ओमप्रकाश राजभर के कहने पर योगी ने नहीं किया था डीएम का तबादला, यहीं से शुरू हो गया विवाद

वैसे तो ओमप्रकाश राजभर बार-बार ये कहते रहते हैं कि जातीय जनगणना और ओबीसी के हक की मांग सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार ने नहीं मानी, जिसके चलते उन्होंने यूपी सरकार और भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया. अब वो अखिलेश यादव की साइकिल पर सवार हैं. आपको इस रिपोर्ट में समझ आ जाएगा कि असल में राजभर ने योगी का साथ क्यों छोड़ा.

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Dec 31, 2021, 10:50 AM IST
  • ओमप्रकाश राजभर ने क्यों छोड़ा था भाजपा का साथ?
  • अधिकारियों का तबादला कराने को लेकर बढ़ा था विवाद!
ओमप्रकाश राजभर के कहने पर योगी ने नहीं किया था डीएम का तबादला, यहीं से शुरू हो गया विवाद

नई दिल्ली: Ground Report- उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों सबसे ज्यादा सुर्खियां बंटोरने वाले नेता में ओमप्रकाश राजभर का नाम दर्ज है. इन दिनों राजभर अखिलेश यादव की साइकिल पर सवार होकर योगी सरकार को कड़ी चुनौती दे रहे हैं. वो बार-बार ये कहते हैं कि यूपी में बीजेपी का वनवास उन्होंने ही दूर किया था. आखिर ओमप्रकाश राजभर ने उसी बीजेपी की सरकार का साथ बीच में ही क्यों छोड़ दिया था.

राजभर के साइकिल पर सवार होने की असलियत

वैसे तो ओमप्रकाश राजभर ने भाजपा का साथ छोड़ने की वजह बार-बार ये बताई कि योगी सरकार ने उनके साथ और ओबीसी समाज के साथ धोखा किया. राजभर ने ये भी कहा था कि जातीय जनगणना कराने के वादे से भाजपा मुकर गई. इसी के चलते उन्होंने सरकार का साथ छोड़ा, लेकिन राजभर की इस बात में कितनी सच्चाई है या फिर उनकी ये दलील महज एक बहाना...

बहाना इसलिए, क्योंकि जब ज़ी हिन्दुस्तान की टीम ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए खुद ओमप्रकाश राजभर के विधानसभा जहूराबाद पहुंची, तो कुछ सच्चाई सामने आई. दुबिहा मोड़ नाम के एक बाजार में जहां कई सारे नेताओं ने जमावड़ा लगाए रखा था. हमारी टीम उन नेताओं से बात करने पहुंची.

पीले रंग का गमछा ओढ़कर बुजुर्ग नेता वहां खड़े थे. उन्होंने खुद का नाम मुरलीधर सिंह बताया. उन्होंने खुद को ओमुप्रकाश राजभर का घोर समर्थक बताया. हमने सवाल पूछा कि आखिर 2017 में भाजपा और फिर आखिर क्या ऐसा हो गया कि उन्हें सीएम योगी से कन्नी काटनी पड़ गई?

अधिकारियों का ट्रांसफर नहीं करा पाने का दर्द

इस सवाल का जवाब देते हुए मुरलीधर सिंह ने कहा कि 'भाजपा के लोग सिर्फ उनको धोखा देते रहे, नेताजी (ओमप्रकाश राजभर) विकास के लिए कहते थे, सड़क की मांग करते थे, उसे पूरा नहीं किया जाता था. सरकार में उनकी बात नहीं सुनी जाती थी.'

हमने ओमप्रकाश राजभर के इस घोर समर्थक से और अंदर की बात जानने की कोशिश की. इसीलिए हमने पूछ लिया कि योगी सरकार में तो राजभर मंत्री थे. इस पर जवाब देते हुए मुरलीधर सिंह ने एक भोजपुरी की कहावत कह दिया और बोला, 'हरी डाली छुवे ही ना दे, बहुरिया के बहुत मान बा..' मतलब ये कि ठीक है उन्होंने कैबिनेट में नेताजी को रखा, लेकिन योगी जी उनके किसी काम को करने के लिए तैयार नहीं होते थे.'

आपको याद दिला दें, उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के कुछ महीने बाद ही ओमप्रकाश राजभर ने गाज़ीपुर के तत्कालीन डीएम संजय खत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. उन्होंने डीएम के तबादले या बर्खास्तगी की मांग के लिए धरना भी दिया था.

राजभर के कहने पर डीएम का ट्रांसफर नहीं हुआ!

वहीं मौजूद समाजवादी पार्टी के नेता विश्राम यादव नाम ने इस बात का खुलासा कर दिया कि ओमप्रकाश राजभर डीएम के ट्रांसफर की मांग कर रहे थे. उन्होंने कहा कि 'योगी सरकार ने ओमप्रकाश राजभर के साथ भेदभाव किया. एक गरीब का बेटा एमएलए बनकर गया, भाजपा ने उन्हें कैबिनेट में जगह दिया और सम्मान नहीं दी. उनके कहने पर यहां के एक डीएम का ट्रांसफर नहीं किया गया. ओमप्रकाश राजभर को लगा कि भाजपा मुझे ठग रही है, इसलिए उन्होंने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया.'

..तो असल मुद्दा ये है कि ओमप्रकाश राजभर के कहने पर भाजपा की योगी सरकार में डीएम का ट्रांसफर नहीं किया गया. अब यहां ये समझना होगा कि सरकार के मंत्री का कामकाज क्या होता है? ओमप्रकाश राजभर उत्तर प्रदेश सरकार में पिछड़ा कल्याण मंत्री थे, अब सवाल ये आता है कि उन्हें पिछड़े वर्ग के उत्थान और कल्याण के लिए भला क्यों डीएम का ट्रांसफर कराना पड़ जाता है.

खैर, इसके लिए सीएमओ के सचिव और अधिकारियों का दायित्व बनता है. ओमप्रकाश राजभर ने भी हाल ही में अपने एक मीडिया इंटरव्यू में इस बात को सार्वजनिक तौर पर कबूल किया था कि उनके कहने पर अधिकारियों का ट्रांसफर नहीं किया जाता था. बात सिर्फ एक डीएम तक सीमित नहीं थी, ओमप्रकाश राजभर के कहने पर उनके 'समधि' का भी ट्रांसफर नहीं किया गया.

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एक निजी न्यूज चैनल को दिए अपने इंटरव्यू में ओमप्रकाश राजभर ने बताया था कि मेरे कहने पर योगी सरकार में किसी अधिकारी का ट्रांसफर नहीं किया जाता था. उनके समधि के लिए भी उन्होंने पैरवी की थी, इस बात को खुद उन्होंने कबूला. अब सवाल ये उठा कि क्या राजभर ने ओबीसी कल्याण के लिए मंत्री पद की शपथ ली थी या फिर पर परिवार कल्याण के लिए मंत्रालय का जिम्मा उठाया था.

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इस बात पर भी ओमप्रकाश राजभर ने थेथरलॉजी का परिचय देते हुए कहा कि 'जिसका परिवार नहीं है वो क्या परिवारवाद करेगा. योगी और मोदी का तो परिवार ही नहीं है.' राजभर की बातों से ये समझा जा सकता है कि आखिर उन्होंने अखिलेश यादव की साइकिल पर सवार होने का मूड क्यों बनाया, वो अपने मनचाहे अधिकारियों को तैनात करवाना चाहते हैं, अपने समधि का ट्रांसफर कराना चाहते हैं और तो और अपने सुविधा के अनुसार जिले का डीएम भी तैनात कराना चाहते हैं.

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