कैंची धाम स्थापना दिवसः नीम करोली बाबा न होते आज आपके हाथ में एप्पल का फोन न होता !

एपल कंपनी के सह संस्थापक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और संस्थापक मार्क जुकरबर्ग, ग्रैमी अवार्ड के लिए नामांकित गायक जय उत्तल और अभिनेत्री जूलिया राबर्टस जैसी हस्तियों के प्रेरणास्रोत रहे नीम करोली बाबा ने यहां 15 जून 1964 को हनुमान मंदिर की स्थापना की थी. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 15, 2021, 11:41 AM IST
  • जॉब्स 1974 में एक आध्यात्मिक गुरु की तलाश में भारत आए थे
  • बचपन से ही संन्यास लेना चाहते थे स्टीव जॉब्स, फिर बाबा से मिले
 कैंची धाम स्थापना दिवसः नीम करोली बाबा न होते आज आपके हाथ में एप्पल का फोन न होता !

नैनीताल: लगातार दूसरे साल इस बार भी कोविड-19 के कारण कैंची धाम में नीम करोली बाबा के हनुमान मंदिर के गेट मंगलवार को होने वाले स्थापना दिवस पर श्रद्धालुओं के लिए नहीं खुलेंगे. हर साल स्थापना दिवस के लिए श्रद्धालु पहले से ही समारोह की तैयारियां शुरू कर देते हैं.

उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के मद्देनजर कोविड संक्रमण को रोकने के लिए मंदिर के गेट स्थापना दिवस से कुछ दिन पहले ही बंद कर दिए गए हैं.

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15 जून 1964 को की थी हनुमान मंदिर की स्थापना
एपल कंपनी के सह संस्थापक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और संस्थापक मार्क जुकरबर्ग, ग्रैमी अवार्ड के लिए नामांकित गायक जय उत्तल और अभिनेत्री जूलिया राबर्टस जैसी हस्तियों के प्रेरणास्रोत रहे नीम करोली बाबा ने यहां 15 जून 1964 को हनुमान मंदिर की स्थापना की थी. 

पिछले 50 साल से अधिक समय से इसका स्थापना दिवस बाबा के श्रद्धालुओं के लिए एक खास मौका रहता है जहां इसकी तैयारियां कई दिनों पहले ही शुरू हो जाती हैं.

इस दिन यहां हर साल भंडारा, सार्वजनिक दावतें और विशेष प्रसाद का वितरण हुआ करता था लेकिन इस बार स्थापना दिवस से एक दिन पहले मंदिर के गेट बंद हैं और वहां सन्नाटा पसरा हुआ है.

जब बाबा से मिले स्टीव जॉब्स
कैंची मंदिर ट्रस्ट के पास उपलब्ध रिकार्ड बताते हैं कि बचपन से संन्यासी बनने का सपना पाल रहे स्टीव जॉब्स ने बाबा नीम करोली के बारे में जानने के बाद अपना इरादा बदल दिया जो न केवल संन्यास बल्कि मानवता की सेवा के लिए कर्म में भी विश्वास रखते थे.
बाबा के शिष्य बताते हैं कि जॉब्स 1974 में एक आध्यात्मिक गुरु की तलाश में भारत आए थे और जब वह महाराज जी (बाबा नीम करोली) के शिष्यों के संपर्क में आए तो उन्होंने संन्यास का अपना इरादा बदल दिया.

दुनिया भर में हैं बाबा के अनुयायी
बाबा नीम करोली के एक शिष्य और वृंदावन स्कूल के आलोक शाह ने बताया कि डा रिचर्ड अल्प्रेट, जिन्हें बाबा ने रामदास नाम दिया था, एक बहुत लोकप्रिय आध्यात्मिक गुरु हैं और उनके अनुयायी अमेरिका, कनाडा और यूरोप भर में फैले हुए हैं.

उन्होंने बताया कि रामदास बाबा, और उनके विदेशी अनुयायियों के बीच की कड़ी थे जबकि केके शाह इनके बीच एक इंटरप्रेटर की भूमिका निभाते थे और स्टीव जाब्स इन दोनों के नजदीकी संपर्क में रहते थे.
महाराज के एक और शिष्य लैरी ब्रिलिएंट हैं जिन्हें दुनियाभर में चेचक उन्मूलन का श्रेय दिया जाता है.

ब्रिलिएंट ने बाबा नीम करोली के आश्रम में पढते हुए भारत में कई वर्ष गुजारे थे. महाराज जी ने उनका नामकरण सुब्रमण्यम किया था और उनकी ही सलाह पर ब्रिलिएंट ने चेचक उन्मूलन का चुनौतीपूर्ण कार्य का बीड़ा उठाया.

लैरी ब्रिलिएंट भी बाबा के शिष्य
महाराज जी के साथ ब्रिलिएंट की मुलाकात का यह विवरण 'मिरेकल्स आफ लव' नामक पुस्तक में मिलता है जिसका उन्होंने खुद वर्णन किया है. कैंची धाम मंदिर के गेट भले ही बंद हों लेकिन महाराज जी के शिष्य इन दिनों विभिन्न स्थानों पर जरूरतमंदों के लिए भंडारे का आयोजन कर रहे हैं.

एक वकील और बाबा के शिष्य विनोद जोशी ने कहा कि इस कठिन समय में हम अस्पतालों में भंडारे आयोजित कर रहे हैं और शायद महाराज जी के हीलिंग टच का आशीर्वाद मिल जाए.

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