D Gukesh: चेस में विश्वनाथ आनंद के बाद भारत को एक और वर्ल्ड चैंपियन मिल गया है. 12 दिसंबर को महज 18 साल की उम्र में डी गुकेश ने डिफेंडिंग चैंपियन डिंग लिरेन को करारी शिकस्त देकर इतिहास रच दिया. आइए जानते हैं कि इस खिलाड़ी का करियर कैसे शुरू हुआ और कैसे गुकेश ने 10 साल के करियर में ही इतिहास रचा.
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D Gukesh: चेस में विश्वनाथ आनंद के बाद भारत को एक और वर्ल्ड चैंपियन मिल गया है. 12 दिसंबर को महज 18 साल की उम्र में डी गुकेश ने डिफेंडिंग चैंपियन डिंग लिरेन को करारी शिकस्त देकर इतिहास रच दिया. वह सबसे कम उम्र में वर्ल्ड चैंपियन बनने वाले प्लेयर साबित हुए. बचपन से ही गुकेश मास्टरमाइंड थे और 7 साल की उम्र से उन्होंने स्कूली तौर पर चेस में हाथ आजमाना शुरू किया था. आइए जानते हैं कि इस युवा ग्रैंडमास्टर ने कैसे 10 साल में बुलंदियों को छुआ.
चीन के मास्टर को दी शिकस्त
12 दिसंबर को सिंगापुर में डी गुकेश और चीन के डिफेंडिंग वर्ल्ड चैंपियन डिंग लिरेन के बीच निर्णायक मुकाबला हुआ. 14वें गेम में उन्होंने आखिरी चाल में डिंग लिरेन को मात दे दी. इस जीत के बाद 18 साल की उम्र में गुकेश विश्वनाथन आनंद के बाद शास्त्रीय शतरंज में विश्व चैंपियन बनने वाले दूसरे भारतीय बन गए. गुकेश ने रूस के दिग्गज गैरी कास्परोव के रिकॉर्ड को ध्वस्त किया जिन्होंने यह कारनामा 22 साल की उम्र में किया था.
रोमांचक हुआ मैच
गुकेश और डिंग के बीच मुकाबले में कांटे की टक्कर देखने को मिली. निर्णायक मैच तक दोनों 6.5 अंको के साथ बराबरी पर टिके थे. लेकिन चीन के चैंपियन की एक गलती मुकाबले पर भारी पड़ी. उन्होंने समय के दबाव में ऐसी मिस्टेक कर दी कि उबर ही नहीं पाए और गुकेश ने खिताबी जीत दर्ज कर ली. गुकेश जीत के बाद भावुक नजर आए और उन्होंने अपने पिता को गले लगाया. जीत के बाद गुकेश ने कहा, 'यह मेरे जीवन का सबसे अच्छा दिन है.'\
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7 साल से की थी शुरुआत
गुकेश का जन्म साल 2006 में हुआ था. वह एक तेलुगु परिवार में जन्मे थे और उन्होंने महज 7 साल की उम्र से ही चेस खेलना शुरू कर दिया था. एक साल बाद ही उन्होंने एशियाई स्कूल शतरंज चैंपियनशिप अंडर-9 वर्ग में बाजी मारी. इसके बाद साल 2018 में अंडर 12 वर्ग में विश्व युवा शतरंज चैंपियनशिप जीती. यह साल उनके लिए लकी साबित हुआ क्योंकि इस साल उन्होंने अंडर-12 की प्रतियोगिताओं में 5 गोल्ड जीते थे. जनवरी 2019 में 12 साल और सात महीने की उम्र में ही गुकेश इतिहास के दूसरे सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बने.