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वॉशिंगटन: क्वाड (QUAD) देशों की शुक्रवार को हुई टॉप लेवल बैठक से चीन (China) अंदर तक घबरा गया है. हालांकि, उसकी ये घबराहट जल्द खत्म होने वाली नहीं है, क्योंकि क्वाड देशों के प्रमुख इसी साल एक बार फिर मिलेंगे और इस बार यह बैठक ऑफलाइन होगी. अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन (Jake Sullivan) ने बताया कि वर्चुअल सम्मेलन में नेताओं में सहमति बनी कि इस साल के अंत से पहले वे प्रत्यक्ष तौर पर बैठक करेंगे.
क्वाड देशों के प्रमुखों ने शुक्रवार को डिजिटल माध्यम से चीन सहित विभिन्न मुद्दों पर बात की. इस बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi), अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden), ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन (Scott Morrison) और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा (Yoshihide Suga) शामिल थे. सुलिवन ने बताया कि क्वाड देशों ने दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में नौवहन की आजादी, उत्तरी कोरिया से जुड़े परमाणु मुद्दे, म्यांमार में तख्तापलट और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई सहित महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की.
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जैक सुलिवन ने कहा कि चारों नेता इस बात पर सहमत हुए हैं कि साल के आखिर तक वे फिर से मुलाकात करेंगे और 5जी, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और साइबर जैसी टेक्नॉलजी के लिए वर्किंग ग्रुप को लॉन्च किया जाएगा. उन्होंने बताया कि क्वाड इंडो-पैसिफिक के लिए बेहद अहम है और इस सम्मेलन से क्षेत्र में कूटनीति का व्यापक विस्तार हुआ है. बैठक में चीन पर हुई चर्चा के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा, ‘चारों नेताओं ने चीन द्वारा पेश चुनौतियों पर भी चर्चा की और स्पष्ट कर दिया कि चीन के बारे में उन्हें कोई भ्रम नहीं है’.
यह पहला मौका है जब क्वाड देशों के प्रमुख ने बैठक की है, इससे पहले चारों देशों के विदेश मंत्री ही मिलते रहे हैं. इसी वजह से चीन बैठक को लेकर बेहद चिंतित था. वह बैठक शुरू होने से पहले शांति की बात करने लगा था और बैठक के बाद भी उसके तेवर नरम बने हुए हैं. बीजिंग ने उम्मीद जताई है कि संबंधित देश खुलेपन, समावेशी और सभी के लिए लाभदायक के सिद्धांत को कायम रखेंगे. वे विशेष समूह बनाने से बचेंगे और ऐसे कार्य करेंगे जो क्षेत्रीय शांति, स्थिरता एवं समृद्धि के हित में हो.
अपनी विस्तारवादी आदतों के चलते चीन दुनियाभर के निशाने पर आ गया है. क्वाड में शामिल लगभग सभी देशों से उसका विवाद है, ऐसे में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा का एक साथ आना उसे परेशान कर रहा है. माना जा रहा है कि चारों नेताओं की दूसरी बैठक में चीन के खिलाफ रणनीति पर ही फोकस रहेगा. ड्रैगन की विस्तारवादी आदतों पर अंकुश लगाने के लिए कोई खास योजना तैयार की जा सकती है.