नई दिल्लीः बीते गुरुवार (13 अप्रैल) को यूपी एसटीएफ ने कुख्यात गैंगस्टर अतीक अहमद के तीसरे बेटे असद अहमद को एनकाउंटर में मार गिराया. असद 24 फरवरी को प्रयागराज में दिनदहाड़े हुए उमेशपाल हत्याकांड का मुख्य अपराधी था. एसटीएफ को 24 फरवरी के बाद से ही इसकी तलाश थी, लेकिन असद हमेशा किसी तरह से बचकर भाग निकलता था. हालांकि, उसकी सारी कोशिशें नाकाम हुई और वह झांसी के करीब एनकाउंटर में गुरुवार 13 अप्रैल को मारा गया.
पांच लाख का इनामी था असद अहमद
यूपी पुलिस की ओर से असद के ऊपर पांच लाख रुपये की इनाम की घोषणा भी कि गई थी. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो असद के बारे में एसटीएफ को सबसे अहम जानकारी कुछ दिनों पहले प्रयागराज में अतीक अहमद के घर से बरामद हुए आईफोन से मिली. एसटीएफ ने जब बरामद आईफोन को डीकोड किया, तो असद के पूरे गैंग का कच्चा चिट्ठा खुल गया.
कोड नाम का करते थे इस्तेमाल
मीडिया रिपोर्ट का दावा है कि असद के गैंग के सभी सदस्य आपस में कोड नाम का इस्तेमाल किया करते थे. इसमें असद का कोड नाम 'राधे' था. असद के बाल बड़े-बड़े होने की वजह से उसके गैंग के गुंडे उसे राधे कहा करते थे. वहीं, उमेशपाल पर दुकान से निकलकर गोली चलाने वाले शख्स गुलाम का कोड नाम 'उल्लू' रखा गया था. वहीं, बम चलाने वाले बदमाश गुड्डू मुस्लिम का नाम 'मुर्गी' रखा गया था.
अतीक को बड़े मियां तो अशरफ को छोटे मियां
गुड्डू मुस्लिम के घर चिकन का कारोबार होता है. इसी वजह से उसका नाम असद के गैंग में मुर्गी रखा गया था. गैंग के सदस्यों ने अतीक अहमद का कोड नाम 'बड़े मियां' तो अशरफ का कोड नाम 'छोटे मियां' रखा था. शूटर अरमान के बिहार के सासाराम से होने की वजह से उसका कोड नाम 'बिहारी' रखा गया था.
गिरोह में शामिल सदस्यों के कोड नाम
वहीं, गिरोह में शामिल अन्य बदमाशों के भी कोड नाम सामने आए हैं. इसमें हलवाई, माया, तोता, पंडित, सैम, शेरू, रसिया, बल्ली, कछोली नाम भी दिया गया था. गैंग में शामिल सभी बदमाश आपस में इसी कोड भाषा का इस्तेमाल करते थे. मीडिया रिपोर्ट्स का यह भी दावा है कि उमेश पाल कांड में शामिल शूटर्स को आईफोन के साथ अलग से सिम कार्ड दिए गए थे.
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