इंदौर के यशवंत सागर और भोपाल के बड़े तालाब में बारिश का पानी आ जाने से यहां का नजारा कुछ बदल गया है. सैलानी शाम होते ही सुहावने मौसम का आनंद लेने पहुंचने लगते हैं.
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भोपाल: मध्य प्रदेश में बीते दिनों मॉनसून की सक्रियता से हुई बारिश के बाद पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की भीड़ उमड़ने लगी है. दूसरी ओर वॉटर फाल, पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा के बेहतर इंतजाम न होने की वजह से हादसों का खतरा बना हुआ है. बीते एक सप्ताह के दौरान राज्य के लगभग हर हिस्सों में बादलों के बरसने से तापमान में गिरावट आई है. वहीं नदियों का जलस्तर बढ़ गया है, वॉटरफॉल के नजारे देखने बड़ी संख्या में सैलानी पहुंच रहे हैं.
भेड़ाघाट में पर्यटकों की भीड़
जबलपुर के करीब स्थित भेड़ाघाट में नर्मदा नदी पर स्थित धुआंधार का मनमोहक नजारा देखने बड़ी संख्या में पर्यटकों का दिनभर जमावड़ा रहता है. धुंआधार से उबरता पानी का गुबार सैलानियों के मजे को दोगुना कर देता है. भेड़ाघाट पहुंचे युवा जोड़े राखी गुप्ता और राकेश ने बताया कि उनका कई बार भेड़ाघाट आना हुआ, मगर गर्मी के मौसम में पानी कम होने पर धुआंधार का नजारा आकर्षक नहीं होता, मगर बारिश के बाद धुआंधार मनमोह लेने वाला है.
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यहां आए एक दल के बुजुर्ग सदस्य बाबूलाल का कहना है, "बारिश के मौसम में नदी-नालों और पर्यटन स्थलों पर अचानक पानी बढ़ने से हादसे होने का डर रहता है. अभी भेड़ाघाट में जल स्तर कम है और पर्यटक नदी के नजदीक पहुंचकर आनंद ले रहे हैं, ऐसे में पानी बढ़ने पर हादसे का खतरा बना हुआ है. प्रशासन को चाहिए कि वह यहां सुरक्षा बल तैनात करे. साथ ही पर्यटकों को जागरूक करने संकेतक लगाए."
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भोपाल के बड़े तालाब का नजारा बदला
इसी तरह इंदौर के यशवंत सागर और भोपाल के बड़े तालाब में बारिश का पानी आ जाने से यहां का नजारा कुछ बदल गया है. सैलानी शाम होते ही सुहावने मौसम का आनंद लेने पहुंचने लगते हैं. यह सिलसिला रात तक चलता है. खजुराहो के करीब रनेफा घूमने आए पर्यटकों के दल के एक सदस्य राजेश कुमार कहते हैं, "बारिश होने से तमाम नदियों और तालाबों का जलस्तर बढ़ा है. बांधों में भी पानी आया है, अब इन बांधों के गेट खुलने का इंतजार है, क्योंकि बांधों के गेट से निकलता पानी रोमांचित कर देने वाला होता है."
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इंदौर के आसपास स्थित पर्यटन स्थलों पातालपानी, चोरल और अन्य स्थानों पर हुए हादसों पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि बीते 10 सालों में 60 से ज्यादा लोग हादसों के शिकार हो चुके हैं. पातालपानी में वर्ष 2011 में हुए हादसे को अबतक लोग भूल नहीं पाए हैं, जब पानी का बहाव बढ़ने से चार लोग घिर गए थे और उन्हे बचाया नहीं जा सका था.
(इनपुटः आईएएनएस)