'हमारी आस्था पर उठाए सवाल', पाकिस्तान में जाकिर नाइक का जमकर विरोध, अब ईसाई हुए नाराज, राष्टपति को लिखी चिठ्ठी
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'हमारी आस्था पर उठाए सवाल', पाकिस्तान में जाकिर नाइक का जमकर विरोध, अब ईसाई हुए नाराज, राष्टपति को लिखी चिठ्ठी

Pakistani Christians Are Angry With Dr. Zakir Naik: भारत से भगोड़ा कट्टरपंथी इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक का इन दिनों पाकिस्तान में जमकर विरोध हो रहा है. ईसाई समुदाय तो इतना नाराज है कि उसने राष्ट्रपति को लेटर लिखकर नाराजगी जताई है. जानें पूरा मामला.

 

 

'हमारी आस्था पर उठाए सवाल', पाकिस्तान में जाकिर नाइक का जमकर विरोध, अब ईसाई हुए नाराज, राष्टपति को लिखी चिठ्ठी

Dr Zakir Naik in Pakistan: पाकिस्तानी चर्च सिनड (धर्मसभा) के अध्यक्ष बिशप रेव. डॉ. आजाद मार्शल ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को हाल ही में लिखे पत्र में डॉ. जाकिर नाइक की यात्रा के दौरान ईसाई समुदाय और उनकी आस्था के बारे में की गई टिप्पणियों के बारे में अपनी चिंता जाहिर की. उन्होंने पत्र में सरकार द्वारा नाइक की टिप्पणियों को लेकर खेद व्यक्त न करने की आलोचना भी की. पाकिस्तान में बतौर राजकीय अतिथि आए डॉ. नाइक की यात्रा, पिछले सप्ताह संपन्न हुई. हालांकि विवादास्पद इस्लामिक उपदेशक का दौरा उनके कई बयानों की वजह से भारी विवादों में रहा.

ईसाई क्यों हुए जाकिर नाइक से परेशान?
पाकिस्तान अखबर डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक पत्र में डॉ मार्शल कहते हैं, “डॉ जाकिर नाइक के सार्वजनिक भाषणों ने हमारे [ईसाई] समुदाय को काफी परेशान कर दिया है, क्योंकि उन्होंने खुले तौर पर हमारे विश्वास की प्रामाणिकता पर सवाल उठाया, हमारे पवित्र ग्रंथों को बदनाम किया और ऐसे बयान दिए जो ईसाई पादरियों और विद्वानों की मान्यताओं को कमजोर करते हैं.” पत्र में कहा गया कि डॉ. नाइक की टिप्पणी ने न केवल 'धार्मिक अपमान' किया है, बल्कि सभी पाकिस्तानियों के राष्ट्रीय गौरव को भी कम किया, चाहे उनकी आस्था कुछ भी हो.

सरकार की आलोचना, सख्त कदम उठाने की अपील की
पत्र में डॉ. नाइक की टिप्पणियों के बारे में खेद व्यक्त करने की औपचारिक कमी के लिए सरकार की आलोचना भी की गई क्योंकि इससे ईसाई समुदाय द्वारा महसूस की जा रही 'हाशिए पर होने की भावना' और तेज हो गई, जबकि सरकार ने सभी के बीच धार्मिक सद्भाव और आपसी सम्मान बनाए रखने का बार-बार आश्वासन दिया है.

नाइक पर हो एक्‍शन?
डॉ. मार्शल ने पत्र में सरकार से अपील की कि वह 'ऐसी विभाजनकारी और हानिकारक' घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाए, खासकर राज्य के समर्थन में होने वाली ऐसी घटनाओं को भविष्य में होने से रोकें. डॉ. मार्शल ने कहा, "डॉ. जाकिर नाइक की टिप्पणियां खुले मंचों पर की गईं, जहां हमारे पादरियों और विद्वानों को उनके गलत विचारों और सूचना का उचित तरीके से जवाब देने या उसे सही करने का अवसर नहीं दिया गया."

सरकार को याद दिलाया संविधान 
डॉ. मार्शल ने डॉन को बताया कि पाकिस्तान के नागरिकों के रूप में, संविधान के अनुच्छेद 20 के तहत अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकारों की गारंटी दी गई है, जिसमें कहा गया है, 'प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म को मानने, उसका पालन करने और उसका प्रचार करने का अधिकार होगा.' उन्होंने अनुच्छेद 36 का भी हवाला दिया, जो 'राज्य को अल्पसंख्यकों के वैध अधिकारों की रक्षा करने के लिए बाध्य करता है.' डॉ. मार्शल ने राष्ट्रपति जरदारी से अपील की कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए गंभीर कदम उठाएं कि इन संवैधानिक अधिकारों को बरकरार रखा जाए और किसी भी व्यक्ति द्वारा उनका उल्लंघन न किया जाए.

कौन हैं जाकिर नाइक?
नाइक भारत में एक वांछित भगोड़ा है जो कई वर्षों से मलेशिया में रह रहा है. 2017 में, बांग्लादेश के अधिकारियों ने दावा किया था कि ढाका के एक कैफे पर हमला करने वालों में से एक, जाकिर नाइक से प्रेरित था. इस घटना में 22 लोग मारे गए थे. उसी वर्ष, भारत की एनआईए ने भी नाइक पर गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त होने और धार्मिक घृणा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया.
इसके बाद से नाइक मलेशिया में रह रहा है क्योंकि वहां की सरकार ने उसे संरक्षण दिया है. इनपुट आईएएनएस से

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