महाराष्ट्र में बनी इस हाईवे ने छीन ली किसानों की 'किस्मत', प्रकृति को रही नुकसान

महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है. वहां के किसानों ने इस बात का दावा किया है कि गोवा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग के बन जाने से उनके तरबूज के ब्रिक्री पर गहरा असर पड़ा है.

Written by - Pramit Singh | Last Updated : May 8, 2023, 03:36 PM IST
  • 'राजमार्ग का निर्माण है अभिशाप'
  • '1,500 रुपये ही रह गई है आय'
महाराष्ट्र में बनी इस हाईवे ने छीन ली किसानों की 'किस्मत', प्रकृति को रही नुकसान

नई दिल्लीः महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है. वहां के किसानों ने इस बात का दावा किया है कि गोवा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग के बन जाने से उनके तरबूज के ब्रिक्री पर गहरा असर पड़ा है. राजमार्ग के बनने से पहले की उनकी कमाई और राजमार्ग के बनने के बाद की कमाई में जमीन-आसमान का अंतर हो गया है. कोंकण क्षेत्र के बिबावने गांव के एक किसान ने कहा कि अब वह राजमार्ग पर तरबूजों की बिक्री से प्रतिदिन लगभग 1,500 रुपये कमाता है. वहीं, राजमार्ग के निर्माण से पहले वह प्रतिदिन 5,000 रुपये कमाता था. क्षेत्र के एक कानून निर्माता ने भी यह कहा कि उन्हें किसानों से ऐसी शिकायतें मिली हैं और वह इस मामले को देख रहे हैं. बिबावने गांव कुडाल कस्बे से पांच किलोमीटर दूर सिंधुदुर्ग में राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है. 

'राजमार्ग का निर्माण है अभिशाप'
लगभग एक दशक से अधिक समय से तरबूजों का उत्पादन और बिक्री कर रहे किसान कृष्णकांत गोपाल पुंदुरकर ने कहा, 'राजमार्ग का निर्माण हमारे लिए अभिशाप है. जब से बीच में डिवाइडर वाली चौड़ी सड़कों का निर्माण हुआ है, तब से तरबूज का कारोबार डूब गया है.' 

'राजमार्ग विस्तार से पहले फलता-फूलता रहा व्यवसाय'
पुंदुरकर उन कई किसानों में से एक हैं, जो गोवा-मुंबई राजमार्ग के इस खंड पर अस्थायी दुकान लगाकर तरबूजों की बिक्री से अपना जीवन यापन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि राजमार्ग का विस्तार शुरू होने से पहले तीन दशकों तक कारोबार फलता-फूलता रहा. मौके पर पुंदुरकर ने उस पल को भी याद किया कि कैसे स्थानीय निवासी अरुण रेगे ने बिबावने में राजमार्ग के किनारे अपनी पहली अस्थायी दुकान लगाई थी. तब राजमार्ग संकरा था और इसके दोनों तरफ पेड़ थे. 

'प्रकृति का आनंद लेने के लिए रुकते थे लोग'
उन्होंने कहा कि गोवा या मुंबई जाने वाले लोग प्रकृति का आनंद लेने और तरबूज खरीदने के लिए कुछ समय वहां रुकते थे. इस वजह से दुकानों की संख्या में वृद्धि हुई. इस क्षेत्र में अब कम से कम 30 दुकाने हैं. फिर साल 2021-22 में राष्ट्रीय राजमार्ग का विस्तार किया गया. पेड़ काट दिए गए और चार लेन वाला एक शानदार राजमार्ग बनाया गया और एक डिवाइडर का निर्माण किया गया. जो लोग पहले पेड़ों की छांव में रुकते थे, वे अब इस शानदार राष्ट्रीय राजमार्ग से गुजर जाते हैं. 

'1,500 रुपये ही रह गई है आय'
इसके अलावा कृष्णकांत गोपाल पुंदुरकर ने इस बात का भी दावा किया कि राष्ट्रीय राजमार्ग के बन जाने का उनके व्यवसाय पर गहरा असर पड़ा है. राजमार्ग बनने से पहले वे प्रतिदिन लगभग 5,000 रुपये कमाते थे. वहीं, अब उनकी प्रतिदिन की आय घटकर महज 1,500 रुपये रह गई है.

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