पहले महाभियोग और अब गिरफ्तारी की तलवार...भारी मुश्किल में हैं दक्षिण कोरियाई राष्‍ट्रपति
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पहले महाभियोग और अब गिरफ्तारी की तलवार...भारी मुश्किल में हैं दक्षिण कोरियाई राष्‍ट्रपति

South Korea: दक्षिण कोरियाई राष्‍ट्रपति यून सुक येओल पहले ही महाभियोग का सामना कर रहे हैं और अब उन्‍हें गिरफ्तार करने के लिए उनके खिलाफ वारंट जारी करने का अनुरोध किया गया है.

पहले महाभियोग और अब गिरफ्तारी की तलवार...भारी मुश्किल में हैं दक्षिण कोरियाई राष्‍ट्रपति

South Korea President: दक्षिण कोरिया लगातार राजनीतिक उथल-पुथल में फंसा हुआ है. यहां के राष्‍ट्रपति यून सुक येओल पर महाभियोग लगाया जा चुका है और अब यहां के लॉ एंफोर्समेंट एजेंसी के अधिकारियों ने राष्‍ट्रपति को गिरफ्तार करने के लिए कोर्ट में उनके खिलाफ वारंट जारी का आग्रह किया है. ताकि वे इस बात की जांच कर सकें कि 3 दिसंबर को उनके द्वारा लगाया गया अल्पकालिक 'मार्शल लॉ' विद्रोह के समान था या नहीं.  

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सत्ता के दुरुपयोग के आरोपों पर पूछताछ

उच्च पदस्थ अधिकारियों के लिए भ्रष्टाचार जांच कार्यालय ने पुष्टि की है कि उसने सियोल वेस्टर्न डिस्ट्रिक्ट कोर्ट’ से वारंट का अनुरोध किया है. वे सत्ता के दुरुपयोग और विद्रोह की साजिश रचने के आरोपों को लेकर यून से पूछताछ करना चाहते हैं. यून ने पूछताछ के लिए उपस्थित होने के संयुक्त जांच दल और सरकारी अभियोजकों के कई अनुरोधों को टाल दिया है और साथ ही अपने कार्यालयों में तलाशी भी नहीं करने दी है.

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आड़े आ रहा कानून

यून के खिलाफ पुलिस और सेना के प्राधिकारियों का संयुक्त दल जांच कर रहा है. यह स्पष्ट नहीं है कि अदालत वारंट जारी करेगी या नहीं. यह भी अभी अस्पष्ट है कि यून को पूछताछ के लिए उपस्थित होने के लिए बाध्य किया जाएगा या नहीं. साउथ कोरिया के कानून के तहत, सेना की गोपनीय जानकारी से संभावित रूप से जुड़े स्थानों की प्रभारी व्यक्ति की सहमति के बिना तलाशी नहीं ली जा सकती और न ही वहां से कुछ जब्त किया जा सकता है.  

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बता दें कि दक्षिण कोरिया में अल्पकालिक मार्शल लॉ लागू करने का आदेश देने पर नेशनल असेंबली में राष्ट्रपति यून सुक येओल के खिलाफ लाया गया महाभियोग का प्रस्ताव 14 दिसंबर को पारित हो गया था. इसके बाद राष्ट्रपति के तौर पर यून की शक्तियां को तब तक के लिए निलंबित कर दिया गया जब तक कि संवैधानिक अदालत उन्हें पद से हटाने अथवा उनकी शक्तियों को बहाल करने का फैसला नहीं सुना देती. (एपी)

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