Math's Education: इस देश में 18 साल की उम्र तक मैथ पढ़ना होगा जरूरी! बस फरमान जारी करने की है देरी
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Math's Education: इस देश में 18 साल की उम्र तक मैथ पढ़ना होगा जरूरी! बस फरमान जारी करने की है देरी

Maths education in britain: यूके की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऋषि सुनक का कहना है कि उनके देश में 16 से 19 साल के बच्चों में से केवल आधे ही गणित पढ़ते हैं, जबकि मैथ पढ़ने के कई फायदे हैं. ऐसे में अगर सभी गणित पढ़ेंगे तो भविष्य में स्किल डेवलपमेंट के मामले में जबरदस्त सुधार देखने को मिलेगा.

ब्रिटेन की सरकार 18 साल की उम्र तक गणित पढ़ना अनिवार्य कर सकती है...

Rishi Sunak wants all pupils to study maths: दुनिया के चंद विकसित और अमीर देशों में शुमार ब्रिटेन (Britain) भी कई चुनौतियों से जूझ रहा है. इस बीच देश के नए पीएम ऋषि सुनक (Rishi Sunak) जल्द ही नए साल में पहली बार देश को संबोधित करने वाले हैं. राष्ट्र के नाम अपने इस संबोधन में सुनक अब 18 साल की उम्र तक के सभी छात्र-छात्राओं के लिए गणित यानी मैथ (Maths) की पढ़ाई अनिवार्य कर सकते हैं.

'हर कोई पढ़े गणित पढ़ेगा, देश आगे बढ़ेगा'

ऋषि सुनक देश के एजुकेशन सिस्टम में भी बदलाव चाहते हैं. इसलिए सुनक का कहना है कि यूके (UK) दुनिया की सर्वश्रेष्ठ शिक्षा प्रणाली का मुकाबला क्यों नहीं कर सकता है? सुनक के भाषण की कॉपी में उनकी इस सोच की झलक दिखती है. सुनक के मुताबिक सही योजना और प्रतिबद्धता से काम करने पर बेहतर नतीजे निकलेंगे और देश के भविष्य यानी बच्चों की बुनियाद मजबूत होगी. सुनक के भाषण में 2023 की प्राथमिकताओं की झलक एक रोडमैप के रूप में दिख रही है.

यूके की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2023 के अपने पहले भाषण से पहले पत्रकारों को दी गई जानकारी के अनुसार सुनक ब्रिटेन लोगों में बेहतर गणित की समझ को लेकर इस योजना की घोषणा कर सकते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक सुनक का मानना है कि 'ऐसी दुनिया में जहां डेटा ही हर काम को रेखांकित करता हैं, ऐसे में हमारे बच्चों की नौकरियों के लिए उनमें पहले से कहीं ज्यादा विश्लेषणात्मक कौशल की जरूरत होगी. ऐसे में हमारे बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए उम्र के इस दौर तक मैथ पढ़ना जरूरी है.

'आधे बच्चे ही मैथ पढ़ते हैं'

प्रधानमंत्री दफ्तर से मिली जानकारी के मुताबिक सुनक का मानना है कि ब्रिटेन में 16 से 19 साल के बच्चों में से केवल आधे ही गणित पढ़ते हैं. इस आंकड़े में विज्ञान पाठ्यक्रम करने वाले छात्र और कॉलेज में पहले से ही कंपल्सरी जीसीएसई (GCSE) का अध्ययन कर रहे छात्र शामिल हैं. हालांकि उनकी इस कवायद से ये साफ नहीं है कि आर्ट्स की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए इस योजना से क्या फर्क आएगा. वहीं यूके की सरकार के अधिकारिक प्रवक्ता ने ये भी कहा कि सरकार मौजूदा योग्यताओं के साथ नए विकल्प' तलाश रही है.

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