नई दिल्ली: एम्स में कौन सा सामान, इक्विपमेंट या टेंडर किसे मिला और किसे नहीं, इसकी जानकारी एम्स अब पब्लिक डोमेन में देगा. एम्स ने ये फैसला पारदर्शिता लाने और RTI के जवाबों का बोझ कम करने के लिए किया है. पब्लिक डिजिटल लाइब्रेरी का प्लेटफॉर्म बनाया जा रहा है. जिसके लिए pdl.aiims.edu पेज बनाया गया है. इस पेज पर सभी प्रकार के सप्लाई और वर्क ऑर्डर रहेंगे.
वित्तीय गड़बड़ियों के खतरों को कम करने की कोशिश
एम्स प्रशासन के मुताबिक इस कदम से बाकी अस्पतालों को भी रेट्स का आइडिया मिल सकेगा. इस सिस्टम का हर तीन महीने में फाइनेंस डिपार्टमेट ऑडिट भी करेगा. जिससे एम्स में वित्तीय गड़बड़ियों के खतरों को कम किया जा सके.
इस काम के लिए एक सेंट्रल प्रॉक्योरमेंट यूनिट बनाई जा रही है. जिस पर लगातार विजिलेंस भी रहेगी. हर एरिया में सीसीटीवी रहेगा और जो लोग इस टीम में नहीं हैं, उनका इस एरिया में आना जाना प्रतिबंधित होगा.
कब तक पूरा होगा सीसीटीवी लगने का काम
इन जगहों पर सीसीटीवी लगने का काम 31 मार्च 2023 तक पूरा किया जाएगा और इन कैमरों की रिकॉर्डिंग को 3 साल तक स्टोर किया जाएगा. जो सामान प्रोक्योर किया जाएगा उसकी भी वीडियो रिकॉर्डिंग करनी होगी. और इस विभाग में काम करने वाले व्यक्ति को तीन साल के बाद रोटेट कर दिया जाएगा. एम्स के इंटरनल ऑर्डर में कहा गया है कि जो लोग इस डिपार्टमेंट में तीन साल बिता चुके हैं, उन्हें तुरंत प्रभाव से बदल दिया जाएगा.
एम्स के मुताबिक कोई अधिकारी किसी भी फाइल को बिना वजह 2 दिन से ज्यादा अपने डेस्क पर नहीं रोकेगा. किसी भी वेंडर की कोई भी पेमेंट बिना वजह 10 दिन से ज्यादा रोकी गई तो उस कर्मचारी की सैलरी पर 1 प्रतिशत प्रति माह के हिसाब से पेनल्टी लग सकती है.
तकनीकी विभाग के दो कर्मचारियों को किया सस्पेंड
एम्स में पारदर्शिता लाने की इस पहल के पीछे एम्स में हाल ही में हुआ साइबर अटैक भी हो सकता है. एम्स का गायब हुआ बहुत सा डाटा रिस्टोर नहीं हो पा रहा है और शक जताया जा रहा है कि इस काम के पीछे एम्स का ही कोई अंदरुनी आदमी भी हो सकता है. हालांकि एम्स ने अपने तकनीकी विभाग के दो कर्मचारियों को सस्पेंड तो किया, लेकिन ऐसी भी खबरें आई थी कि किसी वेंडर को ऑर्डर ना मिलने के बाद उसने बदला लेने की नीयत से एम्स के डाटा से खेल किया और सर्वर को हैक कर लिया.
हालांकि एम्स की साइबर हैकिंग की जांच अभी चल ही रही है, लेकिन इस सेंधमारी ने एम्स प्रशासन को जगा दिया है. एम्स का सर्वर 23 नवंबर को हैक हो गया था. हालांकि एम्स ने दावा किया है कि उसका डाटा सुरक्षित है लेकिन एम्स की साइबर सिक्योरिटी पर सवाल बने हुए हैं.
अभी भी एम्स में सारे डिपार्टमेंट सर्वर से कनेक्ट नहीं हो सके हैं और काफी काम मैन्युअल मोड पर चल रहा है. हालांकि एम्स की ओपीडी और सेंट्रल एडमिशन अब कंप्यूटर पर काम कर रहे हैं.
साइबर अटैक के अलावा एम्स पर फाइनेंशियल गड़बड़ियों यानी वित्तीय अनियमितताओं के आरोप भी लगते रहे हैं. एम्स की स्टोर परचेज़ कमेटी को जुलाई 2022 में दोबारा गठित किया गया था.
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