China-Philippines Dispute: कभी कंटीले तार तो कभी कुल्हाड़ी और चाकू... चीन के दुस्साहस की इनसाइड स्टोरी
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China-Philippines Dispute: कभी कंटीले तार तो कभी कुल्हाड़ी और चाकू... चीन के दुस्साहस की इनसाइड स्टोरी

Chinese troops armed with axes: ऐसा नहीं है कि चीन के पास गोली, बम या अन्य आधुनिक हथियारों की कमी है. साल 2023 में चीन ने सेना पर 225 अरब डॉलर खर्च करने की घोषणा की थी. चीन का रक्षा बजट अमेरिकी रक्षा बजट का एक तिहाई है.  

 

 

China-Philippines Dispute: कभी कंटीले तार तो कभी कुल्हाड़ी और चाकू... चीन के दुस्साहस की इनसाइड स्टोरी

South China Sea Dispute: गलवान घाटी हो, दक्षिण हिंद महासागर या साउथ चाइना सी... चीन अपनी चालबाजी से बाज नहीं आ रहा है. साल 2020 में भारत और चीन की सेना के बीच गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद इस बार चीन ने पड़ोसी फिलीपींस की नौसेना को घेर कर कुल्हाड़ी और चाकू से हमला किया है. चीनी सैनिक यहां कुल्हाड़ी, चाकू और डंडे से लैस होकर आए थे. इस हमले में फिलीपींस के एक जवान का अंगूठा कट गया है. आपको याद होगा कि गलवान में जब झड़प हुई थी तब चीनी सैनिकों के पास कंटीले तार, कील लगे डंडों और लोहे की छड़ मिले थे. अब सवाल यह उठ रहा है कि बम, गोले जैसे जंगी हथियार से धमकाने वाला चीन इस तरह का हथियार क्यों इस्तेमाल कर रहा है?

गलवान में भी इसी तरह का हमला

आज से लगभग चार साल पहले जून 2024 में भारत और चीन की सेना के बीच गलवान घाटी में एलएसी पर हिंसक झड़प हो गई थी. इस झड़प में चीन की आर्मी ने कोल्ड वेपन्स श्रेणी के कंबाइन्ड मेसेज हथियारों का इस्तेमाल किया था. चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने पत्थरों, कील लगे डंडों, लोहे की छड़ों आदि से भारतीय सैनिकों पर बर्बर हमला किया था. इस हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे. 

ऐसा नहीं है कि चीन के पास गोली, बम और अन्य आधुनिक हथियारों की कमी है. साल 2023 में चीन ने सेना पर 225 अरब डॉलर खर्च करने की घोषणा की थी. चीन का रक्षा बजट अमेरिकी रक्षा बजट का एक तिहाई है. लेकिन ये भारत के रक्षा बजट का तीन गुना है. इसके बावजूद चीन कभी कंटीले तार, छुरी, चाकू तो कभी कुल्हाड़ी जैसे हथियारों का इस्तेमाल क्यों करता है? 

चाकू, कुल्हाड़ी और डंडे से लड़ाई हथियार की श्रेणी मेंः UN

दरअसल, दक्षिण चीन सागर में जो कुछ होता है उसका सीधा संबंध अमेरिका से है क्योंकि फिलीपींस के साथ अमेरिका की दशकों पुरानी पारस्परिक रक्षा संधि है. साल 1951 में अमेरिका और फिलीपींस के बीच हुए एक समझौते में इस बात पर जोर दिया गया है कि अगर दोनों देशों पर अगर किसी तीसरे देश द्वारा हमला किया जाता है तो दोनों देश एक-दूसरे की रक्षा करेंगे. यानी अगर फिलीपींस की सेना पर साउथ चाइना सी में कहीं भी हथियारों से हमला हुआ तो अमेरिका उसे खुद पर हमला मानेगा.

विशेषज्ञों का भी मानना है कि दक्षिण चीन सागर में किसी भी तरह का विवाद चीन और अमेरिका के बीच संघर्ष को जन्म दे सकती है.  लेकिन यूएन के नियमों के मुताबिक चाकू, कुल्हाड़ी और डंडे से लड़ाई को हथियारों से हमला नहीं माना जाता है. अगर यहां गोली बारूद का इस्तेमाल होता तो अमेरिका की सेना दखल देने पहुंच जाती. यानी जिनपिंग के सुरक्षाबलों ने जानबूझकर ऐसा अटैक किया, जिससे फिलीपींस को नुकसान भी पहुंचे और अमेरिका के हमले का खतरा भी ना हो.

गलवान में क्यों नहीं हुआ था हथियार का इस्तेमाल?

गलवान हिंसा में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. इस हमले के बाद यह सवाल उठा कि सीमा पर तैनात सभी भारतीय जवान हथियारों से लैस थे तो उन्होंने इस्तेमाल क्यों नहीं किया? इसका जवाब देते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि दोनों देशों के बीच 1996 और 2005 के बीच हुए समझौते के तहत गलवान में तैनात जवान किसी तरह के फेसऑफ (झड़प) के दौरान किसी तरह के फायर हथियार का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं.

साल 1996 में हुए समझौते के अनुच्छेद VI (1) में कहा गया है कि एलएसी पर खतरनाक सैन्य गतिविधियों को रोकने की दृष्टि से दो किलोमीटर के भीतर दोनों देशों की ओर से कोई गोलीबारी, बायो-डिग्रेडेशन और खतरनाक रसायनों से बने हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेगा. यह रोक छोटे हथियारों की फायरिंग रेंज में रुटीन फायरिंग पर लागू नहीं है.

इसी समझौते के अनुच्छेद VI(4) में कहा गया है कि यदि किसी मतभेद के कारण एलएसी पर दोनों देशों की सेना आमने-सामने होती हैं तो वे संयम बरतेंगे और स्थिति को बढ़ने से रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएंगे. इस स्थिति की समीक्षा करने के लिए दोनों देश राजयनिक या अन्य बातचीत के माध्यम से सुलझाने की कोशिश करेंगे.

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