नई दिल्लीः देशभर में कोरोना, सागर तटीय इलाकों में तूफान और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली-एनसीआर में भूकंप, पिछले 2 महीनों से यह सिलसिला लगातार जारी है. बुधवार रात 10.42 बजे नोएडा-दिल्ली-फरीदाबाद में एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए. यह एक-डेढ़ महीने के जारी सिलसिले में कम अंतराल में लगातार छठवीं बार है. पिछली बार 29 मई को एनसीआर की धरती कांपी थी, जिससे घबराकर लोग घरों से बाहर निकल आए थे. बुधवार को एक बार फिर लोग दहशत में हैं.
Earthquake of magnitude 3.2 struck 19km South-East of Noida at 10:42 pm today: National Center for Seismology (NCS) pic.twitter.com/1FXVjwIsC6
— ANI UP (@ANINewsUP) June 3, 2020
3.2 रही कंपन की तीव्रता
रात 10.42 बजे के आसपास भूकंप महसूस किया गया. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.2 मापी गई है. दक्षिण-पूर्व नोएडा इसका केंद्र रहा है. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मॉलॉजी के मुताबिक 19 किलोमीटर तक इसकी रेंज रही है. वहीं फरीदाबाद में भी हल्के झटके महसूस किए गए.
बड़ा सवालः आखिर क्यों कांप रही है NCR की धरती
दिल्ली-एनसीआर में लगातार आ रहे भूकंप लगातार चिंता का विषय हैं. भौगोलिक आधार पर देखें तो दिल्ली सिस्मिक जोन-4 में शामिल है. यहां से होकर गुजरने वाली भूकंपीय फॉल्ट लाइन आने वाले किसी भी बड़े भूगर्भीय खतरे का कारण बन सकती है. बीती मई में जो दो भूकंप दिल्ली में आए उनका केंद्र नई दिल्ली के उत्तर में था. बार-बार इस तरह कांप रही धरती लगातार बड़े भूकंप की ओर इशारा कर रही है. दिल्ली में चिंता इसलिए भी अधिक है कि राष्ट्रीय राजधानी होने के साथ-साथ ही कई इलाके बेहद ही घनी बसावट वाले हैं.
अब स्वाइन फ्लू की इस दवा से होगा कोरोना का इलाज!
दिल्ली एनसीआर में डेढ़ माह में आए भूकंप
- 12 अप्रैल - 3.5 मैग्नीट्यूड
- 13 अप्रैल - 2.7 मैग्नीट्यूड
- 10 मई - 3.4 मैग्नीट्यूड
- 15 मई - 2.2 मैग्नीट्यूड
- 29 मई - 4.6 मैग्नीट्यूड
- 3 जून- 3.2 मैग्नीट्यूड
जरूरी है कि आपदा न्यूनीकरण के उपाय जल्द किए जाएं
सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) रुड़की के वैज्ञानिकों के मुताबिक टेक्टोनिक प्लेटों के बीच हो रहे घर्षण से जो ऊर्जा निकल रही है, उसे चेतावनी मानकर भविष्य के लिए एहतियाती कदम उठाने जरूरी हैं. छोटे भूकंप इस बात के संकेत हैं कि भूगर्भ में ऊर्जा संरक्षित हो रही है और धीरे-धीरे भूकंप के रूप में निकल भी रही है, लेकिन यह एनर्जी कब बड़ी मात्रा में निकल जाए,
इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है. ऐसे में यह महत्वपूर्ण समय है कि आपदा न्यूनीकरण के सभी उपायों को तत्काल अमल में लाया जाए.
सबसे बड़ा खतरा यह भी है कि हम अभी इतनी सक्षम नहीं हो सके हैं कि मॉनसून, आंधी-तूफान और मौसम परिवर्तन की तरह ही भूकंप के आने का अनुमान पहले से लगा सकें.
कोरोना संकट के दौरान जितने एलियन दिखे, उतने 30 सालों में नहीं देखे गए