नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर का कहर इस कदर बरपा है कि अपनों की जान बचाने के लिए ऑक्सीजन और जरूरी दवाओं का जुगाड़ करते-करते मरीजों के परिजनों की कमर टूट गई है. सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए जगह नहीं है तो निजी अस्पतालों में इलाज के एवज में लाखों के बिलों का भुगतान करना पड़ रहा है.
Corona के कहर के बीच हेल्थ इन्श्योरेंस कितना महत्वपूर्ण
जिन लोगों के पास पहले से हेल्थ इन्श्योरेंस नहीं है उनके सामने पैसों का इंतजाम कराने की चुनौती है. वहीं दूसरी तरफ जिनके पास इन्श्योरेंस है उन्हें कैशलेस इलाज नहीं मिल पा रहा है. नेटवर्क हॉस्पिटल भी मरीजों का कैशलेस ट्रीटमेंट करने से इनकार कर रहे हैं. ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी है कि कोरोना के कहर के बीच हेल्थ इन्श्योरेंस कितना महत्वपूर्ण है और कंपनी से इलाज के एवज में क्लेम हासिल करने के लिए आपके पास कौन-कौन से अधिकार हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट का अहम फैसला
28 अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना की दूसरी लहर के बीच एक अहम फैसला सुनाया था. अपने फैसले में हाईकोर्ट ने इन्श्योरेंस कंपनियों को निर्देश दिया उसका लब्बोलुआब यह है कि हेल्थ इन्श्योरेंस कंपनियां कोरोना के मामले में फाइनल क्लेम सेटल करने में ज्यादा वक्त ना लें
क्योंकि कोरोना के दौर में ठीक हो चुके मरीज को ज्यादा देर तक अस्पताल में नहीं रखा जा सकता क्योंकि अस्पतालों और बेड्स की कमी है और क्लेम सेटल होने तक मरीज के डिस्चार्ज होने का इंतजार नहीं किया जा सकता.
भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण(IRDAI) ने 29 अप्रैल को एक सर्कुलर जारी करके बीमा कंपनियों को कैशलेस क्लेम का अंतिम भुगतान अस्पताल द्वारा किए मांगे जाने के 30 से 60 मिनट के अंदर कर दिया जाए. जिससे के मरीज के डिस्चार्ज होने में वक्त न लगे और अस्पताल का बेड तब तक घिरा न रहे.
कंपनियों कोरोना स्पेसिफिक पॉलिसी को रिन्यू करना ही होगा
6 मई,2021 को IRDAI ने एक और सर्कुलर जारी किया और कहा कि कुछ कंपनियां कोरोना रक्षक, कोरोना कवच जैसी पॉलिसी उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराना बंद कर दिया है. इसके अलावा कुछ इन्श्योरेंस कंपनियों ने इन पॉलिसीज को रिन्यू करना बंद कर दिया है. इस बारे में ध्यान दिलाते हुए आईआरडीआईए ने कहा, इन्श्योरेंस कराने वाले को पॉलिसी को रिन्यू कराने, पोर्ट या माइग्रेशन का विकल्प है.
और यह कोरोना स्पेसिफिक पॉलिसियों में भी लागू होता है. अथॉरिटी द्वारा 13.10.2020 को जारी किए गए सर्कुलर के मुताबिक कोरोना पॉलिसीज को रिन्यू करन की सलाह दी जाती है. कंपनियों की बाध्यता है कि वो कोरोना स्पेसिफिक पॉलिसी को रिन्यू करें. ऐसा करने से वो इनकार नहीं कर सकती हैं.
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कैशलेस ट्रीटमेंट देना नेटवर्क अस्पताल की है बाध्यता
आईआरडीएआई को कुछ रिपोर्ट्स मिलीं कि कुछ अस्पताल कोविड-19 के इलाज के लिए कैशलेस सुविधा देने से इनकार कर दिया जबकि बीमा पॉलिसी के अंतर्गत इन्श्योरेंस कराने वाला व्यक्ति इसे हासिल करने का हकदार है.
इस बारे में आईआरडीएआई ने 22 अप्रैल, 2021 को जारी अपने सर्कुलर में कहा, ये स्पष्ट किया जा रहा है कि जहां इन्श्योरेंस कंपनी ने जिन नेटवर्क अस्पतालों के साथ कैशलेस ट्रीटमेंट मुहैया कराने के लिए समझौता किया है, वो कोविड-19 सहित सभी बीमारियों का कैशलेस सुविधा के तहत इलाज करने के लिए बाध्य हैं.
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कैशलेस ट्रीटमेंट देने से नहीं कर सकते इनकार
सभी नेटवर्क प्रोवाइडर्स(हॉस्पिटल) जिन्होंने सर्विस लेवल एग्रीमेंट(एसएलए) ने जनरल और हेल्थ इन्श्योरेंस प्रदाता कंपनी के साथ समझौता किया है वो पॉलिसी होल्डर का इलाज बीमा शर्तों के साथ कैशलेस सुविधा के तरह करने के लिए बाध्य हैं. इसलिए जिन नेटवर्क अस्पतालों के साथ बीमा कंपनी का समझौता है वो कैशलेस सुविधा के तहत मरीजों का इलाज करने से इनकार नहीं कर सकते हैं.
यहां दर्ज कराई जा सकती है कैशलेस ट्रीटमेंट नहीं करने की शिकायत
यदि कोई भी नेटवर्क हॉस्पिटल पॉलिसी होल्डर को कैशलेस सुविधा देने से इनकार करता है तो पॉलिसी धारक संबंधित इन्श्योरेंस कंपनी के पास इसकी शिकायत भेज जा सकते हैं. कहां और किसके पास शिकायत करनी है इसकी जानकारी बीमा कंपनी की वेबसाइट पर उपलब्ध होती है. इसके अलावा इस लिंक पर भी इस बारे में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. https://www.irdai.gov.in/ADMINCMS/cms/NormalData_Layout.aspx?page=PageNo225&mid=14.2
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