Nepal: समलैंगिक शादी के पक्ष में SC का बड़ा फैसला, सरकार को विवाह के पंजीकरण का दिया आदेश
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Nepal: समलैंगिक शादी के पक्ष में SC का बड़ा फैसला, सरकार को विवाह के पंजीकरण का दिया आदेश

Same Sex Marriage: सुप्रीम कोर्ट की एकल पीठ ने सरकार को आदेश जारी किया कि यदि यौन और लैंगिक अल्पसंख्यक जोड़े मांग करते हैं तो उनके विवाह को पंजीकृत करने के लिए आवश्यक व्यवस्था करें.

Nepal: समलैंगिक शादी के पक्ष में SC का बड़ा फैसला, सरकार को विवाह के पंजीकरण का दिया आदेश

Nepal News: नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सरकार को एक अंतरिम आदेश देते हुए उससे समलैंगिक विवाह के अस्थायी पंजीकरण को कहा. न्यायालय के एक नोटिस में यह जानकारी दी गई. न्यायमूर्ति तिल प्रसाद श्रेष्ठ की एकल पीठ ने सरकार को आदेश जारी किया कि यदि यौन और लैंगिक अल्पसंख्यक जोड़े मांग करते हैं तो उनके विवाह को पंजीकृत करने के लिए आवश्यक व्यवस्था करें.

एलजीबीटीआई अधिकार संगठन ब्लू डायमंड सोसाइटी (बीडीएस) की ओर से कार्यकर्ता पिंकी गुरुंग सहित सात लोगों ने समलैंगिक विवाह को वैध बनाने के लिए प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के कार्यालय में एक रिट याचिका दायर की.

विरोधियों को 15 दिन के भीतर देना होगा लिखित जवाब
आदेश में शीर्ष अदालत ने विरोधियों से इस मुद्दे पर 15 दिन के भीतर लिखित जवाब देने को भी कहा है. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने रिट याचिका दायर की है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद नेपाली कानून ने समलैंगिक विवाह में बाधा डाली है. न्यायालय ने 15 साल पहले ऐसे विवाहों की अनुमति दी थी.

याचिकाकर्ताओं ने समलैंगिक विवाह को वैध बनाने की मांग करते वक्त राष्ट्रीय नागरिक संहिता 2017 के खंड 69 (1) का हवाला देते हुए कहा कि प्रत्येक नागरिक को शादी करने की स्वतंत्रता है और नेपाली संविधान 2015 के खंड 18 (1) के अनुसार कानून की नजर में सभी नागरिक समान हैं.

बीडीएस की पिंकी गुरुंग ने अदालत के आदेश के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि अब न्यायालय के इस आदेश के साथ, समलैंगिक विवाह को तब तक पंजीकृत किया जा सकता है जब तक कि यौन और लैंगिक अल्पसंख्यक जोड़ों को मान्यता देने के लिए विशिष्ट कानून नहीं बनाए जाते.

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने डेढ़ दशक पहले एक आदेश के माध्यम से समलैंगिक विवाह की अनुमति दी थी, लेकिन एक विशिष्ट कानून के अभाव में यह प्रावधान लागू नहीं हो सका, जिसके कारण तीसरे लिंग के लोगों को अदालत में जाने के लिए मजबूर होना पड़ा.

(इनपुट: न्यूज एजेंसी: भाषा)

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