सुधीर मापुस्कर नाम के इस शख्स पर आरोप है कि उसने कंपनी के खाते से 1.08 करोड़ रुपये निकालकर अपने नाम पर एक इंश्योरेंस स्कीम में लगा दिए. लेकिन यह स्कीम फर्जी निकली और सारे पैसे डूब गए.
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एक प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले एक अकाउंटेंट के साथ कुछ ऐसा हुआ, जिसने हर किसी को हैरान कर दिया. सुधीर मापुस्कर नाम के इस शख्स पर आरोप है कि उसने कंपनी के खाते से 1.08 करोड़ रुपये निकालकर अपने नाम पर एक इंश्योरेंस स्कीम में लगा दिए. लेकिन यह स्कीम फर्जी निकली और सारे पैसे डूब गए. सुधीर 1992 से जैना इलेक्ट्रिक एंड मैकेनिक वर्क नामक कंपनी में अकाउंटेंट के तौर पर काम कर रहे थे.
कंपनी में लगभग तीस साल काम करने के चलते, सुधीर को कंपनी का भरोसा हासिल हो गया था और उन्हें कंपनी के बैंक लेनदेन के लिए ओटीपी (OTP) अपने मोबाइल फोन पर प्राप्त करने की अनुमति भी मिल गई थी. आजाद मैदान पुलिस स्टेशन के अधिकारियों द्वारा दायर चार्जशीट के अनुसार, इस भरोसे का फायदा उठाते हुए अकाउंटेंट ने कंपनी के तीन बैंक खातों से बड़ी रकम अपने निजी खातों में ट्रांसफर कर दी.
मालिक ने दर्ज कराई शिकायत
चार्जशीट में लिखा है कि कंपनी के चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा कराए गए फॉरेंसिक ऑडिट की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मई 2016 से मार्च 2023 के बीच 1.08 करोड़ रुपये की राशि फर्जी तरीके से ट्रांसफर की गई थी. कंपनी के मालिक, फाली दादी पलकीवाला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें बताया गया है कि अकाउंटेंट ने कर्मचारियों के Provident Fund, सैलरी और करों के लिए रखे गए पैसों को हड़प लिया था.
रुपये डबल स्कीम पड़ी भारी
पुलिस का कहना है कि गिरफ्तार अकाउंटेंट ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है. उसने बताया है कि 2021 में चार लोगों ने उससे 'डबल मनी' (दोगुना पैसा) करने का लालच दिया था. पुलिस ने बताया कि इस लालच में आकर उसने कंपनी के पैसों का इस्तेमाल किया. एक पुलिस वाले ने बताया कि 'इसका असर बाकी कर्मचारियों पर भी पड़ा, जिनकी तनख्वाह कुछ समय के लिए रुक गई.'
1.08 करोड़ रुपये के गबन में से, अकाउंटेंट ने कई तरह के टैक्स और कर्मचारियों के फायदे के लिए रखे गए पैसों का इस्तेमाल किया था:
- रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (ROC) के तहत दिए जाने वाले 67 लाख रुपये.
- 2 लाख रुपये इनकम टैक्स के लिए.
- 48.06 लाख रुपये गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) के लिए.
- कर्मचारियों के भविष्य निधि (Provident Fund) के लिए 4.93 लाख रुपये.
- कर्मचारियों की तनख्वाह के लिए 4.75 लाख रुपये.
अकाउंटेंट ने यह भी कबूल किया है कि उसकी योजना थी कि इंश्योरेंस स्कीम से पैसा मिलने के बाद, उसने कंपनी के पैसों को वापस कर दिया होता.