हरियाणा के तेज गेंदबाज अंशुल कंबोज ने मौजूदा रणजी ट्रॉफी की एक पारी में सभी 10 विकेट लेकर इतिहास रच दिया. वह रणजी ट्रॉफी में यह कमाल करने वाले सिर्फ तीसरे गेंदबाज बन गए. वहीं, फर्स्ट क्लास क्रिकेट में यह उपलब्धि हासिल करने वाले कुल छठे भारतीय गेंदबाज भी बने.
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Debasis Mohanty 10 wicket haul: टेस्ट मैच की एक पारी में जब भी सभी 10 विकेट चटकाने के रिकॉर्ड का जिक्र होता है तो अनिल कुंबले का नाम जरूर आता है, क्योंकि वह उन चुनिंदा तीन बॉलर्स में शामिल हैं, जिन्होंने यह करिश्मा किया है. कुंबले की तरह ही हरियाणा के तेज गेंदबाज एक पारी में 10 विकेट लेकर इतिहास रच दिया. बस फर्क था कि यह फर्स्ट क्लास क्रिकेट में हुआ. युवा पेसर अंशुल कंबोज ने मौजूदा रणजी ट्रॉफी की एक पारी में सभी 10 विकेट लेने का करिश्मा किया और रणजी में यह कमाल करने वाले सिर्फ तीसरे गेंदबाज बन गए. वहीं, फर्स्ट क्लास क्रिकेट में यह उपलब्धि हासिल करने वाले कुल छठे भारतीय गेंदबाज भी बने. एक और भारतीय गेंदबाज ने यही कमाल 2001 में किया था. हालांकि, उसका टेस्ट करियर सिर्फ तीन महीने में ही खत्म हो गया.
अंशुल के नाम हुई अनोखी उपलब्धि
अंशुल कंबोज ने लाहली के चौधरी बंसी लाल क्रिकेट स्टेडियम में खेले गए हरियाणा और केरल के बीच मैच के तीसरे दिन 30.1 ओवर में 49 रन देकर 10 विकेट चटकाकर यह अनोखा कीर्तिमान स्थापित किया. दूसरे दिन आठ विकेट लेने के बाद कंबोज ने तीसरे दिन का खेल शुरू किया और बेसिल थंपी और शॉन रोजर को जल्दी आउट करके शानदार दस विकेट पूरे किए. इस दौरान उन्होंने अपने 19वें फर्स्ट क्लास क्रिकेट मैच में 50 विकेट भी पूरे किए.
इस भारतीय ने भी लिए थे 10 विकेट
कंबोज रणजी ट्रॉफी मैच में सभी दस विकेट लेने वाले गेंदबाजों की उस लिस्ट में शामिल हो गए हैं, जिसमें प्रेमांसु चटर्जी भी शामिल हैं, जिन्होंने 1956 में बंगाल-असम मैच में 20 रन देकर 10 विकेट लिए थे. प्रदीप सुंदरम ने 1985 में राजस्थान-विदर्भ मैच में 78 रन देकर 10 विकेट लिए थे. इन बॉलर्स की तरह ही पूर्व तेज गेंदबाज देबाशीष मोहंती ने भी दलीप ट्रॉफी में यही कमाल किया था, जब साउथ जोन और ईस्ट जोन के बीच 2001 में हुए मुकाबले की पहली ही पारी में 10 विकेट झटके. हालांकि, उनका टेस्ट करियर सिर्फ तीन महीने तक ही सीमित रहा.
तीन महीने में टेस्ट करियर खत्म
देबाशीष मोहंती ने टेस्ट क्रिकेट में 1997 में श्रीलंका के खिलाफ मैच से कदम रखा. अगस्त में उन्होंने यह मुकाबला खेला. हालांकि, वह इस फॉर्मेट में ज्यादा आगे नहीं बढ़ सके और सिर्फ 2 मैच खेलकर ही टेस्ट करियर पर ब्रेक लग गया. उन्होंने 1997 नवंबर में श्रीलंका के खिलाफ अपना आखिरी टेस्ट खेला. इसके बाद उन्हें टेस्ट टीम में कभी जगह नहीं मिली. दो टेस्ट मैचों में देबाशीष ने चार विकेट लिए. हालांकि, उनका वनडे करियर लंबा रहा. उन्होंने भारत के लिए 45 वनडे मैच खेले, जिसमें 57 विकेट चटकाए.