आज भी विज्ञान पर है जिनका 'प्रभाव', जानिए कौन थे डॉ. सीवी रमन

सर सी.वी रमन का जन्म ब्रिटिश भारत में तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी (तमिलनाडु) में 7 नवंबर 1888 को हुआ था. उनके पिता गणित और भौतिकी के प्राध्यापक थे. सीवी रमन ने तब मद्रास के प्रेसीडेन्सी कॉलेज से बीए किया और इसी कॉलेज में उन्होंने एमए में प्रवेश लिया और मुख्य विषय भौतिकी को चुना. जब विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने की सुविधा नहीं मिलने के कारण सीवी रमन ने सरकारी नौकरी का रुख किया था

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 28, 2020, 01:09 PM IST
    • सर चंद्रशेखर वेंकट रमन ने 28 फरवरी 1928 को रामन प्रभाव की खोज की थी
    • 1954 में भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा था
आज भी विज्ञान पर है जिनका 'प्रभाव', जानिए कौन थे डॉ. सीवी रमन

नई दिल्लीः गुलाम भारत में वह साल बड़े बदलावों का था. एक तरफ भारत का स्वतंत्रता आंदोलन जोर पकड़ रहा था. दांडी यात्रा से भारत के जन गण को मजबूती मिल रही थी तो दूसरी तरफ विज्ञान भी अपने लिए खुला आसमान तय कर रहा था. इसी साल क्षितिज पर काले एशियाई देश के रहने वाले एक ऐसे शख्स का नाम चमका, जिसने आज विज्ञान की दशा और दिशा ही बदल दी. यह नाम था सर सीवी रमन का, जिन्होंने 1930 में नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया. वह पहले भारतीय थे, जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में यह सम्मान हासिल किया था. बल्कि पहले एशियाई कहना तकनीकि तौर पर सही होगा, क्योंकि भारत तब गुलाम था. 

क्यों मिला रमन को नोबेल पुरस्कार
खैर, यह कोई कठिन प्रश्न नहीं, सीवी रमन को रमन प्रभाव की खोज के लिए नोबेल मिला. वास्तव में यह प्रकाश का एक गुण बताने वाला इफेक्ट है, जिसकी खोज करने पर इसका नाम उनके सम्मान में ही रमन इफेक्ट रखा गया है. दरअसल इसका सार यह है कि महान भौतिक विज्ञानी सर चंद्रशेखर वेंकट रमन ने 28 फरवरी 1928 को भौतिकी के गंभीर विषय में जो महत्वपूर्ण खोज की थी वह आज तक क्रांतिकारी साबित होती है.

पारदर्शी पदार्थ से गुजरने पर प्रकाश की किरणों में आने वाले बदलाव पर की गई इस खोज के लिए 1930 में उन्हें भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 

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और तभी से मनाते हैं विज्ञान दिवस
इस खोज के सम्मान में 1986 से इस दिन को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाने का चलन है. 1954 में भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा. इस साल भारत जो राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2020 मना रहा है उसकी थीम 'Women in Science' है. इस दिवस का मूल उद्देश्य विद्यार्थियों को विज्ञान के क्षेत्र में नए प्रयोगों के लिए प्रेरित करना, विज्ञान के प्रति आकर्षित करना, तथा विज्ञान एवं वैज्ञानिक उपलब्धियों के प्रति सजग बनाना है. 

सर सीवी रमन को जान लेते हैं
सर सी.वी रमन का जन्म ब्रिटिश भारत में तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी (तमिलनाडु) में 7 नवंबर 1888 को हुआ था. उनके पिता गणित और भौतिकी के प्राध्यापक थे. सीवी रमन ने तब मद्रास के प्रेसीडेन्सी कॉलेज से बीए किया और इसी कॉलेज में उन्होंने एमए में प्रवेश लिया और मुख्य विषय भौतिकी को चुना. जब विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने की सुविधा नहीं मिलने के कारण सीवी रमन ने सरकारी नौकरी का रुख किया था.

उन्होंने भारत सरकार के वित्त विभाग की प्रतियोगिता परीक्षा में भाग लिया और उन्हें प्रथम स्थान मिला. 

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शोध में ही रमा रमन का मन
इसके बाद उन्होंने कोलकाता में 1907 में असिस्टेंट अकाउटेंट जनरल की नौकरी की लेकिन विज्ञान के प्रति उनका लगाव होने के कारण यहां वह इंडियन एशोसिएशन फार कल्टीवेशन आफ साइंस और कलकत्ता विश्वविद्यालय की प्रयोगशालाओं में शोध करते रहे. भौतिक शास्त्री सर सीवी रमन सिर्फ भारतीयों के लिए बल्कि दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं. इन्होंने स्टील की स्पेक्ट्रम प्रकृति, स्टील डाइनेमिक्स के बुनियादी मुद्दे, हीरे की संरचना और गुणों और अनेक रंगदीप्त पदार्थो के प्रकाशीय आचरण पर भी शोध किया. उन्होंने ही पहली बार तबले और मृदंगम के संनादी (हार्मोनिक) की प्रकृति की खोज की थी.

 

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