में आकाशगंगाओं के गतिशील रूप से गर्म होने का नतीजा हो सकती है.' उन्होंने कहा कि 'गतिशील रूप से गर्म सिस्टम अत्यधिक व्यवस्थित सर्पिलों के बजाय गुच्छेदार संरचनाएं बनाती हैं.'

विज्ञान के क्षेत्र की नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें Latest Science News In Hindi और पाएं Breaking News in Hindi देश-दुनिया की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!

Trending news