घाटी में विदेशी राजनयिकों की कलाकारों से मुलाकात, हजरत बल दरगाह का दौरा

घाटी में 24 विदेशी राजनयिकों ने अपनी यात्रा के पहले दिन बुधवार को लेखकों एवं कलाकारों से मुलाकात की. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 17, 2021, 09:45 PM IST
  • हजरतबल दरगाह का किया दौरा
  • कलाकारों से मिले राजनयिक
घाटी में विदेशी राजनयिकों की कलाकारों से मुलाकात, हजरत बल दरगाह का दौरा

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से बदलाव की नई बयार चल रही है. घाटी में 24 विदेशी राजनयिकों ने अपनी यात्रा के पहले दिन बुधवार को यहां डल झील के सम्मेलन परिसर के भीतर स्थित संगीतमय फव्वारे में लेखकों एवं कलाकारों से मुलाकात की और उसके बाद ऐतिहासिक हजरत बल दरगाह का दौरा किया. भारत सरकार द्वारा कश्मीर से 370 हटाए जाने के बाद ये दौरा बहुत महत्वपूर्ण है. 

इस बीच श्रीनगर में विदेशी राजनयिकों के दौरे के बीच आतंकी हमला हुआ है. दुर्गानाग इलाके में आतंकी हमला हुआ. आतंकियों ने एक शख्स को गोली मार दी. हमलावर की तलाश में सुरक्षाबल जुटे हैं. इलाके में सर्च ऑपरेशन जारी है. 

हजरतबल दरगाह का किया दौरा

आपको बता दें कि यूरोप, एशिया, दक्षिण अमेरिेका और अफ्रीका के विभिन्न देशों के राजनयिक ऐतिहासिक हजरतबल दरगाह गए. इसके बाद उन्होंने घाटी में मिट्टी के बर्तन बनाने की कला को प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रहीं साइमा शफी, सामाजिक कार्यकर्ता रेंजु शाह और पश्मीना कालीन पर कारीगरी करने वाले शाहनवाज समेत कई कलाकारों से बातचीत की. 

दरगाह के संरक्षक ने राजनयिकों को लोगों, खासकर घाटी के लोगों के लिए इस स्थल के महत्व के बारे में जानकारी दी. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि किस तरह एक यात्री 1634 में सऊदी अरब के मदीना से पवित्र निशानी लेकर कश्मीर आया. राजनयिकों का दल बुधवार सुबह दो दिन के दौरे पर जम्मू कश्मीर पहुंचा था. 

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संगीतकार डॉ. शाइस्ता अहमद, कवि निगहत साहिबा और लेखक निलोफर बाज नहवी, निगहत नजर और नुसरत इकबाल भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे. इस कार्यक्रम का मकसद विदेशी प्रतिनिधियों को कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से अवगत कराना था. हस्तशिल्प और पर्यटन विभागों के अधिकारियों और कुछ नेताओं को राजनयिकों के साथ वार्ता करते देखा गया.

कलाकारों से मिले राजनयिक

आपको बता दें कि विदेश से आए राजनयिकों ने जम्मू कश्मीर के कलाकारों, लेखकों और संगीतकारों से मुलाकात करके सरकार की कार्यशोली जानने की कोशिश की. फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनैन और क्यूबा के राजदूत ऑस्कर जे मार्टिनेज कोरडोवस ने हस्तशिल्प विशेषकर मिट्टी के बर्तनों में काफी रुचि दिखाई. ‘कराल करूर’ (मिट्टी के बर्तन बनाने वाली लड़की) के नाम से जानी जाने वाली शफी से बातचीत के दौरान दोनों राजदूतों ने इस बात पर हैरानी जताई कि कश्मीर घाटी में महिलाएं मिट्टी के बर्तन नहीं बनाती हैं.

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कश्मीर की वर्तमान स्थिति का जायजा लेगा समूह

गौरतलब है कि कई यूरोपीय देशों और ओआईसी के कुछ देशों के राजनयिकों के एक समूह का जम्मू-कश्मीर का दो दिवसीय दौरा बुधवार से शुरू हो गया, जो केंद्रशासित प्रदेश में खासकर हाल में हुए जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव के बाद की स्थिति का जायजा लेगा.

उल्लेखनीय है कि 2019 में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था. राज्य के अधिकारियों ने यहां बताया कि प्रतिनिधिमंडल को कड़े सुरक्षा प्रबंधों के बीच मध्य कश्मीर के मागम ले जाया गया जिसमें इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के चार देशों-मलेशिया, बांग्लादेश, सेनेगल और ताजिकिस्तान के राजनयिक भी शामिल हैं.

प्रतिनिधिमंडल में ब्राजील, इटली, फिनलैंड, क्यूबा, चिली, पुर्तगाल, नीदरलैंड, बेल्जियम, स्पेन, स्वीडन, किर्गिस्तान, आयरलैंड, घाना, एस्टोनिया, बोलिविया, मालावी, इरिट्रिया और आइवरी कोस्ट के राजनयिक भी शामिल हैं. 

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