रणजी ट्रॉफी को नया चैंपियन मिल गया है. सौराष्ट्र ने बंगाल के खिलाफ पहली पारी में बढ़त के आधार पर ट्रॉफी अपने नाम की.
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राजकोट: भारत के सबसे प्रतिष्ठित क्रिकेट टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) को नया चैंपियन मिल गया है. स्टार क्रिकेटर चेतेश्वर पुजारा की टीम सौराष्ट्र (Saurashtra) ने शुक्रवार को यह खिताब अपने नाम कर लिया. उसने बंगाल (Bengal) के सपनों को तोड़ते हुए रणजी ट्रॉफी 2019-20 (Ranji Trophy 2019-20) अपने नाम की. सौराष्ट्र पहली बार रणजी चैंपियन बना है. उसने पहली पारी की बढ़त के आधार पर ट्रॉफी पर कब्जा किया.
सौराष्ट्र और बंगाल के बीच रणजी ट्रॉफी का फाइनल राजकोट के स्टेडियम में खेला गया. सौराष्ट्र ने मैच में पहले बैटिंग की. उसने अपनी पहली पारी में 425 रन बनाए थे. बंगाल की टीम इसके जवाब में पहली पारी में 381 रन ही बना सकी. इस तरह सौराष्ट्र को पहली पारी में 44 रन की बढ़त मिली. टेस्ट क्रिकेट के स्टार खिलाड़ी चेतेश्वर पुजारा (Cheteshwar Pujara) ने पहली पारी में 66 रन बनाए. वे दूसरी पारी में बैटिंग करने नहीं उतरे.
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मैच के पांचवें और आखिरी दिन शुक्रवार को जब खेल शुरू हुआ तब तक मुकाबला बराबरी का था. बंगाल ने पांचवें दिन छह विकेट पर 354 रन से आगे खेलना शुरू किया. उसके पास सौराष्ट्र पर बढ़त लेकर ट्रॉफी पर कब्जा करने का मौका था. वह ऐसा नहीं कर सका. बंगाल की पूरी टीम 381 रन पर सिमट गई. इसके साथ ही उसकी चैंपियन बनने की उम्मीदें भी खत्म हो गईं.
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सौराष्ट्र ने पांचवें दिन फिर बैटिंग शुरू की. उसने दिन का खेल खत्म होने तक चार विकेट के नुकसान पर 105 रन बनाकर अपनी बढ़त को और मजबूत कर ली. अंतत: पहली बार रणजी ट्रॉफी विजेता की ट्रॉफी उठाई. दूसरी पारी में सौराष्ट्र के लिए हार्विक देसाई ने 21, अवि बारोट ने 39, विश्वराज जडेजा ने 17 रन बनाए.
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सौराष्ट्र तीन बार पहले भी फाइनल में पहुंची थी लेकिन एक भी बार खिताब नहीं जीत सकी थी. उसे 2012-13 और 2015-16 के फाइनल में मुंबई ने चैंपियन बनने से रोक दिया था. इसी तरह पिछले साल विदर्भ ने सौराष्ट्र के मंसूबों पर पानी फेरते हुए रणजी ट्रॉफी का खिताब जीता था.
बंगाल की बात करें तो उसके पास 30 साल बाद चैंपियन बनने का मौका था. वह इसका फायदा नहीं उठा पाया. बंगाल ने आखिरी बार 1989-90 में खिताब जीता था. बंगाल की टीम इसके बाद 2005-06, 2006-07 में फाइनल में तो पहुंची, लेकिन खिताब से महरूम रह गई.