नई दिल्ली: पंजाब की संगरूर लोकसभा सीट पर उपचुनाव में अकाली दल मान गुट के सिमरनजीत सिंह मान ने आम आदमी पार्टी के युवा उम्मीदवार गुरमेल सिंह को शिकस्त दे दी. ये गुरमेल सिंह की बजाए सीएम भगवंत मान की हार है, क्योंकि उनके इस्तीफे के कारण ही ये सीट खाली हुई थी.
पंजाब में घटा AAP का 'मान'
करीब 100 दिन पहले ही मुख्यमंत्री बने भगवंत मान पहले ही टेस्ट में फेल हो गए. बदलाव के नारे और बड़ी उम्मीदों के साथ सरकार में आई आम आदमी पार्टी संगरूर उपचुनाव के रूप में मिली पहली ही राजनीतिक चुनौती पार नहीं कर सकी.
संगरूर सांसद सिमरनजीत सिंह मान ने कहा कि 'पूरे भारत समेत पूरी दुनिया में किस बात पर चर्चा की जाएगी एक बहुत मामूली सा उम्मीदवार जिसे लोग कहते थे कि तुम्हें तो कोई वोट नहीं देगा उसने इतने बड़े-बड़े उम्मीदवारों को हरा दिया. हमारे हौसले इतने बुलंद हैं कि अब हम चुप नहीं रहेंगे, बहुत दिनों बाद शिरोमणि अकाली दल की इतनी शानदार जीत हुई है.'
सिमरनजीत सिंह मान शिरोमणि अकाली दल अमृतसर के प्रमुख हैं. पुलिस अधिकारी रहे मान ने 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में नौकरी छोड़ दी थी. उन्होंने 1989 में सबसे पहले तरनतारन से लोकसभा चुनाव जीता था. 1994 में श्री अकाल तख्त के तत्कालीन जत्थेदार मंजीत सिंह के कहने पर अकाली दल अमृतसर का गठन किया था. 1999 में उन्होंने संगरूर से लोकसभा चुनाव से जीत हासिल की थी. 2014 में वे खडूर साहिब लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे थे, लेकिन उनकी जमानत जब्त हो गई थी. इस बार उन्होंने संगरूर में आम आदमी पार्टी का किला ढहा दिया, जहां से मौजूदा सीएम भगवंत मान दो बार सांसद रहे.
मूसेवाला की हत्या से उठा सवाल
दरअसल, आम आदमी पार्टी सरकार के छोटे से कार्यकाल में ही पंजाब में कानून व्यवस्था पर सवार उठने लगे. पार्टी की इमेज को सबसे बड़ा धक्का सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या से लगा.
संगरूर उपचुनाव में पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या का मुद्दा छाया रहा. विरोधी पार्टियों ने इसके लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुआई वाली आप सरकार को जिम्मेदार ठहराया. मूसेवाला इस चुनाव में अकाली दल (अमृतसर) के सिमरजीत सिंह मान के लिए प्रचार करने वाले थे. इसी वजह से संगरूर सीट पर यूथ आप का साथ छोड़ कर मान का प्रचार करता रहा.
बाजी हाथ से फिसलती देख आम आदमी पार्टी ने जोर लगाया. कई मंत्रियों को भी प्रचार में उतारा फिर भी युवाओं के समर्थन के दम पर 77 साल के पूर्व पुलिस अधिकारी सिमरनजीत सिंह मान ने आम आदमी पार्टी के युवा उम्मीदवार को धूल चटा दी. सिमरनजीत सिंह मान ने नजदीकी मुकाबले में 5 हजार 882 मतों से जीत हासिल की.
संगरूर में हार के बाद पंजाब के सीएम भगवंत मान की प्रतिक्रिया भी सामने आई. उन्होंने ट्वीट किया कि 'संगरूर की जनता का फैसला सिर माथे पर.. मैं पंजाब की तरक्की और खुशहाली के लिए दिन रात ईमानदारी से मेहनत कर रहा हूं, आगे और मेहनत करूंगा. मैं आपका बेटा हूं और आपके परिवारों के भविष्य को रोशन बनाने के लिए कोई कसर नहीं रहने दूंगा.'
दिल्ली में AAP का जलवा कायम
पंजाब में भले ही आम आदमी पार्टी को झटका लगा लेकिन दिल्ली में उसकी धमक कायम रही. राजेन्द्र नगर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के दुर्गेश पाठक ने 11 हजार 555 वोटों से जीत हासिल की. बीजेपी के राजेश भाटिया दूसरे नंबर पर रहे.
जीत के बाद दुर्गेश पाठक ने सीएम अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की. उन्होंने इसे दिल्ली सरकार के काम की जीत बताया.
दिल्ली के राजेन्द्र नगर से बने विधायक दुर्गेश पाठक ने कहा कि 'ये जीत केजरीवाल जी की, आप के काम की जीत है. भगवन राम का आशीर्वाद है, बीजेपी पहले दिन से चुनाव हार चुकी थी, उनके पास कोई एजेंडा नहीं है. हम जनता के दिलो में बसते हैं.'
आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दुर्गेश पाठक को जीत की बधाई दी. उन्होंने ट्वीट किया कि 'राजेंद्र नगर के लोगों का दिल से आभार, दिल्ली के लोगों के इस अथाह स्नेह और प्रेम का मैं आभारी हूं. यही हमें और मेहनत, सेवा करने की प्रेरणा देता है. लोगों ने उनकी गंदी राजनीति को हराया और हमारे अच्छे काम को सराहा. शुक्रिया राजेंद्र नगर, शुक्रिया दिल्ली.'
राजेंद्र नगर के लोगों का दिल से आभार
दिल्ली के लोगों के इस अथाह स्नेह और प्रेम का मैं आभारी हूँ। यही हमें और मेहनत एवं सेवा करने की प्रेरणा देता है
लोगों ने उनकी गंदी राजनीति को हराया और हमारे अच्छे काम को सराहा
शुक्रिया राजेंद्र नगर, शुक्रिया दिल्ली #AAPsweepsRajinderNagar
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) June 26, 2022
दरअसल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजेन्द्र नगर सीट जीतने के लिए पूरा जोर लगाया था. केजरीवाल ने राजेंद्र नगर विधानसभा सीट पर करीब 3 दिनों तक चुनाव प्रचार किया था, रोड शो करके दुर्गेश पाठक के लिए समर्थन मांगा था. केजरीवाल के साथ उनके लगभग सारे मंत्री भी प्रचार में उतरे थे.
राघव चड्ढा के इस्तीफे के बाद खाली हुई इस सीट पर आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल कर प्रतिष्ठा बचा ली है. हालांकि पंजाब के सीएम भगवंत मान की सीट संगरूर में हार से पार्टी की साख पर असर पड़ा है.
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