Hariyali Amavasya 2022: हरियाली अमावस्या का व्रत आज, जानें पूजा विधि और उपाय

 Hariyali Amavasya 2022: हिंदू धर्म में सावन माह का बहुत अधिक महत्व होता है. इस महीने विधि-विधान से भगवान शंकर की पूजा-अर्चना की जाती है. अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान का बहुत अधिक महत्व होता है. अगर पवित्र नदी में स्नान संभव न हो तो पानी में गंगा जल डालकर स्नान करें.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 28, 2022, 05:56 AM IST
  • जानें हरियाली अमावस्या की पूजा विधि
  • सावन अमावस्या व्रत और धार्मिक कर्म
Hariyali Amavasya 2022: हरियाली अमावस्या का व्रत आज, जानें पूजा विधि और उपाय

नई दिल्ली: Hariyali Amavasya 2022:  हिंदू धर्म में सावन माह का बहुत अधिक महत्व होता है. इस महीने विधि-विधान से भगवान शंकर की पूजा-अर्चना की जाती है. अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान का बहुत अधिक महत्व होता है. अगर पवित्र नदी में स्नान संभव न हो तो पानी में गंगा जल डालकर स्नान करें. स्नान करते समय मां गंगा का ध्यान जरूर करें. अमावस्या के दिन इस आसान उपाय को करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है.

हरियाली अमावस्या की पूजा विधि
अगर आप भी इस दिन व्रत रखकर शुभ फल की प्राप्ति करना चाहते हैं तो इसके लिए जरूरी है कि आप पूजा विधि के अनुसार ही इस व्रत को पूरा करें. इसके लिए हरियाली अमावस्या के दिन पति-पत्नी साथ में भगवान शिव और देवी पार्वती जी की पूजा करें. पूजा करने के लिए आप सबसे पहले शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें.

अब उस पर सफेद फूल अर्पित करें. माता पार्वती जी को शृंगार चढ़ाएं. दीप प्रज्वलित करें. उन्हें भोग लगाएं, पूजा के दौरान ऊॅं उमा महेश्वराय नमः मंत्र का जाप करें. इस पूजा का प्रसाद पति-पत्नी ग्रहण करें और परिवार के सदस्यों में भी इसे बांटे. अगर आप यह पूजा करते हैं तो आपका वैवाहिक जीवन खुशहाल व समृद्ध हो जाएगा.

सावन अमावस्या व्रत और धार्मिक कर्म
सावन मास में बारिश के आगमन से धरती का कोना-कोना हरा-भरा होकर खिल उठता है. चूंकि सावन अमावस्या पर पेड़-पौधों को नया जीवन मिलता है और इनकी वजह से ही मानव जीवन सुरक्षित रहता है इसलिए प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी हरियाली अमावस्या का बहुत महत्व है.

इस दिन किए जाने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार हैं
- इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए.
- इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है और इसके फेरे लिये जाते हैं.
- हरियाली अमावस्या पर पीपल, बरगद, केला, नींबू, तुलसी आदि का वृक्षारोपण करना शुभ माना जाता है. क्योंकि इन वृक्षों में देवताओं का वास माना जाता है.
- वृक्षारोपण के लिये उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तरा भाद्रपदा, रोहिणी, मृगशिरा, रेवती, चित्रा, अनुराधा, मूल, विशाखा, पुष्य, श्रवण, अश्विनी, हस्त आदि नक्षत्र श्रेष्ठ व शुभ फलदायी माने जाते हैं.
- किसी नदी या तालाब में जाकर मछली को आटे की गोलियां खिलाएं. अपने घर के पास चींटियों को चीनी या सूखा आटा खिलाएं.
- सावन हरियाली अमावस्या के दिन हनुमान मंदिर जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें. साथ ही हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं.

नीमः

संतान प्राप्ति के लिए इस दिन नीम के पेड़ की पूजा करने का विधान है. मान्यता है कि इससे रोगों का भी नाश होता है.
 

पीपलः

हिंदू धर्म में पीपल का पेड़ पूजनीय है. शास्त्रों के अनुसार पीपल के वृक्ष में तीनों देव यानी ब्रह्मा, विष्णु और शिव का वास होता है. हरियाली अमावस्या पर इसकी पूजा करने से शनि की महादशा से छुटकारा मिलता है.

वटः

वट वृक्ष को बरगद का पेड़ भी कहते हैं. शास्त्रों में जिक्र है कि हरियाली अमावस्या पर इसकी पूजा से अखंड सौभाग्य मिलता है. हरियाली अमावस्या पर इसके रोपन से पितृदोष शांत हो जाते हैं.

आंवलाः

धन से संबंधित परेशानियों से राहत पाने के लिए हरियाली अमावस्या पर आंवले के पेड़ की पूजा करें और शाम के समय पेड़ के नीचे घी का दीपक लगाएं. सावन में इसकी पूजा से भगवान शिव के साथ विष्णु जी भी कृपा प्राप्त होती है.

बेलपत्रः

सावन में बेलपत्र के पेड़ की पूजा से समस्त पापों का विनाश हो जाता है. कहते हैं कि अमावस्या तिथि पर बेलपत्र के पेड़ की पूजा करनी चाहिए.

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