Birthday Special: जवान बेटे की मौत के दर्द ने जगजीत सिंह को बना दिया था 'गजल सम्राट'

जगजीत सिंह को इस दुनिया से गये 9 साल से भी ज्यादा का वक्त हो गया है. आज भी हिंदुस्तान में गजल गायकों में उनका नाम सबसे ऊपर रखा जाता है.

Written by - Adarsh Dixit | Last Updated : Feb 8, 2021, 05:00 AM IST
  • जवान बेटे की मौत से टूट गये थे जगजीत सिंह
  • दर्द दिल में दबाकर दोबारा संगीत की दुनिया में आए
  • साल 2003 में 'पद्म भूषण' सम्मान से नवाजा गया
Birthday Special: जवान बेटे की मौत के दर्द ने जगजीत सिंह को बना दिया था 'गजल सम्राट'

नई दिल्ली: जगजीत सिंह का नाम जब भी जुबां पर आता है तब उनके द्वारा गाये गये दर्द भरे गाने बरबस ही होठ गुनगुनाने लगते  हैं. जगजीत सिंह (Jagjit Singh) ने अपनी जादुई आवाज से दुनियाभर के लोगों को मदहोश कर दिया. एक दौर हुआ करता था जब भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर के लोग जगजीत सिंह का कॉन्सर्ट अटेंड करने के लिए बेकरार हुआ करते थे.  आज वे शरीर से भले ही इस दुनिया में न हों लेकिन अपनी शानदार गजलों के रूप में वे आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं. 

जवान बेटे की मौत से टूट गये थे जगजीत सिंह

साल 1980 तक जगजीत सिंह गजल किंग बन चुके थे. प्राइवेट एलबम के साथ जगजीत ने फिल्मों में भी कई गजलें गाईं जिनमें 'प्रेम गीत', 'अर्थ', 'जिस्म', 'तुम बिन', 'जॉगर्स पार्क' जैसी फिल्में शामिल हैं. जगजीत सिंह का एक बेटा था जिसका नाम था विवेक. जगजीत उसे बहुत प्यार करते थे. 20 साल की उम्र में विवेक की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी और इस घटना ने जगजीत को अंदर तक तोड़ दिया. जगजीत इस कदर दुख में डूबे थे कि उन्होंने संगीत की दुनिया को छोड़ने का मन बना लिया. 

दर्द दिल में दबाकर दोबारा संगीत की दुनिया में आए

बेटे की असहनीय और दर्दनाक मौत ने जगजीत सिंह की जिंदगी को झकझोर कर रख दिया था. कई महीनों तक उन्होंने कोई गाना नहीं गाया और फिर लोगों के कहने पर धीरे-धीरे उन्होंने संगीत की दुनिया में फिर वापसी की. सीने में बेटे की मौत का सदमा दबाए बैठे जगजीत सिंह जब वापस गजल गायकी की दुनिया में लौटे तो उनकी आवाज में किसी के खोने का दर्द कई गुना बढ़ा हुआ नजर आया. 

8 फरवरी 1941 को हुआ था जन्म

जगजीत सिंह को इस दुनिया से गये 9 साल से भी ज्यादा का वक्त हो गया है. आज भी हिंदुस्तान में गजल गायकों में उनका नाम सबसे ऊपर रखा जाता है. 8 फरवरी, 1941 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में जन्में जगजीत सिंह ने अपनी गायकी से सारी दुनिया में अपनी पहचान बनाई. शायर और फिल्मकार गुलजार के सीरियल 'मिर्जा गालिब' से जगजीत सिंह का बहुत नाम हुआ. भारत सरकार की तरफ से जगजीत सिंह को साल 2003 में 'पद्म भूषण' सम्मान से नवाजा गया था. साल 2011 में जगजीत सिंह ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. 

जगजीत सिंह की गजल सुनने के लिये 30 मिनट बाद की थी विमान की लैंडिंग

एक रिपोर्ट के मुताबिक जब जगजीत सिंह को पहली बार दिल का दौरा पड़ा था तो उन्हें मजबूरन सिगरेट छोड़नी पड़ी. उन्हें इसके कारण अपनी कुछ अन्य आदतों को भी छोड़ देना पड़ा.  एक बार जब मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह पाकिस्तान इंटरनेशनल (पीआईए) के विमान से कराची से दिल्ली लौट रहे थे. तब जब विमान कर्मियों को जगजीत सिंह के बारे में पता चला तो उन्होंने उनसे अनुरोध किया कि वे उन्हें कुछ गजलें सुनाएं. जगजीत सिंह इसके लिए राजी हो गए और जब तक वो गजल सुनाते रहे विमान के पायलट ने कंट्रोल रूम से संपर्क कर कहा कि वो विमान को आधे घंटे तक हवा में ही रखेंगे. उस दिन पाआईए के विमान ने दिल्ली के हवाई अड्डे पर निर्धारित समय से आधे घंटे देर से लैंडिंग की थी. 

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जगजीत सिंह की शानदार गजलें-

यूं तो जगजीत सिंह की हर गजल अपने आप में अनूठी है फिर भी कुछ गजलें ऐसी हैं जो हमें अलग अहसास देती हैं. इनमें, तेरे बारे में जब सोचा नहीं था, जब सामने तुम आ जाते हो, हमकों यकीं है सच कहती थी, तेरे आने की जब खबर महके, सरकती जाए है रुख से नकाब, कल चौदवीं की रात थी,  ये ऐसी गजलें हैं जो हर संगीत प्रेमी की जुबां पर अक्सर सुनाई देती है.  

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