'जेंटलमैन गेम' के सबसे बड़े जेंटलमैन, जानें ब्रैडमैन क्यों हैं क्रिकेट के 'डॉन'
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'जेंटलमैन गेम' के सबसे बड़े जेंटलमैन, जानें ब्रैडमैन क्यों हैं क्रिकेट के 'डॉन'

क्रिकेट की दुनिया के महान बल्लेबाज सर डॉन ब्रैडमैन का जन्म 27 अगस्त 1908 को हुआ था, आज उनकी 112वीं जयंती है.

सर डॉन ब्रैडमैन का टेस्ट क्रिकेट में 99.94 का औसत है. (फोटो-Twitter/@ICC)

डॉन ब्रैडमैन अपने नाम के अनुरूप निर्विवाद रूप से दुनिया में क्रिकेट के सर्वमान्य रूप से दुनिया के सर्वकालीन महानतम क्रिकेटर हैं. 20वीं शताब्दी के बेहतरीन बल्लेबाज. क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया के ब्रैडमैन सरीखा  न कोई दूसरा कभी था, न हुआ है न ही होगा. सही मायनों में क्रिकेट में 'लेजेंड कहने के एकमात्र हकदार हैं. क्रिकेट मैदान पर रिकॉर्ड ऐसे आज भी दुनिया का हर क्रिकेटर उन्हें सलाम करता है. ब्रैडमैन के मैदान पर उतरते ही दुनिया भर के गेंदबाजों के चेहरों पर एक सन्नाटा पसर जाता था. 

  1. 27 अगस्त 1908 को सर डॉन ब्रैडमैन का जन्म.
  2. ऑस्ट्रेलिया के लिए ब्रैडमैन ने 52 टेस्ट मैच खेले.
  3. टेस्ट में 100 की औसत को पूरा करने से चूक गए थे.
  4.  

क्रिकेट में दुनिया भर में बेहतरीन बल्लेबाजों की फेहरिस्त बहुत लंबी है लेकिन इनमें कोई भी कभी भी ब्रैडमैन या उनके आस-पास आज तक कहीं नहीं हुआ. भारत के सर्वकालीन महान सलामी बल्लेबाज सुनील गावसकर, मॉडर्न क्रिकेट के दुनिया में सबसे अधिक रन बनाने वाले सचिन तेंदुलकर और उनके रिकॉर्ड के करीब पहुंचने की उम्मीद जगाने वाले मौजूदा कप्तान विराट कोहली तक हर किसी के लिए ब्रेडमैन आज भी क्रिकेट के सबसे सम्मानीय 'डॉन' हैं. 

भारत के महानतम सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्‍कर चेन्नई में वेस्टइंडीज के खिलाफ 28 दिसंबर 1983 को वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज के छठे और आखिरी ड्रॉ रहे टेस्ट में चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए अविजित 236 रन बनाकर अपनी 30 वीं टेस्ट सेंचुरी जड़ते हुए ब्रैडमैन के तब सर्वाधिक 29 टेस्ट शतक के रिकॉर्ड को तोड़ दिया था.

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आलोचकों को गलत साबित किया
भद्रजनों का खेल कहे जाने वाले क्रिकेट के वाकई सबसे बड़े भद्रजन रहे, ब्रैडमैन का जन्म 27 अगस्त, 1908 को ऑस्ट्रेलिया के कोटामुंड्रा (न्यू साउथ वेल्स) में हुआ. दुनिया के क्रिकेट के सबसे बड़े 'डॉन' ब्रैडमैन को उनके जन्मदिन पर याद करने के साथ उनके क्रिकेट के करिश्मों को याद करने के लिए यह एक बेहतरीन मौका है. खुद को मूल रूप से बैकफुट पर खेलने वाला बल्लेबाज मानने वाले ब्रैडमैन बल्ला नीचे से पकड़ते थे.

क्रिकेट के कई जानकारों ने शुरू में ब्रैडमैन की इस तकनीक को इंग्लैंड में खेलने के लिए मुफीद नहीं माना था। ब्रैडमैन ने अपने बल्ले से इंग्लैंड में दमदार प्रदर्शन कर अपने आलोचकों को गलत साबित किया. दरअसल  ब्रैडमैन नैसर्गिक प्रतिभासम्पन्न खिलाड़ी थे. क्रिकेट उन्हें सबसे ज्यादा प्रिय था और इसीलिए उन्होंने खेल और करियर के रूप में इसे ही चुना. ब्रैडमैन इतने प्रतिभाशाली थे कि वह स्कवॉश या टेनिस भी खेलते तो उसमे भी कमयाबी के झंडे गाड़ते.

ब्रैडमैन पुल और ड्राइव तो लगाते ही थी इंग्लैंड के बॉडीलाइन अटैक के खिलाफ उन्होंने अपने स्टंप छोड़कर गैर परंपरागत ढंग से लेग साइड से हटते हुए अपने शरीर को बचाते हुए ऑफ स्टंप पर हुक करके रन बनाए. ब्रैडमैन मुताबिक खुद उनकी सबसे बड़ी ताकत उनकी एकाग्रता थी. ब्रैडमैन बतौर बल्लेबाज एक और बड़ी ताकत थी उनकी विकेट के बीच तेज दौड़. इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि वह अपने करियर में मात्र एक बार रन आउट हुए.

एक दिन में सर्वाधिक 309 रन का रिकार्ड आज भी कायम
एक दिन में एक टेस्ट मैच में तीनों सत्रों में सेंचुरी जड़ कर सर्वाधिक 309* रन बनाने का रिकॉर्ड ब्रैडमैन ने इग्लैंड के खिलाफ हेडिंग्ले में ड्रॉ रहे सीरीज तीसरे टेस्ट में बनाया. इस पारी में वह 334 रन बनाकर आउट हुए. भारत के वीरेंद्र सहवाग श्रीलंका के खिलाफ महज ढाई सत्र में नॉटआउट 284 रन बनाकर उनके करीब पहुंचने वाले दुनिया के एकमात्र बल्लेबाज रहे. 1928 से लेकर 1948 तक के अपने दो दशक लबे टेस्ट क्रिकेट करियर में ऑस्ट्रेलिया के ब्रैडमैन का बल्ला खासतौर पर अपने चिर प्रतिद्वंद्वी इंग्लैंड के खिलाफ सबसे दमदार ढंग से गरजा.

उन्होंने अपने टेस्ट करियर का आगाज अपनी धरती पर ब्रिस्बेन में नवंबर 1928 में ब्रिस्बेन में और अंत इंग्लैंड के खिलाफ ओवल में 18 अगस्त 1948 को किया. ब्रैडमैन ने 52 टेस्ट
मैचों में 29 सेंचुरी और 13 हाफ सेंचुरी सहित 99.94 की औसत से रन 6,996 रन बनाए. इनमें से उन्होंने 5028 रन अकेले इंग्लैंड के खिलाफ बनाए. वह टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में किसी एक प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ 5,000 से अधिक रन बनाने वाले दुनिया के अकेले बल्लेबाज हैं.

आखिरी पारी में शून्य पर आउट न होते तो टेस्ट में औसत 100 होता अपनी आखिरी पारी में ब्रैडमैन इंग्लैंड के लेग स्पिनर एरिक हॉलिज की पर शून्य पर आउट न हुए तो टेस्ट क्रिकेट में उनका औसत 100 का होता. हॉलिज को ब्रेडमैन के इस विकेट ने क्रिकेट इतिहास के पन्नों में अमर कर दिया. दुनिया में 72 बरस बाद भी इस 'शून्य' की चर्चा की जाती है और आने वाले बरसो में होती रहेगी. 92 बरस की उम्र में 25 फरवरी ,2001 को दुनिया को अलविदा कहने के बावजूद ब्रैडमन के बल्ले के जलवे के चर्चे आज भी जारी हैं. ब्रैडमैन के बल्ले से क्रिकेट के करिश्मे ही ऐसे हैं जो कभी खत्म नहीं होंगे.

बॉडीलाइन गेंदबाजी भी ब्रैडमैन को डिगा नहीं सकी 
ब्रैडमैन ने पहले अपने घर ऑस्ट्रेलिया में और फिर इंग्लैंड के खिलाफ उसकी धरती पर टेस्ट सीरीज के बाद जिस तरह ऑस्ट्रेलिया में मेहमान दक्षिण अफ्रीका और वेस्ट इंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरीज में रनों का अंबार लगाया. ब्रैडमैन ने इंग्लैंड के खिलाफ उसके घर में 1930 की एशेज सीरीज में 139.14 रन की औसत से रिकॉर्ड कुल 974 रन बना कर उसकी नींद उड़ा दी थी. ऐसे में ब्रैडमैन को रोकने के लिए इंग्लैड के कप्तान डगलस जॉर्डिन ने ब्रैडमैन को आउट करने के लिए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उसके घर में 1932-33 की सीरीज बॉडीलाइन बॉलिंग करने की रणनीति अपनाई.

इसमें  इंग्लैंड के हेरॉल्ड लारवुड और विल वोस ने ब्रैडमैन के खिलाफ सभी क्षेत्ररक्षक ऑन साइड पर लगा लेग थ्योरी अपना कर शार्ट पिच गेंदबाजी कर इस बॉडीलाइन गेंदबाजी कर अपनी टीम को  पहला टेस्ट जिता दिया.  इसमें बाहर रहने के बाद उन्होंने दूसरे टेस्ट में वापसी की. इंग्लैंड के गेंदबाजो विकेट की बजाय ब्रैडमैन सहित ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को रोकने के लिए बॉडीलाइन गेंदबाजी पर ही भरोसा किया.

दरअसल ब्रैडमैन की बल्लेबाजी की ताकत उनकी एकाग्रता, उनका आत्मविश्वास, एकाग्रता और मैच के मिजाज के मुताबिक खुद को ढालकर खेलने की क्षमता थी. ब्रैडमैन ने इंग्लैंड के गेंदबाजों की उनके शरीर को निशाना बनाकर गेंदबाजी की रणनीति का जवाब शॉर्ट गेंद को भांप कर अपने स्टंप छोड़ ऑफ साइड पर  हुक कर दिय। ब्रैडमैन की दूसरी पारी में सेंचुरी की बदौलत ऑस्ट्रेलिया द्वारा रखे जीत के लक्ष्य को इंग्लैंड की टीम पा नहीं सकी मेजबान टीम ने इसके साथ दूसरा टेस्ट जीत सीरीज में एक -एक की बराबरी पा ली.

इस टेस्ट में इंग्लैंड की बॉडीलाइन गेंदबाजों के सामने ऑस्ट्रेलिया के कई बल्लेबाजों को गंभीर चोट आई और इसके खिलाफ मेजबान टीम के दर्शकों ने एडिलेड में तीसरे टेस्ट से पहले प्रदर्शन किया. तब ऑस्ट्रेलिया के कप्तान वुडफुल ने सही ही कहा था कि मैदान पर दो टीमें जरूर थी लेकिन क्रिकेट केवल टीम ही खेल रही थी. इंग्लैंड ने भले ही यह टेस्ट जीत कर एशेज पर कब्जा वापस कर लिया लेकिन ब्रैडमैन बॉडीलाइन के खिलाफ अडिग होकर खेल कर 56.57 की औसत से 396 रन बनाकर हरेक क्रिकेट प्रेमी का दिल जीतने में सफल रहे.

1935 में एमसीसी ने बॉडीलाइन गेंदबाजी को क्रिकेट की भावना के खिलाफ बताते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया.  ब्रैडमैन को ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी खासे विवाद के बाद मिली. इयान चैपल के नाना विक रिचर्डसन ने अपनी कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया को दक्षिण अफ्रीकी दौरे में वहां 4-0 से जीत दिलाई और इसमें ब्रैडमैन को  शामिल नहीं किया गया था. तब रिचर्डसन को ऑस्ट्रेलिया की नियमित कप्तानी सौंपने की बहस छिड़ गई.

तब ऑस्ट्रेलिया की टीम दो गुट में बंट गई। तब ऑस्ट्रेलिया और  ब्रैडमैन की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया इलेवन के बीच खेला गया. तब ब्रैडमैन की ऑस्ट्रेलिया इलेवन जीती. ब्रेडमैन को ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी 4 दिसंबर, 1936 को इंग्लैंड के खिलाफ एशेज टेस्ट सीरीज में मिली. मेजबान ऑस्ट्रेलिया की टीम सीरीज के शुरू के दोनों टेस्ट हार गई इसमें ब्रेडमैन 4 पारियों में 2 बार शून्य पर आउट हुए. 1 जनवरी को 1937 में सीरीज के मेलबर्न तीसरे टेस्ट में टॉस टेस्ट जीत तीसरे में पहले बल्लेबाजी 9 विकेट पर 200 पर पहली पारी घोषित कर दी.

इसके जवाब में इंग्लैंड ने 9 विकेट पर 76 रन पर अपनी पहली पारी घोषित कर दी. रुक-रुक कर बारिश के कारण पिच अपने मुख्य बल्लेबाजो को बचाने के लिए बल्लेबाजी क्रम एकदम पलटते हुए निचले क्रम के बल्लेबाजों को दूसरी पारी में उपर भेज दिया और तब भी ऑस्ट्रेलिया ने 5 विकेट 97 रन पर खो दिए लेकिन इसके बाद जैक फिलिंगटन(136) और ने 7वें नंबर पर उतरे कप्तान ब्रैडमैन (270) की छठे विकेट की 346 रन की भागीदारी कर 564 का दूसरी पारी में विशाल स्कोर बनाया.

इग्लैंड क टीम जीत के लिए  689 रन के लक्ष्य का पीछा  करते हुए अपनी दूसरी पारी में 323 रन पर सिमट गई और ऑस्ट्रेलिया 365 यह टेस्ट जीत सीरीज में वापसी कर ली. ब्रैडमैन की चौथे टेस्ट की दूसरी पारी में डबल सेंचुरी से ऑस्ट्रेलिया रने  एडिलेड टेस्ट 148 रन से जीत सीरीज में 2-2 की बरबारी पाई. मेलबर्न में ब्रेडमैन की सेंचुरी से ऑस्ट्रेलिया मेलबर्न मे 5वां अंतिम टेस्ट पारी और 200 रन से जीत कर 0-2 से पिछडऩे के बाद एशेज सीरीज 3-2 से अपने नाम करने में कायमाब रही.

ब्रैडमैन ने भारत के खिलाफ भी दिखाया दम
ब्रैडमैन ने लाला अमरनाथ की कप्तानी वाली भारतीय क्रिकेट टीम के  खिलाफ 1947 -1948 में पांच  टेस्ट सीरीज में ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी कर उसे 4-0 से जीत दिलाई. इसमें ब्रैडमैन ने बतौर कप्तान और बल्लेबाज बेहतरीन प्रदर्शन किया। ब्रैडमैन ने भारत के खिलाफ 5 टेस्ट मैच की इस सीरीज में 6 पारियों में 2 बार नॉट आउट रहरकर 1 डबल सेंचुरी और 3 सेंचुरी सहित 4 सेंचुरी की मदद से 178.75 की औसत से कुल 715 रन बनाए. इसमें मेलबर्न में टेस्ट की दोनों पारियों में सेंचुरी जड़ी.

भारत की ओर इस टेस्ट सीरीज में वीनू मांकड और विजय हजारे ने दो-दो तथा दत्तू फडकर ने एक सेंचुरी जड़ी. भारत के लिए लाला अमरनाथ ने सीरीज में सबसे ज्यादा 10 और वीनू मांकड ने 9 विकेट चटकाए. इस टेस्ट सीरीज में ब्रैडमैन को 2 बार विजय हजारे और  लाला अमरनाथ तथा दत्तू फडकर ने एक एक बार आउट किया. ब्रिस्बेन में सीरीज के पहले टेस्ट भारत के कप्तान लाला अमरनाथ की गेंद को बैकफुट पर उड़ाने के प्रयास में ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी में वह हिट विकेट आउट हुए.

ऑस्ट्रेलिया ने यह टेस्ट पारी और 226 रन से जीता. सिडनी में सीरीज का दूसरा टेस्ट ड्रॉ रहा और इसमें ब्रैडमैन (13) को ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी विजय हजारे ने आउट किया. यही एकमात्र टेस्ट रहा जहां भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहली पारी में बढ़त हासिल की. मेलबर्न में तीसरा टेस्ट ऑस्ट्रेलिया ने 233 रन से जीता. इसमें ब्रैडमैन ने ऑस्ट्रेलिया की ओर से दोनों पारियों में ब्रेडमैन ने और भारत की ओर से वीनू मांकड इस टेस्ट सीरीज की पहली टेस्ट सेंचुरी जड़ी.

ब्रैडमैन की डबल सेंचुरी से ऑस्ट्रेलिया सीरीज का चौथा टेस्ट पारी और16 रन से जीत कर सीरीज मे 3-0 की बढ़त जरूर ली लेकिन भारत की ओर से इस टेस्ट में दोनों पारियों विजय हजारे दो सेंचुरी जड़ी। भारत के लिए पहली पारी में दत्तू फडकर ने भी सेंचुरी जड़ी. ऑस्ट्रेलिया ने मेलबर्न में सीरीज का 5वां  और अंतिम टेस्ट पारी और 177 से जीत कर सीरीज 4-0 से अपने नाम की. भारत की ओर से अंतिम टेस्ट में वीनू मांकड ने सीरीज की अपनी दूसरी सेंचुरी जड़ी.

भले ही अपनी ही धरती पर ऑस्ट्रेलिया ने भारत से यह टेस्ट सीरीज जीती लेकिन मेहमान भारत की ओर से उसके कप्तान लाला अमरनाथ, विजय हजारे, वीनू मांकड और दत्तू फड़कर ने जीवट दिखाकर अपनी एक अलग पहचान बनाई. लेग स्पिनरों ने जरूर किया ब्रेडमैन को परेशान स्पिनर खासतौर पर खासतौर पर लेग स्पिनरों चाहे वह उनके अपने आस्ट्रेलिया के क्लेरी ग्रिमेट और बिल ओ रिली हो या फिर इंग्लैंड केउ वेरिटी ने ब्रैडमैन के परेशान करने के साथ आउट भी किया.

ग्रिमेट ने ब्रैडमैन को दस बार आउट किया. वहीं इंग्लैंड के लिए खेलते हुए वेरिटी ने ब्रेडमैन को 8 बार आउट किया. दरअसल अपनी क्रीज छोड़ कर अपनी गेंद को उड़ाने का मौका नहीं दिया क्योकि कलाई से गेंद को स्पिन कराते थे. इनके साथ ही इंग्लैंड के इयान पीबल्स और वाल्टर रॉबिंस जैसे लेग स्पिनरों ने खासा परेशान किया. ब्रैडमैन 1948 में ओवल में अपने आखिरी टेस्ट में इंग्लैंड के लेग स्पिनर एरिक हॉलिस की गेंद पर ही शून्य पर ही बोल्ड होकर 100 रन के औसत से पूरी करने से चूक गए.

बचपन में स्टंप को बल्ला बनाकर गोल्फ गेंद से खेले
बचपन में ब्रैडमैन को जब क्रिकेट खेलने का चस्का लगा तो उनके पास न तो बल्ला और न ही क्रिकेट का बल्ला। उनके पास एक विकेट थी, एक गोल्फ की गेंद और अपने पुश्तैनी घर के सामने लगी बड़ी टंकी. इन तीनों के सहारे बालक 'डॉन' ने अपना क्रिकेट कौशल को निखारना शुरू किया. बचपन में ब्रैडमैन अपने पुश्तैनी घर के बाहर बल्ले के रूप में विकेट से पूरी ताकत से गोल्फ की गेंद को शॉट जमाते तो गेंद टंकी को लगकर उतनी ही तेजी से कई मुश्किल कोण से वापस लौटती तो फिर पलक झपकते ही अपने 'बल्ले' से तुरंत उसे रोकने या उस पर फिर उतनी ही तेजी से वापस टैंक पर प्रहार कर शॉट जमाते.

इससे बचपन से बतौर बल्लेबाज रिफलेक्स बहुत तेज हो गए। इससे बल्ले को नीचे से पकड़ कर गेंद को ड्राइव करने की तकनीक विकसित की और अनुभव और वक्त बीतने के साथ उनकी यह तकनीक और कारगर होती चली गई. ब्रैडमैन ने गेंद को भांपने की इस कला और तुरंत गेंद तक पहुंचने के लिए इस 'टंकी' का बड़ा योगदान माने हैं.

अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में धमाकेदार आगाज
मात्र 12 बरस की उम्र में छोटे शहर बावरल के ब्रैडमैन ने स्कूल में पहली सेंचुरी जड़ी और तो आगे और आगे बढते ही चले। मात्र 19 बरस की उम्र में अपने प्रथम श्रेणी के करियर का आगाज न्यू साउथ वेल्स के लिए सेंचुरी जडने के साथ किया. ब्रैडमैन ने ऑस्ट्रेलिया के अपने टेस्ट करियर का आगाज 1928 में ब्रिस्बेन में इंग्लैंड के खिलाफ मात्र 20 बरस उम्र में किया लेकिन मात्र 1 और18 रन ही बना पाए और अगले टेस्ट के लिए बाहर कर दिए.

मेलबर्न में तीसरे टेस्ट  टीम में वापसी करने वाले ब्रैडमैन ने इसकी दूसरी पारी में अपने टेस्ट करियर की पहली सेंचुरी पूरी लेकिन इसके बावजूद ऑस्ट्रेलिया यह टेस्ट और सीरीज हार गया. रनों का पीछा करते हुए ब्रैडमैन की दूसरी पारी में हाफ सेंचरी के बाद रनआउट होने से ऑस्ट्रेलिया तीसरा टेस्ट मात्र 12 रन से हार गया और 5 टेस्ट की सीरीज में 0-4 पिछड़ भी गया. ब्रैडमैन के पूरे टेस्ट करियर में यही एकमात्र मौका जब वह रनआउट  हुए। ब्रैडमैन की दूसरी पारी में बेहतरीन बल्लेबाजी से ऑस्ट्रेलिया इस सीरीज में 5वां और अंतिम टेस्ट जीत पाया.

ब्रैडमैन की यह पहली टेस्ट सीरीज थी और इसमें भले ही ऑस्ट्रेलिया की टीम इंग्लैंड से बुरी तरह हार गई लेकिन ब्रैडमैन ने दो सेंचुरी और दो हाफ सेंचुरी जड़ एक नए सितारे के आगमन की घोषणा जरूर कर दी. तकनीक पर सवाल उठाने वालों को सेंचुरी जड़ दिया जवाब बल्ले को नीचे से पकड़ कर खेलने की ब्रैडमैन की तकनीक को लेकर क्रिकेट के कई पारखियों ने उनके इंग्लैंड के नम मौसम में मेजबान टीम के खिलाफ कामयाब होने को लेकर सवाल उठाए थे.

ब्रैडमैन इसका जवाब इंग्लैंड के खिलाफ उसके घर में अपने अृर सीरीज क पहले ही टेस्ट में सेंचुरी जड़ कर दिया भले ही उनकी ऑस्ट्रेलियाई टीम यह टेस्ट हार गई. ब्रैडमैन ने लॉडर्स टेस्ट में 254 रन बना़ ऑस्ट्रेलिया को जीतने के साथ सीरीज में बराबरी भी दिला आलोचकों को करारा जवाब दिया. खुद ब्रैडमैन ने इसी अपनी बेस्ट पारी माना. हेडिंग्ले में सीरीज के तीसरे टेस्ट में ब्रैडमैन मे हर सत्र में सेंचुरी जड़ कर 309 रन बनाकर नॉटआउट  रहे जो कि बनाए जो कि आज भी एक दिन में टेस्ट क्रिकेट में दुनिया के किसी भी बल्लेबाज द्वारा एक दिन में बनाया सर्वोच्च स्कोर है.

ब्रैडमैन ने इस टेस्ट में 334 रन बनाए और तीसरा टेस्ट ड्रॉ रहा. ओवल में रुक रूक कर होती बारिश और खुली पिच पर इंग्लैंड के तूफानी गेंदबाज हेरॉल्ड लॉरवुड की तूफानी और आग उगलती गेंदों के सामने गजब की एकाग्रता दिखाकर डबल सेंचुरी जड़ कर ऑस्ट्रेलिया को चौथा और निर्णायक टेस्ट जिता कर एशेज ट्रॉफी वापस दिलाई. 4 टेस्ट मैचों की सीरीज में उनका 974 रन का रिकार्ड अभी तक अजेय है.

रिकॉर्ड ऐसे की किसी को भी हो सकता रश्क
ब्रैडमैन का टेस्ट करियर में 12 डबल टेस्ट सेंचुरी का रिकॉर्ड आज भी अजेय है. उनके बाद भारत के सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट में 6 -6 डबल सेंचुरी जड़ी है. ब्रैडमैन का सर्वोच्च टेस्ट स्कोर 334 रन है, जो कि इंग्लैंड के खिलाफ बनाया. ब्रैडमैन ने अपना आखिरी टेस्ट मैच 14 अगस्त 1948 को इंग्लैड के खिलाफ खेला और इसकी पहली पारी में वह दूसरी गेंद खेलते हुए एरिक होलिस द्वारा बोल्ड कर दिए गए. ऑस्ट्रेलिया ने इसके बावजूद यह टेस्ट पारी से जीत कर ब्रैडमैन को शानदार विदाई दी.

वह एक अंतराल में 6 बार सेंचुरी जडऩे वाले दुनिया के अकेले बल्लेबाज हैं. ब्रैडमैन ने एक बार लंच से पहले, दो बार लंच और चाय के बीच और तीन बार चाय और दिन का खेल खत्म टेस्ट में सेंचुरी पूरी की. उनके सम्मान में ऑस्टे्रलिया सरकार ने उनके जन्मदिन 27 अगस्त के मौके पर 2008 को डाक टिकट जारी किया. अपने टेस्ट करियर में कुछ छह छक्के लगाए. इनमें 5 छक्के इंग्लैंड और एक भारत के खिलाफ जड़ा.

एक रोचक तथ्य यह है कि अपने टेस्ट करियर में अपनी लेग स्पिन से मात्र दे विकेट लिए और दोनों एडिलेड में. इनमें पहला विकेट 1930 में एडिलेड में सीरीज के पहले वेस्टइंडीज के इवान बारो और दूसरा तीन बरस बाद वाल्टर हेमंड के विकेट के रूप में चटकाया.

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