नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार (UP Governemet) फूड फॉरेस्ट (Food Forest) विकसित कर हरियाली बढ़ाकर पर्यावरण संरक्षण की पहल करने जा रही है. इसके लिए सरकार ने अलग कृषि जलवायु क्षेत्रों (एग्रो क्लाइमेटटिक जोन) के 15 जिलों को चिन्हित किया है.
इन जिलों में स्थानीय किसानों के सहयोग से अगले छह माह में फूड फारेस्ट विकसित किए जाएंगे. इससे पर्यावरण और किसानों दोनों की सेहत सुधरेगी.
किन-किन जिलों को किया गया है चिन्हित?
जो जिले इसके लिए चिन्हित किए गए हैं उनमें बिजनोर, अमरोहा और सहारनपुर आम की पट्टी के संभल, रामपुर, बदायूं अमरूद पट्टी के हैं. इसी तरह अन्य जिले भी किसी न किसी फलपट्टी में शामिल हैं. ये पार्क इको फ्रेंडली होने के साथ खुद में कृषि विविधीकरण की भी मिसाल होंगे. फूड फारेस्ट में संबंधित क्षेत्र के कृषि जलवायु क्षेत्र (एग्रो क्लामेटिक जोन) के अनुसार पौधों का चयन किया जाएगा.
प्राकृतिक तरीके से नाइट्रोजन फिक्सेशन के लिए फूड फारेस्ट में दलहनी फसलों को भी स्थान दिया जाएगा. मसलन गोरखपुर में विकसित किए जाने वाले फूड फारेस्ट में पहले चरण में आम, अमरूद, अनार और पपीते के पौध लगाये जाएंगे.
छोटे जंगली फलों के पौधे लगाए जाएंगे
दूसरे चक्र में जामुन, बेर यानी छोटे जंगली फलों के पौधे लगाए जाएंगे. तीसरे चक्र में अरहर, मूंग, उड़द, मटर व चने की बोआई होगी. चैथे चरण में लेमनग्रास, तुलसी, अश्वगंधा जैसे हर्बल प्लांट पार्क लगेंगे.
पांचवें चक्र में गिलोय, अंगूर, दमबूटी आदि बेल प्रजाति रोपित होगी. इसी तरह पौधों का चयन अलग-कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार होगा. इसमें लगी दलहनी फसलें प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन स्थिरीकरण (फिक्सेशन) का काम करेंगी. पक्षियों की बीट प्राकृतिक खाद का काम करेगी. फूलों पर आने वाली मधुमक्खियां और तितलियां परागण का काम करेंगी.
दरअसल सरकार का मकसद किसानों की आय बढ़ाना है. धान-गेंहू की परंपरागत खेती की बजाय कृषि विविधीकरण से ही ऐसा संभव है. ये पार्क खुद में इसकी नजीर होंगे. यही नहीं इन पार्कों से प्रसंस्करण इकाइयों के लिए भविष्य में कच्चा माल मिलेगा. फलदार पौधों का रकबे के साथ हरियाली भी बढ़ेगी.
फूड फारेस्ट में बुलन्दशहर, सहारनपुर, मेरठ, गाजियाबाद, बिजनोर, अमरोहा, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर, पीलीभीत,गोरखपुर और गौतमबुद्धनगर शामिल किया गया है.
वन पर्यावरण मंत्री अरूण सक्सेना ने कहा कि फूड फॉरेस्ट के जरिए किसानों और पर्यावरण दोनों की सेहत में सुधार होगा. फल वाले वृक्ष लगाने से किसानों की आय भी बढ़ेगी. जुलाई से पौधारोपण का कार्य भी शुरू हो जाएगा. यह प्रदेशवासियों के लिए बेहद रोचक होगा. इस वन में इंसान से लेकर पशु-पक्षियों के भोजन की श्रृंखला तैयार की जाएगी
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