नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में जिस तरह की लहर चल रही है, उसने ममता दीदी की नींद उड़ा रखी है. हर एक रैली में वो बीजेपी को कोसती रहती हैं और कोशिश करती हैं कि बंगाल में जो हवा बीजेपी की बनी है, उसमें सेंध लगाई जा सके. ममता दीदी का ये खौफ तब और बढ़ जाता है, जब बीजेपी रथ यात्रा के फॉर्मूले को बंगाल के सियासी समर में आजमाने के लिए आती है. पश्चिम बंगाल के नवद्वीप से जेपी नड्डा ने रथ यात्रा की शुरुआत की. रथ यात्रा में उमड़ी भीड़ ममता बनर्जी की टेंशन की वजह बन सकती है.
रथ यात्रा को दौरान जी हिन्दुस्तान से एक्सक्लूसिव बातचीत में बीजेपी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि, 'ये भीड़ देखिए, ममता का जाना तय है, पीसी और भाइपो का जाना तय है, कमल का खिलना तय है, बंगाल में परिवर्तन आने वाला है.'
रथ यात्रा का ये वो तय फॉर्मूला है जिसकी मदद से बीजेपी ने सियासी मैदान में झंडे गाड़े हैं और वह देश की ही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. ये वो फॉर्मूला है जिसने बीजेपी को सत्ता में स्थापित किया. अब यह रथ यात्रा का फॉर्मूला बंगाल में लागू किया जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी को यकीन है कि वो बंगाल में 200+ का अपना टारगेट पूरा करेगी. जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि, 'जो मैं जोश देख रहा हूं, जो मैं हाथ हिलाता हूं और जिस तरह से जनता का उत्साह दिखता है, उससे लगता है कि हम आसानी से विधानसभा चुनाव में 200 पार होंगे.'
रथ यात्रा कर के बीजेपी ने सिर्फ तमाम सियासी पार्टियों को चुनौती दी, बल्कि इसके जरिए जनता के बीच जगह बनाई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी के इस फॉर्मूले के सूत्रधारों में से एक थे और वो गुजरात की धरती थी जहां से बीजेपी की पहली रथ यात्रा निकली थी और देश भर में हलचल पैदा कर दी थी
बंगाल में बीजेपी की 'अयोध्या रणनीति'
अब जानिए कि जिस तरह से श्रीराम के नाम से ममता बनर्जी चिढ़ जाती हैं, उसी तरह से बीजेपी की रथ यात्रा से क्यों घबराती हैं. दरअसल सियासत में रथ यात्रा की बात आते ही खयालों में बीजेपी अपने आप आ जाती है और इतिहास गवाह है कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने संगठन और जनाधार को रथयात्रा के फॉर्मूले से मजबूत किया है. बीरभूम में जब अमित शाह ने छोटी रथ यात्रा की, तो वह एक ट्रेलर था जिसकी फिल्म अब शुरू हुई है. भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने परिवर्तन यात्रा का आगाज किया तो ममता बनर्जी की पेशान पर बल जरूर पड़ गए होंगे और आखिर क्या है रथ यात्रा का फॉर्मूला जिससे विरोधी दल खौफ खाते हैं
साल 1990 में सोमनाथ से अयोध्या की रथ यात्रा. ये बीजेपी की पहली रथ यात्रा थी, जन सैलाब देखिए. गुजरात के सोमनाथ से ये यात्रा श्री राम का नाम लेकर निकली और अयोध्या चलने का नारा दे रही थी. आम लोगों का बहुत समर्थन मिला लेकिन बिहार में पहुंचते ही लालू प्रसाद यादव की सरकार ने यात्रा को रोक दिया. ये पहली यात्रा थी जिसका दम बीजेपी ने विरोधियों को दिखाया था. इसके बाद तमाम रथ यात्राएं निकलीं, सब सफल रहीं और बीजेपी के जनाधार को बढ़ाती चली गईं, 1995, 1996 और 1997 में आडवाणी ने जो यात्राएं निकालीं उसकी बदौलत बीजेपी को न सिर्फ केंद्र सरकार की कमान मिली, बल्कि बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी.
केंद्र में अपनी धमक दिखाने के साथ आडवाणी को कमल के रथ के तमाम सारथी मिले, जिन्होंने बीजेपी को न सिर्फ संगठन के तौर पर बल्कि अलग-अलग राज्यों में सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाया. कई अन्य पार्टियों ने भी बीजेपी के इस हिट फॉर्मूले पर चलने की कोशिश की लेकिन रथ यात्रा का बीजेपी का फॉर्मूला कुछ मौकों को छोड़कर हर बार बीजेपी को सत्ता तक लेकर गया लेकिन दूसरी पार्टियों के मामले में रथ यात्राएं लोगों को आकर्षित भी नहीं कर पाईं.
इसीलिए टीएमसी को बीजेपी की रथ यात्राओं से डर लगता है. दस साल के शासन काल में ममता बनर्जी को अगर किसी पार्टी ने सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई है, तो वह है भारतीय जनता पार्टी और पिछले चुनावों में बीजेपी ने बंगाल के वोट बैंक में अपनी हिस्सेदारी भी बहुत तेजी से बढ़ाई है ऐसे में ये रथ यात्राएं टीएमसी सरकार के लिए सबसे बड़ा खतरा बन सकती हैं.
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बंगाल बढ़ सकती है हिंसा
अप्रैल-मई में 5 राज्यों में चुनाव है. असम, बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुद्दुचेरी और बंगाल से पहले बीजेपी ने तमिलनाडु में रथ यात्रा शुरू की थी. नवंबर महीने में वेत्रीवेल रथ यात्रा आयोजित की गई और इसे लेकर सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक से टकराव भी हुआ. कई जगहों पर बीजेपी नेता हिरासत में लिए गए, अनुमति नहीं मिलने के बावजूद बीजेपी ने रोड शो किया था. ऐसे ही हालात पश्चिम बंगाल में भी नजर आ रहे हैं, जहां सत्तारूढ़ टीएमसी बीजेपी की परिवर्तन यात्रा में रोड़े अटका सकती है.
पश्चिम बंगाल में बीजेपी का बड़ा प्लान है. प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसी 5 रथ यात्राएं निकालने की योजना है. हालांकि बीजेपी इसे रथ यात्रा का नाम देने से बच रही है और बंगाल में परिवर्तन यात्रा का नाम दे रही है. जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि, 'लोगों का समर्थन है, उत्साह है, उमंग है, आज भी देख रहे हैं कि किस तरह से लोग जुड़े हैं, ये बताता है कि परिवर्तन का मन बनाया जा चुका है, इस परिवर्तन यात्रा से इसे वोट में कनवर्ट करना है, जिससे लोगों में विश्वास बनेगा.'
जगत प्रकाश नड्डा के बाद भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और फायर ब्रांड नेता अमित शाह 11 जनवरी को एक रथ यात्रा की शुरुआत करेंगे. ये रथ यात्राएं पूरे पश्चिम बंगाल तक पहुचनेवाली हैं और बीजेपी का नैरेटिव बिल्कुल क्लियर है. TMC के टी को टोलाबाजी, तुष्टिकरण और तानाशाह करार देना. नड्डा ने ममता पर हमला बोलते हुए कहा कि, 'ये टोलाबाजी की सरकार है. मां माटी मानुष में से ना माटी बची, ना मानुष बचे और मां की तो चिंता ही नहीं है, क्या किया? टोलाबाजी, तुष्टिकरण और तानाशाही की सरकार बनी है.'
बीजेपी की परिवर्तन यात्रा को लेकर पिछले दिनों जमकर राजनीति हुई, मामला हाईकोर्ट में भी पहुंचा हुआ है. टीएमसी की कोशिश थी कि किसी तरह से बीजेपी को ये यात्राएं करने से रोका जाए, लेकिन बीजेपी ने इसकी शुरुआत कर दी है. जिस तरह से पश्चिम बंगाल के अलग-अलग हिस्सों में हिंसा का दौर चल रहा है. बीजेपी और टीएमसी के कार्यकर्ता आए दिन भिड़ जाते हैं, बम चल रहे हैं, बंदूक चल रही है, उससे ये भी संभावना जताई जा रही है कि बीजेपी की परिवर्तन यात्रा को डिरेल करने की कोशिश हो सकती है.
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