कट्टर तालिबान ने दिखाई नरमी, अब महिलाओं को लेकर लिया ऐसा फैसला
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कट्टर तालिबान ने दिखाई नरमी, अब महिलाओं को लेकर लिया ऐसा फैसला

तालिबान ने महिलाओं को लेकर कुछ ऐसे फैसले लिए हैं, जिनकी तारीफ बनती है. भले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि चमकाने के लिए तालिबान ने ये कदम उठाया हो, लेकिन अगर इस पर सही से अमल किया जाता है तो अफगानिस्तान में रहने वालीं महिलाओं की मुश्किलें थोड़ी कम जरूर होंगी. 

फोटो: अल जजीरा

काबुल: अपने कट्टर कानूनों के लिए आलोचना झेलने वाले तालिबान (Taliban) ने एक अच्छा फैसला लिया है. अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने महिलाओं की जबरन शादी पर रोक लगा दी है. तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंजादा (Hibatullah Akhundzada) ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने महिलाओं की जबरन शादी पर प्रतिबंध लगा दिया है. हालांकि, तालिबान के इस कदम को ‘दिखावटी’ भी माना जा रहा है. कई एक्सपर्ट्स को लगता है कि दुनिया के सामने अपने छवि सुधारने के लिए तालिबान ने यह घोषणा की है. असलियत में महिलाओं के साथ उसकी क्रूरता जारी रहने की आशंका है.   

  1. महिलाओं की जबरन शादी पर लगाई रोक
  2. विधवाओं के प्रति भी नरम हुई सरकार
  3. महिलाओं से  उचित व्यवहार का दिया आदेश 

बिगड़ रहे हैं आर्थिक हालात

अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी के बाद अगस्त में अफगानिस्तान पर तालिबान (Taliban) ने कब्जा कर लिया था. तब से अब तक देश में अंतरराष्ट्रीय मदद बहाल नहीं हुई है और अर्थव्यवस्था लगातार खराब होती जा रही है. अपने ताजा फैसले के बारे में तालिबान ने एक आदेश जारी किया है. जिसमें कहा गया है कि महिला और पुरुष बराबर होने चाहिए. कोई भी महिलाओं को जबरदस्ती या दबाव से शादी (Forced Marriage) करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है.

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महिलाएं अब नहीं हैं संपत्ति

आदेश में शादी के लिए न्यूनतम उम्र का उल्लेख नहीं किया गया है. हालांकि पहले यह 16 साल निर्धारित थी. अफगानिस्तान में दशकों से महिलाओं को संपत्ति की तरह माना जाता रहा है. हत्या के बदले या विवादों अथवा कबायली झगड़ों को समाप्त करने के लिए भी बेटियों की शादी करा दी जाती है. अब तालिबान ने कहा है कि वो इस प्रथा के खिलाफ है. तालिबान ने यह भी कहा कि किसी विधवा को अब अपने पति की मृत्यु के 17 सप्ताह बाद पुनर्विवाह करने की अनुमति होगी. तालिबान नेतृत्व का कहना है कि उसने अफगान अदालतों को महिलाओं विशेष रूप से विधवाओं के साथ उचित व्यवहार करने का आदेश दिया है.

मंत्रियों को दिया ये आदेश

तालिबान का कहना है कि उसने अपने मंत्रियों से महिलाओं के अधिकारों के बारे में पूरी आबादी में जागरुकता फैलाने को कहा है. वैसे बता दें कि मुल्क में अब भी सात से 12वीं कक्षा की हजारों लड़कियों को स्कूल जाने की अनुमति नहीं है और तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अधिकतर महिलाओं के काम पर लौटने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. बहरहाल जो भी हो यदि तालिबान अपने इन फैसलों पर सही से अमल करता है, तो अफगानिस्तान में रहने वाली महिलाओं की मुश्किलें थोड़ी कम जरूर होंगी.

इनपुट: एफपी

 

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