Rafale Jets : भारतीय महासागर क्षेत्र में बढ़ते चीनी खतरे के कारण नौसेना जल्द से जल्द अपने दो विमानवाहक पोतों के लिए सुपरसोनिक जेट विमानों को शामिल करना चाहती है.
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India-France: भारत इस हफ्ते फ्रांस के साथ 50,000 करोड़ रुपये से अधिक की कीमत के 26 राफेल-मरीन फाइटर जेट खरीदने के लिए आधिकारिक कॉन्ट्रैक्ट वार्ता शुरू करेगा. भारतीय महासागर क्षेत्र में बढ़ते चीनी खतरे के कारण नौसेना जल्द से जल्द अपने दो विमानवाहक पोतों के लिए सुपरसोनिक जेट विमानों को शामिल करना चाहती है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस मुद्दे पर बातचीत करने के लिए फ्रांस से एक दल 30 मई को भारत पहुंच रहा है. इसमें फ्रांस सरकार, फाइटर मैन्यूफैक्चरर कंपनी डसॉल्ट और वेपन सिस्टम इंटीग्रेटर थेल्स के अधिकारी शामिल होंगे. यह टीम भारतीय रक्षा मंत्रालय द्वारा गठित अनुबंध वार्ता समिति (सीएनसी) के साथ वार्ता करेगी.
रक्षा मंत्रालय और नौसेना ने दिसंबर में फ्रांस द्वारा प्रस्तुत बोली या स्वीकृति पत्र (LoA) का मूल्यांकन किया था. यह भारत के अनुरोध पत्र (LoR) के जवाब में 22 सिंगल-सीट जेट और चार ट्विन-सीट ट्रेनर के साथ-साथ हथियारों, सिम्युलेटर, स्पेयर, चालक दल की ट्रेनिंग और रसद सहायता के अधिग्रहण के लिए था.
'एलओए के विवरण की जांच करने में समय लगा'
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक अधिकारी ने कहा, ‘इस विशाल एलओए की पेशकश, तकनीकी विशिष्टताओं, लागतों और अन्य विवरणों की जांच करने में समय लगा. सीएनसी का नेतृत्व रक्षा मंत्रालय के अधिग्रहण विंग के एक अधिकारी करते हैं और इसमें नौसेना के प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं.’
इसका उद्देश्य इस वित्तीय वर्ष के भीतर प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति से अपेक्षित अनुमोदन के बाद तकनीकी-वाणिज्यिक वार्ता को पूरा करना और सरकार-से-सरकार समझौते पर हस्ताक्षर करना है.
मझगांव डॉक्स में लगभग 30,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होने वाले 26 राफेल-एम और तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के प्रस्तावित सौदों को पिछले साल 13 जुलाई को राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद द्वारा आवश्यक स्वीकृति प्रदान की गई थी. यह पेरिस में मोदी-मैक्रोन शिखर सम्मेलन से एक दिन पहले दी गई थी.
रिपोर्ट के मुताबिक नौसेना के पास 2009 से 2 बिलियन डॉलर की लागत से रूस से शामिल किए गए 45 मिग-29K जेट में से केवल 40 ही हैं. मिग-29K पिछले कुछ वर्षों में खराब सेवाक्षमता और अन्य समस्याओं से भी जूझ रहे हैं.
नौसेना ने इसलिए दिया राफेल पर जोर
स्वदेशी ट्विन-इंजन डेक-बेस्ड फाइटर (TEDBF) को चालू होने में कम से कम एक दशक का समय लगने की संभावना थी. जिसके बाद नौसेना ने अंतरिम उपाय के रूप में 26 राफेल-एम जेट विमानों पर जोर दिया था.
भारतीय वायुसेना ने सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ किए गए 59,000 करोड़ रुपये के सौदे के तहत पहले ही 36 राफेल हासिल कर लिए हैं.
चीन अब अपने तीसरे विमानवाहक पोत, 80,000 टन से अधिक वजनी फुजियान का परीक्षण कर रहा है. इससे पहले उसने 60,000 टन के लियाओनिंग और 66,000 टन के शांदोंग को शामिल किया था. चीन ऐसे और भी युद्धपोत बना रहा है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार ने अभी तक तीसरे 45,000 टन के विमानवाहक पोत के लिए लंबे समय से लंबित मामले को प्रारंभिक मंजूरी भी नहीं दी है. 65,000 टन के अधिक शक्तिशाली विमानवाहक पोत की तो बात ही छोड़िए, जिसे बनाने में कम से कम एक दशक लगेगा.