अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने उनके अवशेषों से उनका डीएनए पढ़ने और उनके भौगोलिक उत्पत्ति की पहचान करने के प्रयास बुधवार को शुरू कर दिए हैं. उनके प्रयासों के नतीजे अक्टूबर में सार्वजनिक किए जाएंगे.
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मैड्रिड: क्रिस्टोफर कोलंबस वाकई इटली के जिनोआ से थे? या वह स्पेन के रहने वाले थे? या कुछ अन्य सिद्धांतों की मानें तो उनमें उन्हें पुर्तगाली या क्रोएशिया का या पोलैंड तक का भी बताया गया है. इस प्रश्न का एक सटीक उत्तर बस अब कुछ महीनों में सामने होगा.
प्रसिद्ध खोजी यात्री कहां से आया इसका सही-सही उत्तर पांच महीने दूर है जब अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने उनके अवशेषों से उनका डीएनए पढ़ने और उनके भौगोलिक उत्पत्ति की पहचान करने के प्रयास बुधवार को शुरू कर दिए हैं. उनके प्रयासों के नतीजे अक्टूबर में सार्वजनिक किए जाएंगे. 15वीं सदी के समुद्र यात्री के शुरुआती जीवन के बारे में जानकारी बहुत कम है.
एक व्यक्ति जिसकी 515 साल पहले मृत्यु हो चुकी है, उसका पूरा प्रोफाइल स्थापित करने में एक बड़ी सफलता उस वक्त मिली जब 2003 में हुई डीएनए जांच में सामने आया कि सेविले में गिरिजाघर में मकबरे में रखी हड्डियां कोलंबस की हैं. लेकिन उस खोज के बाद, कोलंबस अनुसंधान की अगुवाई कर रही स्पेन की ग्रेनाडा यूनिवर्सिटी से अनुसंधानकर्ताओं की टीम ने अपनी जांच पर रोक लगाने का फैसला किया. इसका कारण यह था कि उस वक्त की डीएनए प्रौद्योगिकी न तो पूरी सटीक थी न ही भरोसे लायक.
हाल के वर्षों में डीएनए जांच की तकनीकी बेहतर हुई है, जिसके बाद अब यूरोपीय व्यक्ति की वंशावली के क्षेत्र को जानने में वंशाणु भूगोल मदद कर सकता है. कोलंबस, उनके बेटे हर्नांडो और उनके भाई डिएगो की हड्डियों का ग्रेनाडा विश्वविद्यालय में आकलन किया जाएगा.
कोलंबस साल 1542 में भारत की खोज के लिए निकले थे. लेकिन वो अमेरिकी महाद्वीप पर पहुंच गए. उन्होंने अब के बहामास देश के इलाके में कदम रखा था, जिसे वेस्टइंडीज का इलाका भी कहते हैं. बाद में कोलंबस ने क्यूबा समेत अन्य देशों की खोज की. कहा जाता है कि कोलंबस जीवन भर इस भ्रम में रहे कि उन्होंने भारत का रास्ता खोज निकाला है. वो अमेरिकी महाद्वीप को भारत ही समझते रहे, और उसे इंडीज कहा गया.