अगर मई में ही करेंगे चारधाम यात्रा तो देखने को मिलेगी बर्फ की मोटी चादर
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अगर मई में ही करेंगे चारधाम यात्रा तो देखने को मिलेगी बर्फ की मोटी चादर

इस साल सर्दियों में केदारनाथ में 15-20 फुट बर्फ पड़ी जो पिछले कई दशकों में सबसे ज्यादा मानी जा रही है.

केदारनाथ और बदरीनाथ में जमी है बर्फ. फाइल फोटो

देहरादून : चारधाम यात्रा शुरू होने को है और दुनियाभर के तीर्थयात्री यहां आने की योजनाओं को अंतिम रूप दे रहे होंगे, लेकिन यदि वह केदारनाथ के कपाट खुलने के एक माह के भीतर यहां आएं तो उन्हें अपने ईष्ट के दर्शन के साथ ही धूप में चांदी सी चमकती बर्फ की मोटी चादर भी देखने को मिलेगी, जो अपने आप में दुर्लभ नजारा होगा और तीर्थयात्रा के उनके आनंद को कई गुना बढ़ा देगा.

केदारनाथ की यात्रा अगले सप्ताह नौ मई से शुरू होने जा रही है और रूद्रप्रयाग जिला प्रशासन के एक आंकलन के अनुसार, भगवान शिव के धाम केदारनाथ मंदिर के आसपास अभी भी बर्फ की पांच से छह फुट मोटी चादर बिछी है, जिसे हटाने या उसके पिघलने में एक माह का समय और लग सकता है. 

केदारनाथ के उप-जिलाधिकारी परमानंद राम ने बताया कि 100 से 150 मजदूर बर्फ हटाने के काम में जुटे हुए हैं. मंदिर तक पहुंचने के रास्तों से बर्फ हटाने का काम लगभग पूरा हो चुका है. इससे श्रद्धालुओं को बाबा केदार के दर्शन करने में कोई कठिनाई नहीं आएगी. 

 

इस साल सर्दियों में केदारनाथ में 15-20 फुट बर्फ पड़ी जो पिछले कई दशकों में सबसे ज्यादा मानी जा रही है. हालांकि, पिछले दो—तीन महीने में यह बर्फ घटकर पांच—छह फुट ही रह गयी है. इस सीजन में यह बर्फबारी इतनी ज्यादा हुई कि उसने केदारनाथ में कई इमारतों तथा अन्य संरचनाओं को भी काफी नुकसान पहुंचाया.

चमोली जिले की ऊंची पहाड़ियों पर स्थित बदरीनाथ में भी इस बार काफी बर्फ पड़ी है. बदरीनाथ मंदिर के कपाट दस मई को खुल रहे हैं. केदारनाथ के मुकाबले यहां कम बर्फ पड़ी है. उत्तरकाशी जिले में उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित अन्य दो धामों, गंगोत्री और यमुनोत्री में भी इस बार काफी बर्फबारी हुई.

यात्रा शुरू होने से पहले चारधाम को जाने वाली ‘ऑल वेदर रोड’ पर चल रहा काम भी रोक दिया जायेगा जिससे श्रद्धालुओं के आवागमन में कोई असुविधा न हो. गढ़वाल आयुक्त बीवीआरसी पुरूषोत्तम ने बताया कि श्रद्धालुओं के आवागमन को देखते हुए ‘ऑल वेदर रोड’ का निर्माण कार्य चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले बंद कर दिया जाएगा.

उन्होंने कहा कि ‘ऑल वेदर रोड’ की वजह से इस बार यात्रा में श्रद्धालुओं को कोई कठिनाई नहीं होगी बल्कि उनकी यात्रा और सुगम तथा सुरक्षित हो जाएगी. उन्होंने कहा कि यात्रा मार्ग पर कई जगह इस रोड की चौड़ाई 12 मीटर हो गयी है जिससे यात्रा में सहूलियत होगी.

यात्रा की तैयारियों को लेकर राज्य सरकार के विशेष प्रयासों के बारे में पुरूषोत्तम ने कहा कि इस बार ऋषिकेश और हरिद्वार से चारों धामों को चलने वाली बसों की संख्या को दोगुना करते हुए 16 कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस बार से हरिद्वार और ऋषिकेश चार धाम के लिए आठ—आठ बसें चलेंगी. 

सात मई से चार धाम यात्रा शुरू हो रही है. सात तारीख को ही अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलेंगे जबकि केदारनाथ के कपाट नौ मई और बदरीनाथ के कपाट 10 मई को खुलेंगे. हर साल अप्रैल—मई में शुरू होने वाली चारधाम यात्रा के शुरू होने का स्थानीय जनता को भी इंतजार रहता है. छह माह तक चलने वाली इस यात्रा के दौरान देश—विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालु और पर्यटक जनता के रोजगार और आजीविका का साधन हैं और इसीलिए चारधाम यात्रा को गढ़वाल हिमालय की आर्थिकी की रीढ़ माना जाता है.

सर्दियों में भारी बर्फवारी और भीषण ठंड के कारण चार धाम के कपाट हर साल अक्टूबर—नवंबर में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिये जाते हैं. बर्फ की वजह से यहां तक पहुंचना संभव नहीं रहता. मौसम बदलने पर बर्फ पिघलती है और छह माह बाद अप्रैल—मई में कपाट फिर से खोल दिये जाते हैं.

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