नई दिल्लीः अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट से कूदकर जान देने वाली आयशा के वीडियो पर हैदराबादी सांसद असदुद्दीन ओवैसी की संवेदनशीलता पर देश तालियां बजा रहा है.उन्हें आयशा का असली भाईजान बुला रहा है.लेकिन हैदराबाद की आशा को चाकू से हुये जानलेवा हमले पर उनकी चुप्पी सवाल भी खड़े कर रही है.
सवाल ये कि
- बात आयशा से आशा पर आते ही ओवैसी की जुबां पर ताला क्यों लग गया है?
- आयशा के दर्द और आशा के दर्द को आखिर अलग-अलग चश्मे से क्यों देखते हैं ओवैसी?
आयशा के लिये आंसू, आशा की अनदेखी?
अच्छा होता कि हैदराबाद की बेटी के लिये भी असदुद्दीन ओवैसी खड़े होते और लव जिहाद की घिनौनी साजिश को रोकने के लिये आवाज उठाते.ऐसा होता तो आगे कई आशाओं की जानें बचाई जा सकतीं और आप वाकई असली भाईजान कहलाने के हकदार भी होते.
ओवैसी साहब, शाहरुख नाम के सिरफिरे ने चाकू के ताबतड़तोड वार से हैदराबाद की उस बेटी की जान ले ली. हिंदू परिवार की उस बेटी को शाहरुख ने पिछले तीन सालों में नजदीकियां बढ़ाई और फिर शादी का दबाव बनाने लगा. पहचान खुलने पर इनकार मिली तो उसके सिर पर खून सवार हो गया.
लेकिन आपको तो मजहबी सियासत चमकानी है. इसीलिये लव जिहाद पर गंभीरता दिखाने की जगह आप फर्जी सवाल उछालते हैं कि लव और जिहाद तो साथ-साथ चल ही नहीं सकता.
लव जिहाद पर आपकी सियासत को सूट नहीं करता है. ये हिन्दुस्तान अच्छे से समझने लगा है. हैदराबाद की आशा की अनदेखी और अहमदाबाद की आयशा से हमदर्दी दिखाने के पीछे का सियासी कनेक्शन भी साफ दिखता है. हैदराबाद तो आपके लिये अपना सियासी गढ़ है और गुजरात में पांव जमाना है, यही असली फसाना है.
अंजुम फैजान की खुदकुशी पर क्यों चुप थे भाईजान?
इस तल्ख हकीकत से आपका इनकार मुश्किल है. क्योंकि इसकी गवाही खुद हैदराबाद दे रहा है. बात चार साल पुरानी है. तारीख 12 अप्रैल 2017. अहमदाबाद की आयशा की तरह दहेज की मांग और मारपीट से परेशान होकर तब हैदराबाद में भी एक बेटी ने अपनी जान दे दी थी. नाम नाम था अंजुम फैजान. शादी हुए महज तीन महीने गुजरे थे. और उसने हैदराबाद के मीनार कॉलोनी के घर में खुदकुशी कर ली.
हैदराबाद की अंजुम फैजान ने अहमदाबाद की आयशा की तरह वीडियो बनाकर अपना दुखड़ा दुनिया के सामने रखा था. आयशा की तरह ही उसने अपनी मां कहा कि कैसे उसके ससुराल वाले उस पर बेइंतहा जुल्म ढा रहे हैं.
अंजुम फैजान के उस वीडियो ने भी सबको झकझोरा. लेकिन ओवैसी ब्रदर्स के जुबां हिली तक नहीं.
अब अहमदाबाद की आयशा के वीडियो पर बड़े ओवैसी जिस तरह दिल निकालकर सामने रख रहे हैं. चूंकि पश्चिम बंगाल का चुनावी माहौल गरमाने लगा है और आगे असम से केरल तक की बारी है. जहां मुस्लिम वोटबैंक निर्णायक भूमिका में हैं. इसीलिये सवाल गहरा रहे हैं कि आयशा की खुदकुशी पर ओवैसी साहब की हमदर्दी लुटाने की वजह सियासी तो नहीं है.
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