Pakistan News: पाकिस्तान (Pakistan) के कार्यवाहक पीएम की रेस में अनवर उल हक काकर (Anwar ul Haq Kakar) ने सबको पीछे छोड़ दिया है. आइए जानते हैं कि मुश्किल समय काकर ये बड़ी जिम्मेदारी क्यों दी गई है.
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Anwar ul Haq Kakar News: पाकिस्तान (Pakistan) में चल रही सियासी खींचतान के बीच अनवर उल हक काकर (Anwar ul Haq Kakar) को बतौर कार्यवाहक प्रधानमंत्री (Caretaker PM) के तौर पर चुन लिया गया है. काकर आम चुनाव होने तक पाकिस्तान का कार्यभार संभालेंगे. पाकिस्तान में कार्यवाहक पीएम बनने की रेस में कई बड़े चेहरे शामिल थे. लेकिन बताया जा रहा है कि काकर के पाकिस्तानी सेना से अच्छे संबंध हैं जिसकी वजह उन्हें ये इनाम दिया गया. हालांकि, काकर के लिए ये सफर आसान नहीं होने वाला है.
कौन हैं अनवार उल हक काकर?
पाकिस्तान में भारी उथल-पुथल और लंभी खींचतान के बाद कार्यवाहक प्रधानमंत्री मिल गया है. जिसके लिए बलूचिस्तान से बतौर स्वतंत्र सीनेटर अनवार उल हक काकर को चुना गया है. अनवार उल हक का नाम दो बैठकों के बाद तय हुआ है. केयर टेकर पीएम चुनने के लिए शहबाज शरीफ और राजा रियाज के बीच पहली बैठक 10 अगस्त को हुई थी. इसके बाद वो कल रात फिर डिनर पर मिले.
2018 में चुने गए थे सीनेटर
पाकिस्तान मीडिया के मुताबिक, अनवार उल हक का केयरटेकर पीएम बनना लगभग तय था. इसकी वजह उनसे जुड़ा कोई बड़ा विवाद नहीं होना है. 2018 में काकर पहली बार बतौर इंडिपेंडेंट कैंडिडेट सीनेटर चुने गए थे. वहीं इससे पहले पाकिस्तान के कार्यवाहक पीएम चुनने की रेस में कई नाम शामिल थे जिनमें पूर्व पीएम शाहिद खाकान अब्बासी, पूर्व वित्त मंत्री इशाक डार, पूर्व राजनयिक जलील अब्बास जिलानी, पाकिस्तान के पूर्व न्यायधीश तस्सुदक हुसैन जिलानी, पाकिस्तान सीनेट के चेयरमैन सादिक संजरानी और सीनेट अनवर-उल-हक काकर का नाम शामिल था. लेकिन इस रेस में काकर ने बाजी मारी.
काकर के कंधों पर कई बड़ी जिम्मेदारियां
ऐसे में काकर ने कुर्सी की रेस तो जीत ली लेकिन मौजूदा दौर में बदहाल पाकिस्तान की गद्दी पर बैठने के बाद काकर के कंधों पर कई बड़ी जिम्मेदारियां हैं जिनसे पार पाना उनके लिए कठिन भरा होगा. पाकिस्तान के ताजा हालातों को देखते हुए उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती 90 दिनों के भीतर चुनाव कराना होगा. साथ ही इमरान समर्थकों के प्रदर्शन को रोकने और देश में चुनाव के लिए अनुकूल माहौल तैयार करना होगा.
इसके साथ ही नाजुक मोड़ पर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की चुनौती होगी. कंगाली की कगार पर खड़े पाकिस्तान के लिए उन्हें आर्थिक मामलों पर नीतिगत निर्णय भी लेने होंगे. काकर को कर्जे में डूबे पाकिस्तान को भी उबारे की भी जिम्मेदारियों से पार पाना होगा. पाकिस्तान में बतौर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के इस्तीफा देने के बाद 9 अगस्त को असेंबली भंग की गई थी. जिसके बाद चुनाव से पहले समय के बीच अंतरिम या कार्यवाहक सरकार बनाई जाती है. जिसके लिए संसद भंग होने के 3 दिन के भीतर प्रधानमंत्री और नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता आम सहमति से कार्यवाहक प्रधानमंत्री के नाम की सिफारिश करते हैं. जिस पर राष्ट्रपति इस सिफारिश पर मुहर लगाते हैं. इसके साथ ही कार्यवाहक पीएम चुनाव होने तक सरकार चलाता है.
अब ऐसे में पाकिस्तान में 90 दिनों के अंदर चुनाव कराना बड़ी चुनौती बना हुआ है क्योंकि काउंसिल ऑफ कॉमन इंट्रेस्ट ने पिछले हफ्ते जनगणना 2023 को मंजूरी दी थी. अब इलेक्शन कमीशन ऑफ पाकिस्तान को इसी जनगणना के आधार पर नए चुनाव क्षेत्र बनाने हैं जिसके लिए यहां के चुनाव आयोग ने कम से कम 6 महीने का वक्त मांगा है. अनवर-उल-हक काकर के पास चुनौतियां ज्यादा हैं और वक्त कम, ऐसे में उनकी मिली जिम्मेदारी किसी कांटों भरे ताज से कम नहीं है. अब देखना ये होगा कि अब तक गुमनाम रहने वाले काकर जिम्मदेरियों के दबाव में निखर के आएंगे या फिर बिखर जाएंगे.