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नई दिल्ली: इंसानी शरीर में 50 करोड़ साल पुराने समुद्री जीव का जीन्स (Genes) आज भी मौजूद हैं. गौरतलब है कि ये जीव प्राचीन समुद्रों में रहते थे. ये देखने में पत्तों, टीयरड्रॉप्स, रस्सी के जैसे घुमावदार आकृतियों जैसे थे. जबकि उस समय के ज्यादातर समुद्री जीव ऐसे नहीं दिखते थे. साइंटिस्ट इसे समुद्री शैतान कह रहे रहे हैं. आइए जानते हैं कि क्या है ये शैतानी जीव और कैसे इसके जीन्स इंसानों के शरीर में आए.
इस अध्ययन के मुताबिक, धरती के शुरुआती दिनों के जीवों के शरीर के आकार, सेंसरी ऑर्गन्स, इम्यून सिस्टम के जेनेटिक कोड आज भी धरती पर अलग-अलग जीवों में मौजूद हैं. इस स्टडी में जिस समय के जीव का जिक्र किया गया है वो एडियाकरन (Ediacaran Era) समय का था. ये जीव समुद्रों की सतह पर चिपके रहते थे. समुद्री सतह को खोदकर खाते-पीते थे.
इन समुद्री जीवों की खासियत ये थी कि ये आकार बदलने वाले रेंजियोमॉर्फ्स (Rangeomorphs) कहे जाते थे. यानी कई सालों तक साइंटिस्ट इन्हें लेकर कन्फ्यूज थे कि इन्हें पत्ता कहें या जीव. इसके रूप बदलने की शैतानी वजह से ही इसे समुद्री शैतान कहा जाता है. इंसानों के अंदर समुद्री शैतान का जीन्स है ये खुलासा किया है वर्जिनिया टेक के शोधकर्ता स्कॉट इवांस ने.
इन जीवों की विचित्रतता और अलग तरह के आकार की वजह से वैज्ञानिक इनका वर्गीकरण नहीं पाए. स्कॉट के साथ कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में जियोलॉजी की प्रोफेसर मैरी ड्रोसेर और वॉशिगंटन स्थित नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री (National Museum of Natural History) के रिसर्च बायोलॉजिस्ट डगलस इरविन ने एडियाकरन समय के 40 प्रजातियों में से 4 जीवों के जेनेटिक्स की जांच की. इन प्रजातियों के फॉसिल ऑस्ट्रेलिया और उसके आसपास मिले थे.
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ये चार जीव हैं- अंडाकार दिखने वाले डिकिनसोनिया (Dickinsonia), आंसू के बूंद जैसे दिखने वाले किंब्रेला (Kimberella), एकदम न हिलने वाले पहिए की आकृति के ट्राईब्रैचिडियम (Tribrachidium) और केंचुएं जैसे दिखने वाले इकारिया (Ikaria). एडियाकरन समय के ये चारों जीव आज के कई जीवों से मिलते-जुलते हैं.
इन चारों जीवों के न तो सिर थे न ही पैर. लेकिन इनमें आज के जीवों के तरह कुछ खास तरह के सामान्य फीचर्स थे. जैसे इनमें से तीन जीव बाएं से दाएं की तरफ संतुलिस सिमेट्री में थे. इनके शरीर अलग-अलग हिस्सों में बंटे थे. आज ये संभव नहीं है कि इन जीवों का जेनेटिक मेकअप किया जा सके लेकिन सिमिट्री और शरीर के हिस्सों का विभाजन इन्हें वर्तमान जीवों से मिलाता है.
स्कॉट के अनुसार, इन चारों जीवों में अत्यधिक उच्च सत्र के जीन्स थे. ये इनके तंत्रिका तंत्र यानी नर्वस सिस्टम का नियंत्रण रखते थे. यानी इनमें रेग्यूलेटरी जीन्स (Regulatory Genes) मौजूद थे. ये रेग्यूलेटरी जीन्स ही शरीर के अन्य जीन्स को अलग-अलग तरह के कामों के लिए संदेश देते हैं. रेग्यूलेटरी जीन्स ही शरीर के विकास के समय ये बताता है कि आंखें कहां होंगी. शरीर के बाकी हिस्से कहां होंगे.
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इस अध्ययन को प्रोसिडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी (Proceedings of the Royal Society B) में प्रकाशित किया गया है. इसमें ये भी बताया गया है कि वैज्ञानिकों ने बेहद जटिल जीन्स का अध्ययन किया है जो नर्वस सिस्टम और मांसपेशियां बनाते हैं. ऐसे जीन्स इन चारों समुद्री जीवों में मौजूद थे और आज के जीव-जंतुओं में भी पाए जाते हैं.
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