America Russia Tension: समंदर के भीतर तैर रहा मौत का सामान, क्यों महाशक्तियों का अखाड़ा बन गया क्यूबा?
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America Russia Tension: समंदर के भीतर तैर रहा मौत का सामान, क्यों महाशक्तियों का अखाड़ा बन गया क्यूबा?

Russia-US War: दुनिया में ऐसे मौके बहुत कम होते हैं जब दो कट्टर दुश्मन किसी एक इलाके में अपने सबसे खतरनाक हथियारों के साथ मौजूद हों. क्या ये खतरनाक पनडुब्बियां एक-दूसरे की सिर्फ निगरानी भर करेंगी. ऐसा लगता तो नहीं. पिछले कुछ समय से अमेरिका और रशिया अलग-अलग मोर्चे पर एक-दूसरे से टकरा रहे हैं. 

America Russia Tension: समंदर के भीतर तैर रहा मौत का सामान, क्यों महाशक्तियों का अखाड़ा बन गया क्यूबा?

US-Russia Submarines: क्यूबा इस वक्त सुपरपावर्स की जंग का अखाड़ा बन गया है. दुनिया की दो महाशक्तियों के सुपर-हथियार क्यूबा की सीमा में पहुंच रहे हैं. पहले रूस ने अपनी हाईटेक परमाणु पनडुब्बी और हाइपरसोनिक मिसाइलों वाला युद्धपोत भेजा. क्यूबा में अमेरिकन नेवी का एक मिलिट्री अड्डा है. रूसी पनडुब्बी और युद्धपोत खबर मिलते ही अमेरिका भी वहां पहुंच गया.अमेरिका की न्यूक्लियर पावर वाली फास्ट अटैक सबमरीन भी क्यूबा पहुंच गई है. 

दुनिया में ऐसे मौके बहुत कम होते हैं जब दो कट्टर दुश्मन किसी एक इलाके में अपने सबसे खतरनाक हथियारों के साथ मौजूद हों. क्या ये खतरनाक पनडुब्बियां एक-दूसरे की सिर्फ निगरानी भर करेंगी. ऐसा लगता तो नहीं. पिछले कुछ समय से अमेरिका और रशिया अलग-अलग मोर्चे पर एक-दूसरे से टकरा रहे हैं. अभी जंग का मैदान रूस-यूक्रेन बॉर्डर पर है पर आने वाले वक्त में क्यूबा में भी अगला फ्रंट खुल सकता है.

अमेरिका का सबसे बड़ा मिलिट्री ऑपरेशन

अटलांटिक महासागर में अमेरिका ने सबसे बड़ा मिलिट्री ऑपरेशन लॉन्च किया है, जिसका टारगेट रूसी युद्धपोत एडमिरल गोर्शकोव...और रूसी पनडुब्बी कज़ान पर फिक्स है. अमेरिकी सेना के वर्ल्ड क्लास जासूसी और निगरानी विमान, यहां तक कि सैटेलाइट भी गोर्शकोव और कज़ान पर नजरें गड़ाए बैठें हैं.

 दोनों की एक-एक हरकत पर नजर रखी जा रही है. समंदर में ये जहां भी जाएंगे..जिस रास्ते से गुजरेंगे वहां अमेरिकन नेवी पहले ही पहुंच जाएगी. इसे सुपरपावर का फितूर मत समझिए.असल में पुतिन ने बहुत सोच-समझकर अपने दो समुद्री दूत भेजे हैं..दोनों पर ऐसे-ऐसे हथियार हैं जिसे देख किसी सुपरपावर सेना के भी पसीने छूट जाएं.

रूस की कजान पनडुब्बी की खासियतें

रूस की कजान परमाणु पनडुब्बी कितनी ताकतवर है..अमेरिका के करीब रूस की लेटेस्ट न्यूक्लियर सबमरीन के पहुंचने का क्या मतलब है? अमेरिका अलर्ट मोड पर इसलिये है क्योंकि एडमिरल गोर्शकोव पर हाइपरसोनिक मिसाइल जिरकॉन तैनात है. ये मिसाइल हर सेकेंड में 3 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है. पुतिन ने खुद दावा किया कि आवाज़ की रफ्तार से नौ गुना तेज उड़नेवाली जिरकॉन को रोकना असंभव है. अमेरिकी सेना के पास इतनी तेज रफ्तार वाली कोई मिसाइल नहीं है. ऐसा लगता है मानो अमेरिका के इलाके में पुतिन ने अपने विश्वविजयी हथियारों की प्रदर्शनी लगाई है.

एडमिरल गोर्शकोव वो पहला युद्धपोत है जिसपर जिरकॉन मिसाइलों को तैनात किया गया है. ये मिसाइल एक हजार किलोमीटर तक जमीन या समंदर में किसी भी टारगेट को उड़ा सकती है. रूस का दावा है कि इतने पावरफुल हथियार बाकी देशों को छोड़िये. खुद अमेरिका के शस्त्र भंडार में भी नहीं है.यूक्रेन में जिरकॉन मिसाइलों की टेस्टिंग हो चुकी है. पुतिन सेना के मुताबिक जिरकॉन इतनी सटीक है कि अपने टारगेट से मात्र कुछ सेंटीमीटर के दायरे में गिरती है.

अब क्या अमेरिका इन मिसाइलों का अगला टारगेट बन सकता है..आजकल हालात इतने उथल-पुथल भरे हैं कि इस सवाल का जवाब शायद पुतिन भी ना दे पाएं.

हाइपरसोनिक मिसाइलें कितनी खतरनाक हैं?

हथियारों की दुनिया में हाइपरसोनिक मिसाइल किसी सुपर-विलेन जैसी हैं. इनकी रफ्तार बहुत तेज है. इसके आगे बढ़ने का रास्ता तय नहीं होता. ये कभी भी किसी भी जगह अपना रास्ता बदल लेती हैं जमीन के इतने करीब उड़ती हैं कि इनको मार गिराना तो दूर ठीक तरीके से ट्रैक करना भी असंभव हो जाता है. पश्चिमी देश इस मिसाइल को डरावना हथियार मानते हैं क्योंकि बैटलफील्ड में ज़िरकॉन का वार किसी जीतने वाली टीम को भी हार के करीब ले जा सकता है.

 मिसाइलों के अलावा रूसी सबमरीन भी अमेरिका के लिए किसी अनसुलक्षी पहेली से कम नहीं...क्यूबा के तट पर कज़ान सबमरीन को देखकर अमेरिका का सरदर्द और बढ़ गया है.ये एक न्यूक्लियर पावर से चलने वाली क्रूज मिसाइल सबमरीन है..यानी कि इस पनडुब्बी में ऐसी क्रूज मिसाइलें है जिसे ये समंदर की लहरों से नीचे से ही फायर कर सकती है. कज़ान की खासियत है सोनार से लुक-छिपकर समंदर में हमला करने की क्षमता..जिसकी काट ढूंढने के लिए अमेरिका और पश्चिमी देश सालों से परेशान रहे हैं.

दुश्मन नहीं लगा पाता पता

समंदर में किसी भी सबमरीन की सबसे बड़ी ताकत होती है बिना आवाज़ किये आगे बढ़ना. यासेन क्लास की कज़ान सबमरीन समंदर में किसी ब्लैक होल की तरह होती है, जिसका पता लगाना मुश्किल होता है. ये समंदर और जमीन पर किसी टारगेट को बिना नोटिस दिये ही नष्ट कर सकती है. अभी इस सबमरीन पर क्रूज मिसाइलें तैनात हैं. पर आगे चलकर जिरकॉन मिसाइल भी इसपर लगाई जाएंगी..और तब जाकर ये सही मायने में रुसी सेना का ब्रह्मास्त्र बन जाएगी.

 दावा है कि यासेन क्लास की कज़ान पनडुब्बी किसी अमेरिकी सबमरीन जितनी ही ताकतवर और सक्षम है. मतलब रूसी मिलिट्री टैक्नोलॉजी किसी मायने में अमेरिका से पीछे नहीं है. अभी रूस के पास ऐसी 4 पनडुब्बियां हैं जिसे 12 तक ले जाने का टारगेट है. अमेरिका को डर है कि ये आंकड़ा और ज्यादा भी बढ़ सकता है. कजान तो सिर्फ ट्रेलर है. अमेरिका और रूस ने एक-दूसरे के खिलाफ हथियारों की पूरी सीरीज तैयार की हुई है, जो किसी भी वक्त जमीन...आसमान और समंदर में आक्रमण के लिए तैयार है..और यही दुनिया का सबसे बड़ा डर है.

 पिछले कई दशकों से अमेरिका-रूस ने एक दूसरे पर हमला करने के लिए कई तरह की मिसाइलें, बम-हथियार तैयार किये..अब ऐसा लग रहा है मानो उन हथियारों के इस्तेमाल की आशंका बढ़ गई है.

पी-800 के निशाने से कैसे बचेगा दुश्मन

 कजान की खासियत है इसमें लगी मिसाइलें जो लंबी दूरी तक स्ट्राइक करती हैं. पनडुब्बी का पहला हथियार है P-800 ओनिक्स जो एक एंटी शिप क्रूज मिसाइल है. ये समंदर में किसी जहाज को एक वार से ही डुबा सकती है. 3 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़नेवाली ये मिसाइल समुद्र की लहरों के करीब फ्लाई करती है.

 ओनिक्स का साथ देती है कैलिबर क्रूज मिसाइल. करीब 500 किलोग्राम तक का बम लेकर ये मिसाइल तेज रफ्तार से दुश्मन को निशाना बनाती है..2500 किलोमीटर की रेंज में ये किसी भी लक्ष्य को टारगेट कर सकती है. हमले के ठीक पहले इसकी रफ्तार तेज हो जाती है ताकि इसे निशाना बनाना मुश्किल हो जाए. क्यूबा पहुंचे रूस के युद्धपोत और पनडुब्बी पर हाइपरसोनिक मिसाइल..क्रूज मिसाइल और एंटी शिप मिसाइल तैनात होने की खबरें हैं. 

रूस के इन हथियारों में कितनी क्षमता?

क्यूबा के आसपास अमेरिका के जासूसी और निगरानी विमान मंडरा रहे हैं. अंतरिक्ष में मौजूद सैटेलाइट भी क्यूबा के बंदरगाह पर फोकस कर चुके हैं. पहले रूस की पनडुब्बी आई और उसके पीछे-पीछे अमेरिकी पनडुब्बी भी क्यूबा पहुंच गई है. इससे पहले बहुत कम मौके पर ही किसी एक इलाके में दोनों सुपरपावर की पनडुब्बियां एक साथ दिखी हैं. ऐसा लगता है अमेरिकी और रूसी पनडुब्बियों के बीच एक-दूसरे के सीक्रेट जानने की रेस चल रही है.

 रूस के खिलाफ क्यूबा में अमेरिका ने USS हेलेना (HELENA) पनडुब्बी तैनात की है. ये फास्ट अटैक सबमरीन न्यूक्लियर एनर्जी से चलती है.ये दुश्मन जहाजों और पनडुब्बियों को डुबाने के टॉरपीडो के साथ-साथ टोमाहॉक क्रूज मिसाइल और हारपून मिसाइल भी लेकर चलती है. जरूरत हो तो ये समंदर में बारूदी सुरंग भी बिछा सकती है.हालांकि USS हेलेना का क्यूबा में अलग ही मिशन है. क्यूबा में अमेरिका का एक नौसैनिक अड्डा है. दावा है कि अमेरिकी पनडुब्बी अपने रूटीन दौरे पर क्यूबा पहुंची है. फिलहाल जब तक रूसी पनडुब्बी यहां रहेगी तब तक शायद अमेरिकी भी यहीं जमे रहेंगे.

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