मंगल पर पानी था, पनप सकती थी जिंदगी; फिर कैसे बदल गया 'लाल ग्रह' का मिजाज?
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मंगल पर पानी था, पनप सकती थी जिंदगी; फिर कैसे बदल गया 'लाल ग्रह' का मिजाज?

Water On Mars: इस बात के सबूत तो पहले ही मिल चुके हैं कि मंगल पर प्राचीन समय में पानी का बड़ा भंडार था. हालांकि मंगल ग्रह की सतह ठंडी और जीवन के लिए मुफीद नहीं है, फिर भी नासा के रोबोटिक एक्सप्लोरर्स इस बात के सुराग ढूंढ रहे हैं कि क्या अतीत में इस ग्रह पर जीवन था.

मंगल पर पानी था, पनप सकती थी जिंदगी; फिर कैसे बदल गया 'लाल ग्रह' का मिजाज?

Life on Mars: मंगल ग्रह के राज जानने के लिए लगातार रिसर्च चल रही है. नासा का क्यूरॉसिटी रोवर मंगल पर गेल क्रेटर को और जानने में जुटा हुआ है ताकि यह मालूम किया जा सके कि कैसे जीवन पनपने के लिए मुफीद इस लाल ग्रह का वातावरण बदल गया.

इस बात के सबूत तो पहले ही मिल चुके हैं कि मंगल पर प्राचीन समय में पानी का बड़ा भंडार था. हालांकि मंगल ग्रह की सतह ठंडी और जीवन के लिए मुफीद नहीं है, फिर भी नासा के रोबोटिक एक्सप्लोरर्स इस बात के सुराग ढूंढ रहे हैं कि क्या अतीत में इस ग्रह पर जीवन था.

वैज्ञानिकों को क्या पता चला?

वैज्ञानिकों ने क्यूरियोसिटी पर लगे उपकरणों का इस्तेमाल गेल क्रेटर में खोजे गए कार्बन-समृद्ध खनिजों (कार्बोनेट) की आइसोटॉपिक कंपोजिशन को मापने के लिए किया है, और इस बात के बारे में नई जानकारी हासिल की है कि लाल ग्रह की पुरानी जलवायु किस तरह बदल गई. 

मैरीलैंड के ग्रीनबेल्ट में नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में काम करने वाले डेविड बर्ट ने कहा, इन कार्बोनेट्स के आइसोटॉप वैल्यू इवैपोरेशन की अत्यधिक मात्रा की ओर इशारा करते हैं. इससे पता चलता है कि ये कार्बोनेट शायद ऐसी जलवायु में बना है जो केवल अस्थायी तरल जल को ही सहारा दे सकती है. यह रिसर्च नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में पब्लिश हुआ.

डेविड बर्ट ने कहा, 'हमारे नमूने मंगल की सतह पर जीवन वाले पुराने वातावरण (जीवमंडल) के मुताबिक नहीं हैं, हालांकि इससे अंडरग्राउंड बायोस्फेयर या सतही जीवमंडल की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है, जो इन कार्बोनेटों के बनने से पहले शुरू और समाप्त हो गया था.'

क्यों बदल गया मंगल का वातावरण

आइसोटोप एक तत्व के अलग-अलग वर्जन्स होते हैं जिनका मास अलग-अलग होता है. पानी के इवैपोरेशन के साथ, कार्बन और ऑक्सीजन के हल्के वर्जन वायुमंडल में चले गए जबकि भारी वर्जन पीछे रह गए. ये उच्च मात्रा में जमा हो गए और आखिर में कार्बोनेट चट्टानों में शामिल हो गए.

पेपर में वैज्ञानिकों ने दो ऐसे तरीके बताए, जिसमें गेल में कार्बोनेट्स बन गए. पहले मामले में गेल क्रेटर में होने वाले गीले-सूखे चक्रों की एक सीरीज में कार्बोनेट का निर्माण हुआ. दूसरे तरीके में, कार्बोनेट का निर्माण बहुत नमकीन पानी में हुआ जो गेल क्रेटर में ठंडी, बर्फ बनाने वाली (क्रायोजेनिक) स्थितियों में था.

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