ब्रिटेन में वैज्ञानिक एक महाप्रयोग कर रहे हैं जिसमें एक छोटे से कमरे में सूरज से दोगुना तापमान पैदा किया जाएगा. वैज्ञानिक पिछले कई दशकों से इस पर काम कर रहे हैं.
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नई दिल्ली: ब्रिटेन में वैज्ञानिक एक महाप्रयोग कर रहे हैं जिसमें एक छोटे से कमरे में सूरज से दोगुना तापमान पैदा किया जाएगा. वैज्ञानिकों के मुताबिक, अगर ये प्रयोग सफल रहता है तो दुनिया में ऊर्जा का संकट हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा. वैज्ञानिक पिछले कई दशकों से इस पर काम कर रहे हैं.
यूरो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिणी इंग्लैंड के एक छोटे से कस्बे में ये प्रयोग किया जा रहा है. वैज्ञानिक सूरज की तरह धरती पर प्रचंड गर्मी पैदा करने को लेकर एक प्रयोग करेंगे. यहां पर न्यूक्लियर फ्यूजन के जरिए 5 करोड़ डिग्री सेल्सियस तापमान पैदा किया जाएगा. ये तापमान सूरज की गर्मी से दोगुना है.
ब्रिटेन के ऑक्सफोर्डशायर में वैज्ञानिक प्रयोग के दौरान न्यूक्लियर फ्यूजन की प्रक्रिया के जरिए बड़े पैमाने पर लो कॉर्बन एनर्जी पैदा की जाएगी. पिछले कई दशकों से ऐसा करने के प्रयास किए जा रहे थे, लेकिन वैज्ञानिकों को सफलता नहीं मिल रही थी. अब डिडकोट इलाके में स्थित एक प्राइवेट कंपनी टोकामैक एनर्जी अपने परमाणु रिएक्टर को 5 करोड़ डिग्री सेल्सियस तक फायर करने जा रही है.
ये सूरज के कोर के तापमान का लगभग दोगुना है. वैज्ञानिकों का दल हाइड्रोजन एटम्स को एक करने के लिए दबाव डालेगा जिससे हीलियम पैदा किया जा सके. वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस प्रयोग के बाद भविष्य में यहां से सस्ती और साफ ऊर्जा की आपूर्ति हो सकेगी.
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वैज्ञानिक इतने ज्यादा तापमान पर ये प्रयोग इसलिए करने जा रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या न्यूक्लियर फ्यूजन जितनी ऊर्जा इस्तेमाल करता है, उससे ज्यादा ऊर्जा पैदा कर सकता है या नहीं. इस पूरी प्रक्रिया को एक 'टोकामैक' डिवाइस के अंदर किया जाएगा जिसके अंदर शक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड बना हुआ है.
अगर इस फ्यूजन रिएक्टर के अंदर कुछ गड़बड़ हुई तो ये डिवाइस बंद हो जाएगी. इससे खगोलीय गर्मी के बाहर निकलने का कोई खतरा नहीं रहेगा.
कंपनी के भौतिकविद डॉक्टर हन्ना विल्लेट का कहना है कि ये मुश्किल है. हमें इस प्रक्रिया में जीवाश्म ईधन की तुलना में बहुत ज्यादा ऊर्जा मिलती है. नाभिकीय संलयन से मिली ऊर्जा साफ और स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में बदलाव के लिए बड़ा रास्ता हो सकता है. वैज्ञानिक पिछले 50 वर्षों से नाभिकीय संलयन के जरिए ऊर्जा बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली है.