सीरिया (Syria) में कुर्दिश शरणार्थी शिविरों (Kurdish refugee camps) से पश्चिमी जेहादी दुल्हनों (Western jihadi brides) को छुड़ाने के नाम पर इस्लामिक स्टेट (Islamic State) की एक संदेहास्पद सेल फंडरेजिंग का काम कर रही है. इसका खुलासा ब्रिटेन की वेबसाइट डेली मेल ने किया है.
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नई दिल्ली: सीरिया (Syria) में कुर्दिश शरणार्थी शिविरों (Kurdish refugee camps) से पश्चिमी जेहादी दुल्हनों (Western jihadi brides) को छुड़ाने के नाम पर इस्लामिक स्टेट (Islamic State) की एक संदेहास्पद सेल फंडरेजिंग का काम कर रही है. इसका खुलासा ब्रिटेन की वेबसाइट डेली मेल ने किया है. इसके अंडरकवर संवाददाताओं ने लंदन में बैठकर तुर्की के 'फिक्सर' से बात की और उसे पैसे देने की पेशकश की.
यह पैसा जेहादी दुल्हनों को सीरिया के शिविरों से भगाने के नाम पर लिया जा रहा है. इसमें सीरिया का अल-होल कैंप भी शामिल है. यहां 15 साल की उम्र में ब्रिटेन से भागी शमीमा बेगम भी रहती है, जो 5 साल पहले ISIS में शामिल हुई थी. पिछले हफ्ते ही सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बेगम को ब्रिटेन में फिर से रहने देने की अनुमति देने के फैसले को चुनौती दी है. इसके लिए वकीलों ने तर्क दिया है कि ऐसा करने से 'महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिम पैदा होंगे'.
बता दें कि इन शिविरों में करीब 13,500 विदेशी महिलाएं और बच्चे रहते हैं, जो आतंकी समूह से जुड़े रहे हैं.
ऐसे हुआ खुलासा
अल-होल में रहने वाली ब्रिटिश महिलाएं शिविरों से बाहर निकलने के लिए धन जुटाने के नाम पर केज्ड पर्ल्स नाम से एक इंस्टाग्राम ग्रुप चलाया जाता है. हाथ में पोस्टर रखे ये महिलाएं बताती हैं कि उन्हें इतने पैसे की जरूरत है, ताकि वे इन शिविरों से बाहर निकलकर अपने देश वापस जा सकें.
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से ही एक फंडरेजर का नाम सुमाया होम्स है, जो शिविर से बाहर निकलकर तुर्की पहुंची थी. वह खुद को एक कन्वर्टेड ब्रिटिशर की पत्नी बताती है, जो सीरिया में ISIS के लिए लड़ते हुए मारा गया था.
होम्स अपने फेसबुक पेज पर बुर्का पहने हाथ में तख्तियां लेकर मदद की गुहार लेती महिलाओं की फोटो डालकर डोनेशन मांगती है, जो वहां सीरिया के शिविरों से बाहर निकलना चाहतीं हैं. इस फोटो को साझा करते हुए होम्स ने लिखा, कि 'यह मेरी दोस्त है और उसे मदद की जरूरत है. कृपया उसकी मदद करें और यदि आप मदद न कर सकें, इसे उन लोगों को दे दें जो उसे दान कर सकते हैं.'
कई अवैध तरीकों से मांगे पैसे
जब होम्स को मदद की पेश की गई तो उसने टेलीग्राम के जरिए बात करने के लिए कहा. यह चरमपंथियों और अपराधियों द्वारा उपयोग किए जाने वाला एक एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप है, जो इसकी उच्च स्तर की सुरक्षा के कारण इस पर बात करना पसंद करते हैं.
इतना ही नहीं महिला ने क्रिप्टोकरंसी बिटकॉइन के जरिए डोनेशन लेने की बात कही, लेकिन रिपोर्टर द्वारा मना करने पर उसने अपने सहयोगी के जॉर्डन स्थित बैंक अकाउंट में पैसा जमा करने के लिए कहा. कुल मिलाकर वो ऐसे तरीके से डोनेशन लेना चाहती थी, जिसका कोई रिकॉर्ड दर्ज न हो सके. आखिर में उसने कहा कि वह कैश लेने के लिए मनी एक्सचेंज कराने वाले एजेंट को भेजेगी.
चूंकि किसी संदिग्ध व्यक्ति को कैश देने की अनुमति नहीं है इसलिए लिफाफा तय जगह रख दिया गया और अनस नाम का व्यक्ति उसे लेने आया लेकिन जब उसने देखा कि उसमें एक किताब है, तो उसने कहा कि आप हमारे काम को लेकर गंभीर नहीं है. बाद में पुलिस जांच में उसने पैसे लेने की बात नकारी. उधर होम्स नाम की महिला ने भी इसे झूठा कहते हुए, आगे बात करने से मना कर दिया.
बाद में पता चला कि होम्स अब भी आईएसआईएस से जुड़ी हुई है और ऑनलाइन पैसा जुटाने के लिए पूरी दुनिया में संगठन के सदस्य उसे मदद करते हैं.
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हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च फेलो और ISIS की विशेषज्ञ डॉ. वेरा मिरोनोवा ने कहा, 'शिविर से बाहर निकलने में करीब 18 हजार डॉलर खर्च होते हैं और इन अभियानों की सफलता से पता चलता है कि ISIS ऑनलाइन तरीके से अच्छा-खासा धन उगाहने में सक्षम है.'
पेरिस के टीचर के हत्यारे की तारीफ की
होम्स की सोच और मकसद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसने अपने फेसबुक पेज पर ISIS के समर्थन में कई पोस्ट लिखीं हैं. यहां तक कि एक पोस्ट में उसने पिछले महीने पेरिस में पैगंबर के कार्टून दिखाने वाले टीचर की हत्या करने वाले चेचन मूल के अब्दुल्लाख अंजोरोव को 'हीरो' बताते हुए लिखा, 'ऐसे शब्द नहीं है जो उसके प्रति मेरी भावनाओं का वर्णन कर सके, जिसने हमारे पैगंबर के लिए ये किया. जेहाद योद्धा, आप कई लोगों के लिए एक उदाहरण हैं.'