South Korea News: मुख्य न्यायाधीश जो ही-डे ने कहा कि समलैंगिक जोड़े को लाभ से वंचित करना, सेक्शुअल ओरिएंटेशन के आधार पर भेदभाव है.
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दक्षिण कोरिया के सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक ऐसे फैसले को बरकरार रखा जिसमें कहा गया था कि सेम सैक्स पार्टनर स्टेट हेल्थ इंश्योरेंस से वैवाहिक लाभ के लिए पात्र हैं. इस कदम को ऐसे देश में LGBTQ अधिकारों की जीत के रूप में देखा जा रहा है, जो इस मामले में अन्य से पिछड़ा है. अदालत ने पिछले साल की शुरुआत में सियोल हाई कोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसले की पुष्टि.
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि नेशनल हेल्थ इंश्योरेंस सर्विस को सो सुंग-वुक और किम योंग-मिन को वैवाहिक कवरेज प्रदान करना चाहिए. इस समलैंगिक कपल ने 2021 में इंश्योरेंस एजेंसी के खिलाफ मुकदमा दायर किया था, जब एजेंसी ने उनके वैवाहिक लाभ रद्द कर दिए थे.
किम ने अदालत के बाहर रॉयटर्स से कहा, 'जब मैंने फैसला सुना तो मुझे यकीन नहीं हुआ. मैं बेहद खुश था और मैं रोने लगा.' उन्होंने कहा, 'इस हासिल करने में चार साल लग गए. हमें आगे चलकर समलैंगिक विवाह को वैध बनाने के लिए और अधिक संघर्ष करना होगा.'
चीफ जस्टिस ने क्या कहा?
मुख्य न्यायाधीश जो ही-डे ने कहा कि जोड़े को लाभ से वंचित करना, (भले ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा अधिनियम में समलैंगिक विवाह का विशेष रूप से उल्लेख करने वाला कोई खंड न हो), सेक्शुअल ओरिएंटेशन के आधार पर भेदभाव है.
न्यायाधीश जो ने टेलीविजन पर सुनवाई के दौरान कहा, 'यह भेदभाव का एक ऐसा काम है जो मानवीय गरिमा और मूल्य, खुशी की तलाश करने के अधिकार, गोपनीयता की स्वतंत्रता और कानून के समक्ष समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है, और उल्लंघन की डिग्री गंभीर है.'
समैलैंगिक शादी की दिशा में कदम
सो-किम खुद को शादीशुदा जोड़ा बताते हैं, लेकिन दक्षिण कोरिया में उनकी शादी को कानूनी मान्यता नहीं मिली है. वकीलों और अधिवक्ताओं ने कहा कि यह फैसला समलैंगिक विवाह को पहली बार कानूनी मान्यता देने का संकेत है.
कपल का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों में से एक चांग सुह-योन ने कहा, 'इस फैसले के साथ ही, समलैंगिक जोड़ों की कानूनी स्थिति को सार्वजनिक व्यवस्था में मान्यता मिल जाएगी, इसलिए मुझे लगता है कि समलैंगिक जोड़ों का अस्तित्व और अधिक स्पष्ट हो जाएगा.'
ताइवान और थाईलैंड में समलैंगिक विवाह को वैध बनाने के अभियान सफल रहे हैं, दक्षिण कोरिया में LGBTQ भागीदारी को कोई कानूनी मान्यता नहीं है, जिससे जो कपल कानूनी रूप से विवाह करना चाहते हैं, उन्हें विदेश जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है.