भारत-अमेरिका ग्लोबल चैलेंज इंस्टीट्यूट क्या है? इसकी स्थापना से किसको होगा फायदा
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भारत-अमेरिका ग्लोबल चैलेंज इंस्टीट्यूट क्या है? इसकी स्थापना से किसको होगा फायदा

India-US Global Challenge Institute: भारत और अमेरिका मिलकर 9 करोड़ डॉलर यानी करीब 751.67 करोड़ रुपये का निवेश कर भारत-अमेरिका ग्लोबल चैलेंज इंस्टीट्यूट की स्थापना करेंगे, जिसके तहत विश्वविद्यालय और शोध संस्थानों में होने वाले रिसर्च को भविष्य की जरूरतों के अनुरूप प्रौद्योगिकी विकास पर केंद्रित किया जाएगा.

भारत-अमेरिका ग्लोबल चैलेंज इंस्टीट्यूट क्या है? इसकी स्थापना से किसको होगा फायदा

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जेक सुलिवन ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से मुलाकात की. इस दौरान पीएम मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल के दौरान भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने का आश्वासन दिया. इससे पहले, सुलिवन ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की थी. भारत और अमेरिका के एनएसए की मुलाकात के बाद जारी संयुक्त पत्र में बताया गया कि कई क्षेत्रो में भारत और अमेरिका मिलकर काम करेंगे. इस दौरान भारत-अमेरिका ग्लोबल चैलेंज इंस्टीट्यूट स्थापित करने पर भी सहमति बनी.

क्या है ग्लोबल चैलेंज इंस्टीट्यूट और क्या होगा फायदा?

भारत और अमेरिका मिलकर 9 करोड़ डॉलर यानी करीब 751.67 करोड़ रुपये का निवेश कर भारत-अमेरिका ग्लोबल चैलेंज इंस्टीट्यूट (India-US Global Challenge Institute) की स्थापना करेंगे. इसके तहत विश्वविद्यालय और शोध संस्थानों में होने वाले रिसर्च को भविष्य की जरूरतों के अनुरूप प्रौद्योगिकी विकास पर केंद्रित किया जाएगा. इस कड़ी में 50 लाख डॉलर की पहली फंडिंग अमेरिका के नेशनल साइंस फाउंडेशन और भारत के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस को अगली पीढ़ी की दूरसंचार प्रौद्योगिकी, औटोमेटेड वाहन और मशीन लर्निंग के लिए दी जाएगी.

अन्य किन मुद्दों पर हुआ फैसला

भारत और अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSA) ने ग्लोबल चैलेंज इंस्टीट्यूट की स्थापना के अलावा बैठक में प्रमुख प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने को लेकर कई मुद्दों पर चर्चा की. बता दें कि जनवरी 2023 में iCET की शुरुआत के बाद से भारत और अमेरिका ने अंतरिक्ष, सेमीकंडक्टर, उन्नत दूरसंचार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कम्प्यूटिंग, जैव प्रौद्योगिकी और क्लीन एनर्जी के क्षेत्र में साझेदारी को बढ़ाने का प्रयास किया है.

अंतरिक्ष के क्षेत्र में क्या सहयोग?

नासा के जॉन्सन स्पेस सेंटर में भारतीय ISRO के अंतरिक्ष यात्रियों को ट्रेनिंग दी जाएगी. नासा और ISRO जल्द लॉन्च करेंगे अधु7 सिंथेटिक अपर्चर रडार से लैस सेटेलाईट जो हर 12 दिन में पूरी धरती की तस्वीर लेगा. इसके जरिए जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने की कोशिश होगी.

रक्षा के क्षेत्र में क्या सहयोग?

अमेरिका से MQ9B ड्रोन खरीद, लैंड वारफेयर सिस्टम के संयुक्त उत्पादन समेत कई परियोजना की समीक्षा की गई. भारत और अमेरिका मिलकर बनाएंगे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित मल्टी डोमेन अवेयरनेस सिस्टम. इसके लिए अमेरिका की जनरल एटॉमिक और भारतीय स्टार्टअप 114ai काम करेंगे. दोनों NSA की बैठक में भारतीय लड़ाकू विमानों के लिए अमेरिका से होने वाली GE F414-INSA इंजन खरीद प्रक्रिया की भी समीक्षा की गई.
(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी)

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