बात फि‍जूल की: हम किस दिशा में जा रहे हैं... सोनाक्षी के बहाने ही सही, लेकिन सोचिए ज़रूर
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बात फि‍जूल की: हम किस दिशा में जा रहे हैं... सोनाक्षी के बहाने ही सही, लेकिन सोचिए ज़रूर

जब नई पीढ़ी के संस्कारों का रास्ता आपने बदला तो फिर वो पीढ़ी अपने आराध्य राम की लीला भूल गई, फिर उस पीढ़ी से कैसी शिकायत? अब स्कूलों के सिलेबस से रामलीलाएं धीरे-धीरे खत्म होती जा रही हैं तो फिर सोनाक्षी सिन्हा का क्या दोष?

बात फि‍जूल की: हम किस दिशा में जा रहे हैं... सोनाक्षी के बहाने ही सही, लेकिन सोचिए ज़रूर

एक टीवी शो में रामायण से जुड़े एक सामान्य से सवाल पर बॉलीवुड अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्‍हा का जो गलत जवाब था, उसने पूरे देश में एक नई बहस छेड़ दी है. सोशल मीडिया पर सोनाक्षी इतना ट्रॉल होने लगी कि ट्विटर पर #YoSonakshiSoDumb टॉप ट्रेंड करने लगा. फेसबुक पर भी जोक्स और मीम्‍स की बाढ़ आ गई. हम भारतीय भी अपने बड़े से बड़े गुनाह पर दुनिया से माफी की उम्मीद लगाए रहते हैं, लेकिन दूसरों की छोटी सी गलती पर भी एक सख्त जज बन जाते हैं और फिर सज़ा देने में कोई कसर नहीं छोड़ते. यही सोनाक्षी सिन्हा के साथ भी हुआ.

हनुमान जी किसके लिए संजीवनी बूटी लाए? इस सवाल का जवाब अगर किसी भारतीय और खासकर हिंदू को नहीं आता तो वाकई ये शर्मिंदगी का कारण बन सकता है.. और खासकर तब, जब उस घर का नाम ही रामायण हो जिसमें वो रहती हों... पिता का नाम भगवान राम के छोटे भाई शत्रुघ्न के नाम पर हो औऱ भाइयों का नाम भगवान राम के बेटों लव औऱ कुश के नाम पर हो, लेकिन क्या ये सिर्फ सोनाक्षी के लिए शर्मिंदगी का कारण है? जी नहीं... ये चिंता का विषय इसलिए नहीं है कि सोनाक्षी सिन्हा को इस सवाल का जवाब नहीं आता था. चिंता का विषय इसलिए है कि जिस घर में बच्चों का नामकरण ही भगवान राम के सिद्धान्तों पर होता आया हो, उस घर की एक बेटी उस राम की महिमा से कैसे अनजान रह गई? बॉलीवुड में पहले भी आलिया भट्ट जैसे कईं सितारों का मज़ाक उनके सामान्य ज्ञान को लेकर उड़ाया जाता रहा है, लेकिन सामान्य ज्ञान कम होना और रामायण की बेसिक नॉलेज ना होने में फर्क है और यही फर्क चिंता का विषय है. आलिया भट्ट और अन्य सितारों के सामान्य ज्ञान की कमी समाज के लिए सिर्फ टाइम पास चिंता और ट्रॉल का विषय है, लेकिन सोनाक्षी सिन्हा के ज्ञान की कमी जरुर गंभीर मसला है.

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अपने आसपास मौजूद आज की युवा पीढ़ी को देखिए और समझिए, उनमें भी आपको दर्जनों सोनाक्षी मिलेंगे. आपके आसपास 20 साल तक के युवाओं की फौज़ देखिए. फिल्मों से स्पोर्ट्स तक हर चीज़ से अपडेट होंगे, चाहे वो विराट कोहली का शतक हो या फिर कोई नई रिलीज़ होने वाली फिल्म. आप उनसे रामायण से जुड़े 10 सामान्य सवाल पूछ लीजिए. मेरा दावा है 10 में से 7 सवालों के जवाब ये युवा पीढ़ी नहीं दे पाएगी. ये युवा पीढ़ी जो दिनभर ट्विटर-फेसबुक पर मस्त रहती है, लेकिन रामायण जैसे जीवन से अछूते हैं. इस पीढ़ी को परवाह भी नहीं है कि अगर सोनाक्षी सिन्हा को इस सवाल का जवाब नहीं आया तो इसमें क्या में हुआ? 

 

ट्विटर पर ट्रॉल करते और फेसबुक पर मीम्‍स बनाते लोगों की भी अगर रिसर्च करेंगे तो वो आपको 30 साल से ज्यादा उम्र वाले लोग ही मिलेंगे, जिन्होंने 1987 में दूरदर्शन पर रामायण तब देखी, जब दूसरे किसी सैटेलाइट चैनल का विकल्प ही नहीं होता था. इस पीढ़ी को रामायण के पात्रों की आजतक शक्लें याद होंगी. रामायण बाद में भी सैटेलाइट चैनलों पर आई, लेकिन लोगों ने विकल्प ज्यादा चुने और रामायण को भुलाने लगे.

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आज राम पर चर्चा करते, सोनाक्षी सिन्हा को कटघरे में खड़ा करते 40 पार के वो लोग दिखेंगे, जिन्होंने अपने घरों में समारोहों में रामायण पाठ और हनुमान चालीसा का पाठ होते हुए देखा है और इस सवाल पर उनके ज़ेहन में सीधे एक ही बात कौंधेगी "लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे, आनि संजीवन प्राण उबारे", लेकिन सही मायने में सोनाक्षी सिन्हा जैसी आज की पीढ़ी की इस अज्ञानता के लिए यही लोग ज़िम्मेदार हैं. इनके माता-पिता और पूर्वजों ने तो इन्हें रामायण और धर्म ग्रंथों के बारे में नहीं बताया... 

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30-35 साल से ज्यादा उम्र के लोग ज़रा याद करें कि किस तरह वो अपने माता-पिता के साथ हर बरस नवरात्रों में रामलीला देखने जाते थे, जहां उन्हें धर्म का ज्ञान मिलता था, लेकिन अपने माता-पिता के साथ जाना तो याद रहेगा, लेकिन ये याद नहीं आएगा कि वो अपने बच्चों को कब रामलीला दिखाने ले गए थे. अब वो वक्त नहीं रहा... वो माहौल नहीं रहा... वो जमाना नहीं रहा... रामलीलाओं का वो स्तर नहीं रहा... बड़े शहरों में ये सब कहां होता है... जैसे बहाने मत सोचने लगिएगा.

जब नई पीढ़ी के संस्कारों का रास्ता आपने बदला तो फिर वो पीढ़ी अपने आराध्य राम की लीला भूल गई, फिर उस पीढ़ी से कैसी शिकायत? अब स्कूलों के सिलेबस से रामलीलाएं धीरे-धीरे खत्म होती जा रही हैं तो फिर सोनाक्षी सिन्हा का क्या दोष?

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अब सोनाक्षी सिन्हा के परिवार को ध्यान में रखते हुए एक बार फिर सोचिए. जिस घर का नाम रामायण हो, घर के सदस्यों के नाम शत्रुघ्न, लव-कुश हों. उस घर का कोई सदस्य अगर रामायण के बेसिक पार्ट से भी अनजान है तो गलती उसकी है, जिसने उसे ये जानकारी नहीं दी, ना कि उसकी जिसे ये नहीं पता. सोनाक्षी सिन्हा बेहतरीन अदाकारा हैं. कैमरा फेस करना उसके लिए सामान्य है. उसके साथ कैमरे के सामने घबराने जैसी स्थिति नहीं है. वो साफ दिखता है कि उसे ये सवाल नहीं आता. फिर सवाल ये है कि ग़लत वो है, जिसे सिखाया नहीं गया या फिर वो जिसने सिखाया नहीं? इस सवाल का जवाब ढूंढने आपको शत्रुघ्न सिन्हा तक जाने की ज़रुरत नहीं है. खुद से पूछोगे.. अपने आसपास देखोगे तो जवाब मिल जाएगा. अगर आपकी परवरिश में रामायण और अपने धर्मग्रंथों का स्थान है तो वो आपके बच्चे के जेहन में ताउम्र रहेगा. अगर नहीं है तो फिर आप ऐसे मुद्दों पर किसी को ट्रॉल भी मत कीजिए और किसी सोनाक्षी सिन्हा पर हंसिए भी मत.

(लेखक ज़ी न्यूज़ के डिजिटल एडिटर हैं)

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