केन्या में मिला प्लास्टिक खाने वाला कीड़ा, एक बड़ी टेंशन से दुनिया को दिला सकता है छुटकारा
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केन्या में मिला प्लास्टिक खाने वाला कीड़ा, एक बड़ी टेंशन से दुनिया को दिला सकता है छुटकारा

Plastic Eating Insect: वैज्ञानिकों ने केन्या में एक ऐसे कीड़े को खोजा है जो प्लास्टिक को खाने में सक्षम है. यह अफ्रीका में मिला अपनी तरह का पहला ऐसा कीड़ा है.

केन्या में मिला प्लास्टिक खाने वाला कीड़ा, एक बड़ी टेंशन से दुनिया को दिला सकता है छुटकारा

Science News: प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में एक नई खोज से उम्मीदें जगी हैं. केन्याई मीलवर्म के लार्वा पॉलीस्टीरिन को आहार बनाने में सक्षम हैं. ये अब उन कीटों में शामिल हो गए हैं जो प्रदूषण फैलाने वाले प्लास्टिक को तोड़ सकते हैं. यह पहली बार है जब अफ्रीका में पाई जाने वाली किसी कीट प्रजाति में ऐसी क्षमता देखी गई है.

पॉलीस्टीरिन को स्टायरोफोम के नाम से भी जाना जाता है. यह प्लास्टिक मैटेरियल खाने, इलेक्ट्रॉनिक्स और इंडस्ट्रियल पैकेजिंग में इस्तेमाल किया जाता है. इसे तोड़ना मुश्किल है. रीसाइक्लिंग के परंपरागत तरीके बेहद खर्चीले हैं और वे प्रदूषक तत्व पैदा कर सकते हैं. इसलिए वैज्ञानिक प्लास्टिक कचरे को निपटाने के जैविक तरीकों की खोज में लगे हैं.

प्लास्टिक को चबा जाता है कीट, पेट में तोड़ता है

केन्याई लेसर मीलवर्म प्लास्टिक को खा सकता है, यह खोज इंटरनेशनल सेंटर फॉर इनसेक्ट फिजियोलॉजी एंड इकोलॉजी से जुड़े वैज्ञानिकों ने की है. उन्होंने पाया कि यह कीट पॉलीस्टीरिन को चबा सकता है. इसके पेट में ऐसा बैक्टीरिया होते हैं जो मैटेरियल को तोड़ देते हैं. लेसर मीलवर्म, Alphitobius darkling झींगुर का लार्वा रूप है. लार्वा अवधि 8 से 10 सप्ताह के बीच रहती है.

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महीने भर से ज्यादा समय तक चले ट्रायल में, वैज्ञानिकों ने लार्वा को सिर्फ पॉलीस्टीरिन खिलाया या फिर पॉलीस्टीरिन और ब्रैन (चोकर). पता चला कि पॉलीस्टाइरीन-चोकर की डाइट पर रहने वाले मीलवर्म, केवल पॉलीस्टाइरीन पर रहने वाले मीलवर्म की तुलना में अधिक दर से जीवित रहे.

पॉलीस्टाइरीन-चोकर वाली डाइट फॉलो करने वाले कीड़े ट्रायल के दौरान कुल पॉलीस्टाइरीन का लगभग 11.7 प्रतिशत विघटित करने में सक्षम रहे. कीड़े की आंत में प्रोटिओबैक्टीरिया और फर्मिक्यूट्स नामक बैक्टीरिया की अधिक मात्रा पाई गई. ये बैक्टीरिया विभिन्न वातावरणों के अनुकूल ढलने और कई प्रकार के जटिल पदार्थों को तोड़ने में सक्षम हैं.

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वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि वे यह पता कर लेंगे कि कचरा निस्तारण के लिए इन एंजाइम को बड़ी मात्रा में बनाया जा सकता है या नहीं.

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