BENGAL ELECTION: जीत के लिए नेताओं की शक्ति पूजा

पीएम मोदी ने बीजेपी को बड़े से बड़े चुनावों में यादगार जीत दिलाई है. बंगाल में विराट विजय मोदी का सपना है अपने इसी सपने को साकार करने के लिए मोदी भी मां काली की शक्ति पूजा कर चुके हैं. अमित शाह ने तो अपने मिशन बंगाल की शुरूआत ही दक्षिणेश्वर में मां काली की पूजा से की थी. 

Written by - Rajendra Kumar | Last Updated : Dec 17, 2020, 09:12 AM IST
  • दक्षिणेश्वर कालीघाट मंदिर 51 शक्तिपीठों में एक
  • 200 साल पुराना है कालीघाट मंदिर
  • कालीघाट मंदिर मां काली की जागृत पीठ मानी जाती है
BENGAL ELECTION: जीत के लिए नेताओं की शक्ति पूजा

कोलकाताः बंगाल की सत्ता के रास्ते मां काली के इसी शक्तिपीठ से होकर जाते हैं. कोलकाता में दक्षिणेश्वर की मां काली सिद्धपीठ बंगालियों की आस्था और विश्वास का सबसे बड़ा प्रतीक हैं. बंगाली समुदाय कोई भी बड़ा काम शुरू करने से पहले मां काली का आशीर्वाद लेना नहीं भूलता.  बंगाल में अगले साल की शुरूआत में विधानसभा चुनाव होने हैं. बंगाल के चुनावी रण में विरोधियों को चारों खाने चित्त करने के लिए बड़े- बड़े नेता मां काली के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं.

पीएम मोदी ने बीजेपी को बड़े से बड़े चुनावों में यादगार जीत दिलाई है. बंगाल में विराट विजय मोदी का सपना है अपने इसी सपने को साकार करने के लिए मोदी भी मां काली की शक्ति पूजा कर चुके हैं. अमित शाह ने तो अपने मिशन बंगाल की शुरूआत ही दक्षिणेश्वर में मां काली की पूजा से की थी. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी जब कोलकाता आए तो मां काली के दरबार में हाजिरी लगाना नहीं भूले. अपनी जिंदगी की सबसे मुश्किल चुनावी लड़ाई का सामना कर रही ममता बनर्जी भी मां काली की भक्त हैं.

 
शक्ति पूजा से मिलेगी सत्ता

दक्षिणेश्वर मां काली का ये मंदिर आदिशक्ति पीठ माना जाता है. मान्यता है कि यहां पूजा करने वालों को मां काली कभी निराश नहीं करतीं. मां अपने भक्तों की मुराद जरूर पूरी करती हैं  लिहाजा बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं ने बंगाल विजय के अभियान की शुरूआत मां काली के दरबार में हाजिरी लगाकर की है. कोलकाता में गंगा नदी के किनारे बसे दक्षिणेश्वर काली घाट मंदिर को 51 शक्तिपीठों में एक माना जाता है .

200 साल पुराने काली घाट मंदिर का जिक्र मंसाल भासन और कंकन चंडी जैसे ग्रंथों में भी मिलता है . पौराणिक मान्यता है कि माता सती के दाएं पैर की अंगुलियां यहां गिरी थीं . विश्वास है कि मां काली का जागृत स्वरूप सिद्धेश्वर मंदिर में मौजूद है इसीलिए इसे जागृत पीठ भी कहा जाता है.

 

मां काली के भक्तों के लिए ये किसी तीर्थ से कम नहीं है जो भी भक्त यहां दर्शन करने आता है मां काली उनकी मुराद जरूर पूरा करती हैं. बंगाल की रानी रासमनि मां काली की बहुत बड़ी उपासक थीं. मां काली उन्हें सपने में आईं थीं उसी के बाद रानी रासमनि ने दक्षिणेश्वर में काली मंदिर का निर्माण कराया. बंगाली हिंदू जागरण के सूत्रधार स्वामी रामकृष्ण परमहंस 1857 में दक्षिणेश्वर मां काली शक्तिपीठ के प्रधान पुजारी बने जो स्वामी विवेकानंद के गुरू थे.

उन्होंने इस मंदिर को अपनी साधनास्थली बनाया. मान्यता है कि स्वामी रामकृष्ण परमहंस की भक्ति से प्रसन्न होकर मां रोज़ाना उन्हें दर्शन देने आती थीं और उनसे बातें करती थीं. आज भी मंदिर में उनका कमरा जस का तस सरंक्षित है.  

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पीएम मोदी ने की काली पूजा 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब पिछली बार कोलकाता पधारे थे तो उन्होंने दक्षिणेश्वर मंदिर में मां काली की पूजा की थी. तब मोदी ने संकल्प लिया था कि बंगाल में बदलाव लाने तक और भगवा फहराने तक वो चुप नहीं बैठेंगे. कोलकाता में मां काली सिद्धपीठ के सामने गंगा के उस पार बेलूर मठ है जिसकी स्थापना स्वामी विवेकानंद ने की थी . प्रधानमंत्री मोदी ने रात्रि विश्राम भी इसी बेलूर मठ में किया था.

शाह की शक्ति पूजा

बंगाल विजय के लिए बीजेपी ने कमर कस ली है..बड़े नेताओं से लेकर कार्यकर्ता तक अबकी बार 200 पार के प्लान पर काम शुरू कर चुके हैं. गृहमंत्री अमित शाह ने दीदी का गढ़ ढहाने की कसम खाई है और अपनी कसम पूरा करने के लिए मां के दरबार में हाजिरी भी लगा चुके हैं. मिशन बंगाल पर अमित शाह जब पहली बार कोलकाता पधारे तो सबसे पहले उन्होंने दक्षिणेश्वर में जाकर मां काली का आशीर्वाद लिया. इसके बाद अपने चुनावी अभियान की शुरूआत की और दीदी को उनके गढ़ में ललकारा.

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय भी मिशन बंगाल को पूरा करने में जी जान से लगे हुए हैं वो भी जब कोलकाता आए तो सबसे पहले दक्षिणेश्वर पहुंचे और मां काली का आशीर्वाद लिया. 10 साल से बंगाल की सत्ता पर काबिज ममता बनर्जी इस बार सबसे कड़े मुकाबले में फंसी हैं. बीजेपी उन्हें उखाड़ फेंकने को तैयार दिखाई पड़ती है.दीदी भी मां काली के सहारे चुनावी जीत की हैट्रिक लगाना चाहती हैं पर क्या लगातार तीसरी बार मां काली का आशीर्वाद उन्हें मिलेगा ये बड़ा सवाल बना हुआ है.

क्या लगातार तीसरी बार दीदी को मिलेगा मां काली का आशीर्वाद?

10 साल से बंगाल में सरकार चला रही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उसी दक्षिणेश्वर इलाके में रहती हैं जहां मां काली का सबसे बड़ा सिद्धपीठ है . मुख्यमंत्री अक्सर मां काली के मंदिर में दर्शन के लिए आती रहती हैं. बीजेपी उन पर बंगाल में तुष्टिकरण के गंभीर आरोप बीजेपी लगाती रही है . यहां तक आरोप लगाए गए हैं कि ममता दीदी ने दक्षिणेश्वर के विकास पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दक्षिणेश्वर में मां काली की सिद्धपीठ से महज 1 मील की दूरी पर रहती हैं.

चुनाव सिर पर देख अब उन्होंने मां काली सिद्धपीठ के आसपास विकास के काम तेज कराए हैं लेकिन क्या चुनाव में इससे फायदा होगा. दक्षिणेश्वर में विकास की अनदेखी के आरोपों का जवाब ममता बनर्जी ने स्काईवाक बनाकर दिया है. कालीघाट मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उन्होंने ऑटोमैटिक सीढियां भी बनवाई हैं ताकि पूजापाठ के लिए आने वाले बुजुर्गों और महिलाओं को सुविधा हो.

अब देखना है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मां काली का आशीर्वाद ममता दीदी को मिलता है या फिर बीजेपी को । फिलहाल तो लड़ाई मुश्किल है और दोनों ही पार्टियां एक दूसरे को पछाड़ने के लिए हर दांव आजमा रही हैं. जाहिर है जिसका दांव सही लगेगा जीत उसे ही मिलेगी .

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